वीडियो : बड़ी ख़बर : टूट कर गिरी रेडक्रॉस रक्त अधिकोष की छत, कर्मी हुए भयभीत, अब टूट रहा लोगों का भरोसा ..

बताया कि अधिकोष में कोई भी पदाधिकारी कभी बैठा हुआ नहीं देखा जाता. ऐसा कभी कभार ही होता है कि जब कोई पदाधिकारी अधिकोष में बैठे मिलते हैं. दबी जुबान से उन्होंने यह भी बताया कि अध्यक्ष स्वयं दूसरे जिले में बतौर सरकारी चिकित्सक नौकरी करते हैं वहीं, अन्य पदाधिकारी भी अपने दूसरे कामों में इतने व्यस्त रहते हैं कि वह कभी भूले-भटके ही अधिकोष का रुख करते हैं.







- जर्जर भवन के साथ-साथ साफ सफाई की हालत भी खस्ता
- कहते हैं कर्मी, कभी भी हो सकता है हादसा, नौकरी जाने के भय से रहते हैं मौन

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : रेडक्रॉस के रक्त अधिकोष का जर्जर भवन अब टूट कर बिखरने लगा है. सोमवार की देर रात भवन की छत टूट कर गिर गई. गनीमत यह थी कि उस वक्त कोई कर्मी अधिकोष में मौजूद नहीं था वरना किसी बड़ी दुर्घटना से इनकार नहीं किया जा सकता था. सुबह में जब कर्मियों ने दरवाजा खोला तो उन्होंने पाया कि छत का एक टुकड़ा जमीन पर गिरा हुआ था. अधिकोष के भवन की छत टूटकर गिरने के बाद यह बात पूरी तरह से साफ हो गई है कि जिला मुख्यालय में स्थित रेडक्रॉस के रक्त कोष में कभी भी लोगों की जान जा सकती है. यहां के कर्मी अपनी जान जोखिम में डालकर काम करते हैं. इतना ही नहीं यहां रक्त लेने अथवा रक्तदान करने पहुंचने वाले लोगों की जान पर भी हमेशा खतरा मंडराता रहता है. खास बात यह है कि यहां के कर्मी अपनी नौकरी जाने के डर से कुछ भी कहने से डरते हैं और यहां के पदाधिकारी केवल समस्याओं को लगातार दरकिनार कर खानापूर्ति करते नजर आते हैं. 

बताया जा रहा है कि रेड क्रॉस के द्वारा संचालित रक्त अधिकोष में तमाम अनियमितताएं हैं, जिनके बीच रक्तदाता रक्तदान करने अथवा जरूरतमंद रक्त प्राप्त करने आते हैं लेकिन, प्रतिवर्ष लाखों रुपये खर्च करने के बावजूद यहां ना तो साफ-सफाई की व्यवस्था दिखाई देती है, और ना ही रक्तदाता एवं रक्त प्राप्तकर्ताओं के लिए कोई विशेष सुविधा. यहां अधिकोष के बाहरी परिसर और अंदर दोनों जगहों पर केवल गंदगी पसरी नजर आती है.



गंदगी लोगों को कर सकती है संक्रमित :

मजदूर नेता तथा रेडक्रॉस लाइफटाइम मेंबर प्रदीप शरण का कहना है कि यहां जिस प्रकार गंदगी फैली है. ऐसे में रक्त लेने के लिए पहुंचने वाले लोगों के बीच संक्रमण का खतरा मंडराता रहता है. जहां रक्तदान कराया जा रहा है वह कक्ष धूल-धूसरित है.साथ ही साथ दीवारों पर लगे मकड़ी के जाले देखने से ऐसा लगता है जैसे उन्हें महीनों से साफ नहीं किया गया हो. ऐसे में विश्व की एक बड़ी संस्था जिसकी बेहतरी के लिए लोग दान ही करते हैं उस पर से लोगों का भरोसा उठता जा रहा है. उन्होंने कहा कि यहां के अधिकारी केवल खबरों में अपना नाम देखने और छपवाने की फिराक में रहते हैं रक्त अधिकोष की बेहतरी के लिए उनका कोई प्रयास नहीं है.


ऑडिट के पूर्व कराया गया था रंग रोगन :

नाम छापने से डरे रेडक्रॉस रक्त अधिकोष में कार्यरत कर्मियों ने बताया कि वर्ष 2019 में ऑडिट के पूर्व यहां रंग-रोगन का कार्य कराया गया था लेकिन उस वक्त भी इस भवन की मरम्मत नहीं कराई गई. नतीजा यह हुआ अब उन्हें अपनी जान बचाकर एक सुरक्षित कक्ष में बैठकर काम करना पड़ता है दूसरे कक्ष में वह तभी जाते हैं जब कोई विशेष आवश्यकता होती है क्योंकि उन्हें डर बना रहे कि कभी भी भवन का कोई टुकड़ा उनके शरीर पर गिर कर उनकी जान भी ले सकता है.

अधिकोष में नहीं बैठता है कोई पदाधिकारी :

नियमित रक्तदान करने वाले लोगों ने बताया कि अधिकोष में कोई भी पदाधिकारी कभी बैठा हुआ नहीं देखा जाता. ऐसा कभी कभार ही होता है कि जब कोई पदाधिकारी अधिकोष में बैठे मिलते हैं. दबी जुबान से उन्होंने यह भी बताया कि अध्यक्ष स्वयं दूसरे जिले में बतौर सरकारी चिकित्सक नौकरी करते हैं वहीं, अन्य पदाधिकारी भी अपने दूसरे कामों में इतने व्यस्त रहते हैं कि वह कभी भूले-भटके ही अधिकोष का रुख करते हैं.

सचिव ने कहा सुनती नहीं है राज्य व जिला स्वास्थ्य समिति :

मामले में सचिव डॉ श्रवण कुमार तिवारी कहते हैं कि रेड क्रॉस जर्जर भवन की मरम्मत के लिए कई बार जिला एवं राज्य स्वास्थ्य समिति से पत्राचार किया गया बावजूद इसके अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई, जिसके कारण यथास्थिति बनी हुई है. उन्होंने बताया कि बरसात के दिनों में छत पर पानी जमा हो जाने के कारण छत की यह हालत हो रही है. पिछले दिनों जिला स्वास्थ समिति के द्वारा यह भी बताया गया कि भवन की मरम्मत के लिए स्वर्ण आया है लेकिन, अब तक अज्ञात कारणों से भवन की मरम्मत नहीं हो सकी है. यह पूछे जाने पर कि भवन गिरने से हुई मौत के जिम्मेदार कौन होंगे? डॉ तिवारी ने कहा कि ऐसा होने की संभावना कम है. फिर भी यदि भवन की स्थिति बहुत ज्यादा खराब होगी तो उसे बनाने के लिए रेड क्रॉस के सभी पदाधिकारी बैठक कर उचित निर्णय लेंगे.

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