अक्षर की ताकत पहचान, कैदी भर रहे सपनों की उड़ान ..

हत्या के प्रयास मामले में मोहन को सजा हो गई और अब वह केंद्रीय कारा में अपनी सजा काट रहे हैं. जेल हो जाने के बाद मोहन का सपना भले ही चकनाचूर हो गया हो, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. वह अब जेल में अपनी स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी कर रहे हैं, जिससे दो साल बाद जेल से बाहर आने के बाद वह सम्मानजनक जीवन गुजार कर सके. 
कारा में पढ़ाई करते का





- केंद्रीय कारा में कैदी कर रहे दूरस्थ शिक्षा से पढ़ाई, सपनों को कर रहे हैं पूरा
- कारा एवं सुधार विभाग की कोशिश से बदल गया है सेंट्रल जेल का माहौल

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : मोहन (काल्पनिक नाम) का यह सपना था कि वह सरकारी अधिकारी बन देश तथा समाज की सेवा करे लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था. हत्या के प्रयास मामले में मोहन को सजा हो गई और अब वह केंद्रीय कारा में अपनी सजा काट रहे हैं. जेल हो जाने के बाद मोहन का सपना भले ही चकनाचूर हो गया हो, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. वह अब जेल में अपनी स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी कर रहे हैं, जिससे दो साल बाद जेल से बाहर आने के बाद वह सम्मानजनक जीवन गुजार कर सके.

मोहन के जैसे कई बंदी हैं जो जेल में रहते हुए अपना सपना पूरा करने की इच्छा रखते हैं. इसी इच्छा के तहत वह केंद्रीय कारा में अपनी पढ़ाई जारी रखे हुए हैं. दरअसल, कारा एवं सुधार विभाग के द्वारा मूल रूप से जेलों को सुधार गृह में बदल दिया गया है. यहां आने वाले कैदी सजा पूरी करने के बाद सामान्य जिदगी जी सकें इसके लिए कई तरह के स्वरोजगार प्रशिक्षण के साथ-साथ शैक्षणिक योग्यता को बढ़ाने के लिए भी अवसर प्रदान किया जा रहा है. दूरस्थ शैक्षणिक संस्थानों यथा एनओआइएस तथा जैसे शैक्षणिक संस्थानों में नामांकन करा कर कैदी भी अब अपनी पढ़ाई को जारी रखे हुए हैं.


तेरह कैदियों ने लिया है पीजी में नामांकन, नौ स्नातक के छात्र

कारा प्रशासन से मिली जानकारी के मुताबिक केंद्रीय कारा में सजा काट रहे बंदियों में तेरह स्नातकोत्तर की पढ़ाई कर रहे हैं. इसके साथ ही नौ कैदी स्नातक की पढ़ाई कर रहे हैं. पोस्ट ग्रेजुएशन करने वाले कैदी लोक प्रशासन और मास कम्यूनिकेशन जैसे विषय भी रख रहे हैं. उन्हें पढ़ाने के लिए ऑनलाइन क्लास की व्यवस्था की गई है. यही नहीं जेल में आने वाले हर व्यक्ति को साक्षर बनाने की भी पहल की जा रही है. जो कैदी जो स्वयं दूरस्थ शैक्षणिक संस्थानों के माध्यम से अपनी पढ़ाई पूरी कर रहे हैं, जेल में बंद तकरीबन 337 निरक्षर कैदियों को साक्षर बनाने में भी योगदान दे रहे हैं.

न्यूट्रीशन का कोर्स कर कैदी पहचान रहे खाने की गुणवत्ता

केंद्रीय कारा में जो कैदी अभी पढ़ाई कर रहे हैं उनमें से कैदियों की एक बड़ी संख्या न्यूट्रिशन का कोर्स भी कर रही है पिछले वर्ष जहां 153 कैदी इग्नू से सीएफएन कोर्स कर रहे थे वहीं इस वर्ष 140 कैदियों ने इसके लिए नामांकन लिया है. इसके अतिरिक्त वर्ग दशम से नीचे 562, वर्ग दशम और इंटर में 678 तथा डिप्लोमा कोर्स के लिए 22 कैदियों ने नामांकन लिया है.


कहते हैं कारा अधीक्षक : 

जेल में कैदियों के सुधार एवं उन्हें मुख्यधारा में जोड़ने के लिए कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. जिनमें शैक्षणिक तथा और रोजगार परक प्रशिक्षण भी शामिल हैं. उद्देश्य है कि सजा पूरी करने के बाद कैदी मुख्यधारा में जुड़कर अपनी आगे की जिदगी बेहतर बना सकें.

राजीव कुमार, 
कारा अधीक्षक, 
केंद्रीय कारा











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