शहादत दिवस पर महात्मा गांधी को दी गई श्रद्धांजलि ..

बताया कि गांधी जी भारत एवं भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के प्रमुख राजनीतिक एवं आध्यात्मिक नेता थे राजनीतिक एवं सामाजिक प्रगति की प्राप्ति हेतु अपने अहिंसक विरोध के सिद्धांत के लिए उन्हें अंतरराष्ट्रीय ख्याति भी प्राप्त हुई विश्व स्तर पर महात्मा गांधी सिर्फ एक नाम ही नहीं अपितु शांति और अहिंसा का प्रतीक है.




- जननायक करपुरी ठाकुर महाविद्यालय में आयोजित था कार्यक्रम
- महात्मा गांधी के व्यक्तित्व तथा कृतित्व पर की गई चर्चा


बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : जननायक कर्पूरी ठाकुर विधि महाविद्यालय के सभागार में राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के तत्वधान में माला एवं पुष्प  अर्पित कर भावभीनी श्रद्धांजलि दी गई जिसकी अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ कृष्ण अली अल्बर्ट एवं संचालन एनएसएस कार्यक्रम पदाधिकारी सह जिला नोडल पदाधिकारी  प्रोफ़ेसर अखिलेश मंडल ने किया.





प्राचार्य ने बताया कि 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे द्वारा 78 वर्ष की आयु में महात्मा गांधी को गोली मारकर हत्या कर दी गई गांधी की हत्या को भारत सरकार ने शहादत दिवस के रूप में मनाने का फैसला लिया. एनएसएस कार्यक्रम पदाधिकारी ने बताया कि गांधी जी भारत एवं भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के प्रमुख राजनीतिक एवं आध्यात्मिक नेता थे राजनीतिक एवं सामाजिक प्रगति की प्राप्ति हेतु अपने अहिंसक विरोध के सिद्धांत के लिए उन्हें अंतरराष्ट्रीय ख्याति भी प्राप्त हुई विश्व स्तर पर महात्मा गांधी सिर्फ एक नाम ही नहीं अपितु शांति और अहिंसा का प्रतीक है. उन्होंने बताया कि 8 नवंबर 1949 को उनके हत्यारों को गिरफ्तार किया गया और उनका परीक्षण पंजाब उच्च न्यायालय में किया गया और फिर 15 नवंबर 1949 को उनके हत्यारे नाथूराम गोडसे को अंबाला जेल में फांसी दी गई.

अपने संबोधन में एनएसएस टीम लीडर सह बिहार राज्य एड्स नियंत्रण समिति के जिला ब्रान्ड एम्बेसडर सुंदरम  कुमार ने बताया कि गांधीजी के बारे में प्रख्यात वैज्ञानिक आइंस्टीन ने कहा था कि हजार साल बाद आने वाली नस्लें इस बात पर मुश्किल से विश्वास करेंगी कि हाड़-मांस  से बना ऐसा कोई इंसान भी इस धरती पर कभी आया था. महात्मा गांधी का उपदेश है  कि 'कमजोर कभी क्षमाशील नहीं हो सकता है, क्षमाशीलता ताकतवर की निशानी है'.

उक्त अवसर पर प्रो उपेन्द्र कुमार सिंह ,राजेन्द्र कुमार ,शिक्षकेतर धर्मेंद्र कुमार, जगरनाथ जी स्वयंसेवक गुड़िया कुमारी, मधु  मिश्रा, रामप्रतीक चौबे, सत्येंद्र यादव, किशोर ठाकुर, मनीष कुमार ने भी अपने विचार प्रकट किए.





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