रोगियों को सरकार की तरफ से अनुदान दिए जाने की व्यवस्था की गई है. हालांकि उनको पात्रता पूरी करनी होगी. ऐसे में राशन कार्ड तथा अन्य कागजात होने पर राज्य स्वास्थ्य समिति के द्वारा उनके अनुदान की व्यवस्था करते हुए अनुदान राशि को सिविल सर्जन कार्यालय के माध्यम से संचालन कर्ता कंपनी को उपलब्ध कराती है.
- स्वास्थ्य सेवाओं की बड़ी संस्था अपोलो के द्वारा किया जा रहा संचालन
- पात्रता पूरी करने पर दी जा रही है निशुल्क डायलिसिस की सुविधा
बक्सर टॉप न्यूज़ , बक्सर: सदर अस्पताल में किडनी के रोगियों के लिए डायलिसिस की नि:शुल्क तथा अनुदानित खर्च में बेहतरीन व्यवस्था की गई है, जिससे किडनी रोगियों को काफी लाभ मिल रहा है. देश की बड़ी स्वास्थ्य सेवा प्रदाता संस्थान अपोलो डायग्नोस्टिक के द्वारा इसका संचालन किया जा रहा है. अस्पताल प्रबंधक दुष्यंत कुमार ने बताया कि जिला स्वास्थ्य समिति की अनुशंसा पर राज्य स्वास्थ्य समिति के द्वारा डायलिसिस केंद्र को शुरू किया गया है. इसके संचालन का जिम्मा एक निजी एजेंसी अपोलो डायग्नोस्टिक को दिया गया है. उन्होंने बताया कि यहां पात्र रोगियों को नि:शुल्क तथा अन्य रोगियों को मामूली खर्च में डायलिसिस की सुविधा प्राप्त होती है.
उन्होंने बताया कि डायलिसिस केंद्र के फिर से शुरू हो जाने पर किडनी रोगियों को काफी सहूलियत हो रही है. खास बात यह भी है कि कहीं और डायलिसिस कराने में लगने वाले भारी-भरकम खर्च से किडनी रोगियों को छुटकारा मिल जा रहा है. निजी अस्पतालों में जहां 2 हज़ार 500 रुपये से 3 हज़ार 500 रुपये प्रति डायलिसिस खर्च आता है. वहीं यहां राशनकार्डधारी अथवा पात्रता पूरी कर रहे लोगों को निःशुल्क तथा किडनी की गंभीर बीमारी से पीड़ित किसी भी रोगी को केवल 1745 रुपये के मामूली खर्च में यह सुविधा मिलती है.
सरकार ने की है अनुदान की व्यवस्था:
डीपीएम संतोष कुमार बताते हैं कि डायलिसिस कराने वाले रोगियों को सरकार की तरफ से अनुदान दिए जाने की व्यवस्था की गई है. हालांकि उनको पात्रता पूरी करनी होगी. ऐसे में राशन कार्ड तथा अन्य कागजात होने पर राज्य स्वास्थ्य समिति के द्वारा उनके अनुदान की व्यवस्था करते हुए अनुदान राशि को सिविल सर्जन कार्यालय के माध्यम से संचालन कर्ता कंपनी को उपलब्ध कराती है.
बता दें कि, डायलिसिस एक जीवन रक्षक तकनीक है. हालांकि, यह एक अस्थायी इलाज है. उल्लेखनीय है कि जब मानव शरीर की दोनों किडनी (गुर्दा) काम करना बंद कर देती हैं, तब उसका कार्य मशीन की सहायता से किया जाता है जिसे डायालिसिस कहते हैं. इस प्रक्रिया के तहत शरीर में जमा होने वाले टॉक्सिन और अतिरिक्त पानी को बाहर निकाला जाता है.
कहते हैं सिविल सर्जन:
राज्य स्वास्थ्य समिति के निर्देश पर डायलिसिस केंद्र संचालित किया जा रहा है इससे किडनी रोगियों को काफी सहूलियत हो रही है. उन्हें डायलिसिस के भारी-भरकम खर्च से तो मुक्ति मिल ही जा रही है साथ ही साथ विश्वसनीय चिकित्सा सेवा का भरोसा भी मिल रहा है.
डॉ.जितेंद्र नाथ
सिविल सर्जन
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