वीडियो : अधिकारी के साथ बदसलूकी मामले में फंसे विधायक मुन्ना तिवारी को मिली जमानत, कहा - सत्य की होगी जीत ..

बताया कि विधायक के विरुद्ध भवन निर्माण प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता राजेंद्र प्रसाद ने वर्ष 2017 में भादवि की विभिन्न धाराओं के साथ-साथ अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज कराया था जिनमें उन्हें न्यायालय से जमानत दी गई है.




- जमानत के लिए न्यायालय में उपस्थित हुए थे सदर विधायक
- कहा, सत्य परेशान हो सकता है पराजित नहीं

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : सरकारी अधिकारी से मारपीट करने उससे रंगदारी मांगने तथा जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल करने के आरोप झेल रहे सदर विधायक संजय कुमार तिवारी मुन्ना तिवारी को अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत दर्ज मामले में न्यायालय से जमानत मिली है. अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रथम पुरुषोत्तम मिश्रा के न्यायालय से उन्हें उनकी जमानत अर्जी पर विचार करते हुए यह राहत प्रदान की गई है. जमानत लेने के लिए सदर विधायक स्वयं न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत हुए थे. जमानत मिलने के बाद दिन में तकरीबन एक बजे विधायक ने न्यायालय से प्रस्थान किया. साथ ही उन्होंने कहा कि आज न्यायालय के द्वारा उन्हें जमानत देकर यह साबित किया है कि हमेशा सत्य की जीत होती है. निश्चित रूप से अधिकारी के द्वारा दर्ज कराया गया यह मामला भी झूठा साबित होगा. उन्होंने कहा कि सत्य परेशान हो सकता है लेकिन पराजित नहीं.



न्यायालय में विधायक का पक्ष रखने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता शशिकांत उपाध्याय ने बताया कि विधायक के विरुद्ध भवन निर्माण प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता राजेंद्र प्रसाद ने वर्ष 2017 में भादवि की विभिन्न धाराओं के साथ-साथ अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज कराया था जिनमें उन्हें न्यायालय से जमानत दी गई है.

यह था मामला:

अधिवक्ता ने बताया कि भवन निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंता राजेंद्र प्रसाद ने वर्ष 2017 के सितंबर माह की 18 तारीख को नगर थाने में थाना कांड संख्या 586/17 के तहत प्राथमिकी दर्ज कराई थी, जिसमें उन्होंने यह बताया था कि उसी तारीख की रात्रि तकरीबन 8:00 बजे वह नगर थाने शांति समिति की बैठक में शामिल होकर अपने आवास पर गए तो वहां पहले से सदर विधायक मौजूद थे. विधायक ने उन्हें अपने आदमी को ठेकेदारी देने तथा उन्हें कमीशन देने की मांग की. साथ ही उनके विरुद्ध जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल करते हुए विधायक, उनके अंगरक्षक तथा उनके चार-पांच अन्य सहयोगियों ने भारतीय दंड विधान की विभिन्न धाराओं के साथ-साथ अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज कराया गया था

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