छात्रहित की आवाज उठाने पर लगा था रंगदारी मांगने का आरोप, 14 वर्ष बाद आया यह फैसला ..

कहना है कि मामला छात्रहित का था. इसे गलत रूप दे कर छात्रों के हितों के दमन का प्रयास किया गया लेकिन, सच्चाई की जीत हुई और न्यायालय से छात्रहित में फैसला आया. छात्र हितों की लड़ाई हमने लड़ी है. आगे भी जनता के हितों की लड़ाई लड़ते रहेंगे.





- वर्ष 2009 में छात्र कर्फ्यू के दौरान दर्ज हुई थी प्राथमिकी
- मामले में न्यायालय में साक्ष्य नहीं किया जा सका था प्रस्तुत

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : तकरीबन 14 साल पुराने मामले में चर्चित छात्र नेता तथा वर्तमान में भाजपा युवा मोर्चा के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य सौरभ तिवारी समेत छह लोगों को न्यायालय से दोषमुक्त करार दिया गया है. इन लोगों पर मारपीट, शैक्षणिक कार्य में बाधा डालने तथा लूट जैसे संगीन आरोप लगाए गए थे. व्यवहार न्यायालय के न्यायालय संख्या 14 में न्यायधीश हमजा आलम के द्वारा सभी आरोपियों के विरुद्ध कोई साक्ष्य नहीं होने के कारण उन्हें दोषमुक्त करार दिया गया है.

दरअसल, जिस मामले में सौरभ तिवारी तथा उनके साथियों को लुटेरा बताया गया है. वह मामला शैक्षणिक अराजकता के विरुद्ध आवाज उठाने का था. उन्होंने महर्षि विश्वामित्र महाविद्यालय कि खराब हो चुकी शैक्षणिक व्यवस्था को सुधारने के लिए आवाज उठाई थी. वहां के प्राचार्य चंद्रशेखर साहा की लेटलतीफी से त्रस्त आकर उन्होंने छात्र कर्फ्यू का आह्वान किया था. 




मामला वर्ष 2009 के 22 दिसंबर का था. इस दौरान उन्होंने अपने साथियों तथा महाविद्यालय के छात्रों के साथ मिलकर महाविद्यालय में तालाबंदी की थी. लेकिन तत्कालीन प्राचार्य ने संभवत: अपनी गलती छुपाने के लिए न सिर्फ इस आंदोलन को गलत बताया बल्कि, छात्रों का प्रतिनिधित्व कर रहे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के तत्कालीन जिला संयोजक सौरभ तिवारी, नगर मंत्री श्याम जी वर्मा नगर सह मंत्री संदीप दास कॉलेज उपाध्यक्ष अखिलेश ओझा कॉलेज मंत्री बालाजी चौबे तथा सुमित राय समेत अज्ञात बीस लोगों पर यह आरोप लगाया कि उन्होंने उनके साथ मारपीट करते हुए बीस हज़ार रुपये प्रतिमाह रंगदारी देने की मांग की थी. मामले में प्राथमिकी दर्ज हुई लेकिन छात्रों का आंदोलन रुका नहीं अंततः छात्रों की जीत हुई और शैक्षणिक व्यवस्था में सुधार हुआ तथा प्राचार्य का तबादला भी हुआ.

इधर छात्रों पर मामला दर्ज हो चुका था और पुलिस अनुसंधान में लगी हुई थी ऐसे में पुलिस ने आरोप पत्र भी समर्पित किया लेकिन, आरोप लगाने वालों की तरफ से ऐसा कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया जिससे कि आरोप सिद्ध हो सके ऐसे में सभी को न्याय मिला और उन्हें दोषमुक्त करार दिया गया. मामले में सौरभ तिवारी समेत सभी छात्र नेताओं का पक्ष रख रहे रामाकांत चौबे ने बताया कि न्यायालय के समक्ष ऐसा कोई भी साक्ष नहीं रखा गया जिससे कि आरोप सही साबित हो सके.

सौरभ तिवारी का कहना है कि मामला छात्रहित का था. इसे गलत रूप दे कर छात्रों के हितों के दमन का प्रयास किया गया लेकिन, सच्चाई की जीत हुई और न्यायालय से छात्रहित में फैसला आया. छात्र हितों की लड़ाई हमने लड़ी है. आगे भी जनता के हितों की लड़ाई लड़ते रहेंगे.


फैसले के दौरान न्यायालय में एनएसयूआई के प्रभाकर ओझा, सामाजिक कार्यकर्ता गिट्टू तिवारी, भाजपा नेता राहुल दूबे, लोजपा नेता सुप्रभात गुप्ता, संजीव तिवारी, अमित सिंह, गोलू चौबे, अंकित मिश्रा समेत अन्य संगठनों के भी छात्रनेता व सामाजिक कार्यकर्ता मौजूद थे.




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