नेताजी के राष्ट्रप्रेम को तीन पीढ़ियों ने एक साथ किया याद ..

कहना है कि संस्कार, समाज प्रेम एवं राष्ट्रप्रेम का बीजारोपण घर से ही प्रारंभ होता है. ऐसे में अपने पूर्वजों से उनकी यादें उनका अनुभव सुनकर नई ऊर्जा का संचार होता है. माताजी अपने बचपन में नेताजी सुभाष चंद्र बोस के पराक्रम, कुशाग्र बुद्धि, विद्वता एवं राष्ट्रप्रेम को सुनाया करती थी. 





- ऐप्टेक सह स्मृति कॉलेज परिसर में आयोजित था कार्यक्रम
- नेताजी सुभाष चंद्र बोस के व्यक्तित्व और कृतित्व को किया याद

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर :  पराक्रम दिवस के रूप में मनाए जा रहे नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर तीन पीढ़ियों के सदस्यों ने एक साथ नेताजी को याद किया. ऐप्टेक सह स्मृति कॉलेज परिसर में आयोजित इस उत्सव का शुभारंभ निदेशक डॉ रमेश कुमार की 89 वर्षीय माताजी श्रीमती गंगाजली देवी ने दीप प्रज्वलन कर किया. तत्पश्चात नेताजी सुबाष चंद्र बोस के तैल्य चित्र पर पुष्पार्चन कर उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर पारिवारिक चर्चा की गई.






समाजसेवी डॉ रमेश कुमार का कहना है कि संस्कार, समाज प्रेम एवं राष्ट्रप्रेम का बीजारोपण घर से ही प्रारंभ होता है. ऐसे में अपने पूर्वजों से उनकी यादें उनका अनुभव सुनकर नई ऊर्जा का संचार होता है. माताजी अपने बचपन में नेताजी सुभाष चंद्र बोस के पराक्रम, कुशाग्र बुद्धि, विद्वता एवं राष्ट्रप्रेम को सुनाया करती थी. घर में भी पूर्वज राष्ट्र को अंग्रेजों से स्वाधीन कराने को लेकर रणनीतियां बनाते रहते थे. उसमें से कुछ नेता जी के विचारों, राष्ट्रभक्ति एवं त्याग से ज्यादा प्रभावित थे. बहु डॉ उषा कुमारी का मानना है कि आज भी नेताजी करोड़ों भारतवासियों के हृदय में विराजमान हैं. 

डॉ रमेश कुमार का कहना है कि प्रखर मतभेदों के बाद भी जहां एक और नेता जी ने गांधी जी को 'राष्ट्रपिता' की उपाधि प्रदान की वहीं उनकी मृत्यु पश्चात् गांधीजी ने उन्हें पथभ्रष्ट किंतु प्रखर देशभक्त कह कर श्रद्धांजलि दी. यह विचारणीय एवं विरोधाभास लगता है. वह राजनीतिक प्रयास में भी सर्वोत्तम थे. 

तीसरी पीढ़ी के ऋषभ राय चौधरी एवं विवेक आनंद ने कहा कि सुभाष चंद्र बोस आध्यात्मिक भी थे. वह स्वामी विवेकानंद के व्यक्तित्व से प्रभावित थे एवं रामकृष्ण परमहंस को मानने वाले थे. अंत में थोड़े त्याग से समाज एवं राष्ट्र के प्रति हर नागरिकों में अगाध प्रेम उपजे, इसके लिए प्रार्थना किया गया.





Post a Comment

0 Comments