मंगलवार को प्रदेश की हवा में सबसे ज्यादा प्रदूषण बक्सर में रिकार्ड किया गया. यहां एयर क्वालिटी इंडेक्स 332 रिकार्ड किया गया. इस प्रकार प्रदेश में जहां वायु प्रदूषण में अपना जिला सबसे आगे है वहीं देश भर में इसका स्थान तीसरा है. राजधानी पटना की बात करें तो वहां हवा में प्रदूषण की मात्रा 323 एक्यूआई रही.
- पछुआ हवा में आई तेजी तो धूल से भरा वायुमंडल
- राजस्थान की राजधानी में भी नहीं है बक्सर जिला वायु प्रदूषण
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : पिछले कई सालों से डंपिंग जोन के अभाव में जहां जल स्रोतों को प्रदूषित किए जाने की प्रक्रिया अनवरत जारी है वहीं अब हवा भी सर्वाधिक प्रदूषित हो गई है. माना जा रहा है कि प्रदेश में पछुआ हवा की गति में तेजी आने से पूरा वातावरण धूल से भर गया है. बक्सर में राष्ट्रीय राजमार्ग-84 के निर्माण के साथ-साथ शहर की सड़कों पर पड़ी धूल ने बक्सर के वातावरण को देश की राजधानी दिल्ली तथा राजस्थान की राजधानी जयपुर से ज्यादा धूलकण से भरा बना दिया हैं हालांकि, प्रशासन इस बात को बेहद गंभीरता से ले रही है और नगर में वन लगाने की तैयारी कर रही है. इसके अतिरिक्त सड़कों पर पड़ी धूल को हटाने का निर्देश नगर परिषद दिया जा चुका है.
दरअसल, मंगलवार को प्रदेश की हवा में सबसे ज्यादा प्रदूषण बक्सर में रिकार्ड किया गया. यहां एयर क्वालिटी इंडेक्स 332 रिकार्ड किया गया. इस प्रकार प्रदेश में जहां वायु प्रदूषण में अपना जिला सबसे आगे है वहीं देश भर में इसका स्थान तीसरा है. राजधानी पटना की बात करें तो वहां हवा में प्रदूषण की मात्रा 323 एक्यूआई रही. राजधानी से सटे दानापुर में 316 एक्यूआइ की मात्रा रिकार्ड की गई. जबकि राजस्थान की राजधानी जयपुर में 220 एक्यूआइ एवं अजमेर में 226 एक्यूआइ रिकार्ड की गई. इतना ही नहीं बिहार जितना प्रदूषण दिल्ली में भी नहीं है, दिल्ली के वातावरण में 209 एवं नोयडा में 212 एक्यूआइ प्रदूषण रिकार्ड किया गया.
पछुआ हवा दिन भर उड़ाती है किला मैदान की धूल, पूरे नगर में पसरे कचरे से भी फैलता है डस्ट :
सामाजिक कार्यकर्ता सुबाष साह बताते हैं कि नगर के किला मैदान से पूरे दिन धूल के कण उड़कर वायुमंडल को प्रदूषित करते रहते हैं. इसके अतिरिक्त डंपिंग जोन के आभाव की बात कहते हुए नगर परिषद ने पूरे शहर में कई स्थानों पर अघोषित डंपिंग जोन बना रखें हैं. यहां से उड़ने वाली धूल भी वायुमंडल में घुलकर लोगों की सेहत के लिए भी काफी नुकसानदायक साबित हो रही है. सड़कों पर पड़ी धूल भी वायु प्रदूषण का एक प्रमुख कारण है. आश्चर्यजनक रूप से नगर परिषद इन सभी विषयों पर मौन साढ़े हुए है.
सांस के मरीजों की बढ़ सकती एलर्जी की समस्या, चिकित्सक ने बताया मास्क को जरूरी :
वातावरण में प्रदूषण बढ़ने से सांस के मरीजों में एलर्जी की समस्या गंभीर रूप ले सकती है. प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ दिलशाद आलम का कहना है कि सांस के मरीजों को बेहद सावधान रहने की जरूरत है. मास्क उनके लिए काफी उपयोगी हो सकता है. साथ ही शाम में साफ पानी से हाथ-पैर और चेहरे को अच्छी तरह से धोना बहुत जरूरी है. सांस पर नियंत्रण वाले योगाभ्यास से भी लोगों को लाभ मिल सकता है.
एसडीम ने कहा, नगर वन विकसित करने की तैयारी में प्रशासन, जल्द मिलेगा डंपिंग ज़ोन :
एसडीएम धीरेंद्र कुमार मिश्र कहते हैं कि निश्चय ही प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ गया है. जिला पदाधिकारी अमन समीर भी इस बात को लेकर काफ़ी गंभीर हैं. उनके निर्देश के बाद नगर में नगर वन विकसित करने की तैयारी की जा रही है. इसके लिए सात एकड़ जमीन की तलाश की जा रही है. जहां पौधे लगाकर उसे वन क्षेत्र के रूप में विकसित किया जाएगा उम्मीद है कि इससे वायु प्रदूषण काफी हद तक कम होगा. इसके साथ ही डंपिंग जोन की तलाश भी अंतिम चरण में है. पिछले ही दिनों जिला पदाधिकारी ने नगर की सड़कों पर उड़ रही धूल को लेकर भी आपत्ति जताई थी और नगर परिषद को निर्देशित किया था कि सड़कों की नियमित रूप से साफ किया जाए. नगर परिषद संदर्भ में पहल कर रहा है लेकिन इसे और बेहतर ढंग से किए जाने की जरूरत है. इसके अतिरिक्त एनएच - 84 का निर्माण सम्पन्न होने के बाद बाद भी कुछ राहत होगी.
प्रदेश के प्रमुख शहरों की सूची तथा प्रदूषण की मात्रा (एक्यूआइ में)
बक्सर : 332
मुंगेर : 306
पटना : 323
दानापुर : 316
मुजफ्फरपुर : 273
समस्तीपुर : 289
दरभंगा : 286
मोतिहारी : 269
आरा : 273
सिवान : 278
भागलपुर : 223
कटिहार : 258
औरंगाबाद : 267
प्रदेश में सबसे बेहतर वातावरण
पूर्णिया : 81
गया : 151
देश के प्रमुख शहरों का एक्यूआई :
दिल्ली : 209
नोएडा: 212
फरीदाबाद : 240
गुडग़ांव : 270
मेरठ : 233
अजमेर : 226
जयपुर : 220
अंबाला : 208
ग्वालियर : 220
देश के सर्वाधिक प्रदूषित शहर
सिंगरौली : 340
दुर्गापुर : 334
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