तालाब की जमीन का अतिक्रमण, अमृत सरोवर के निर्माण पर लगा ग्रहण ..

दो एकड़ चार डिसमिल जमीन खतियान में आनाबाद बिहार सरकार के नाम से दर्ज है, जिसमें पोखरा निर्मित है परंतु, अधिकांश जमीन का अतिक्रमण कर लिया गया है. अतिक्रमणकारी अब सरकारी जमीन छोड़ने को तैयार नहीं हैं. हाल ही में जब जिला प्रशासन के द्वारा इस तालाब को अमृत सरोवर के रूप में चयनित कर मनरेगा के तहत से खुदाई शुरू की गई तो यह देखा गया कि इसका एक बड़ा भूभाग अतिक्रमित है. 







- सिमरी प्रखंड के काज़ीपुर पंचायत के स्थानीय गांव का है मामला
- लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के समक्ष दर्ज कराई गई शिकायत

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : एक तरफ जहां सिमरी प्रखंड के काजीपुर में पूर्व से ही कई गड्ढों के अतिक्रमण के संदर्भ में स्थानीय लोगों के द्वारा लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के यहां की गई शिकायत तथा इसके आलोक में दिए गए आदेश के बावजूद अब तक अतिक्रमण नहीं हटाया जा सका है वहीं, इसी पंचायत के स्थानीय गांव में अमृत सरोवर के लिए चयनित तलाब का एक तिहाई भाग अतिक्रमण की चपेट में आ गया है. जिन लोगों ने उस जमीन पर कब्जा जमाया है वह उसे छोड़ने को तैयार नहीं हैं. ऐसे में सरोवर के सौंदर्यीकरण का मामला जब लटकने लगा तो पंचायत के बाद सदस्यों ने अनुमंडल लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के समक्ष परिवाद दायर कर सरकारी जमीन की मापी करते हुए अतिक्रमण मुक्त कराने की अपील की है.


शिकायतकर्ता अशर्फी अंसारी,  शांति देवी, रीना देवी, धर्मेंद्र चौधरी, कुसुमी देवी, सरवरी बेगम रेशमा खातून, सुनीता देवी तथा अन्य शिकायतकर्ता वार्ड सदस्यों ने बताया है कि दो एकड़ चार डिसमिल जमीन खतियान में आनाबाद बिहार सरकार के नाम से दर्ज है, जिसमें पोखरा निर्मित है परंतु, अधिकांश जमीन का अतिक्रमण कर लिया गया है. अतिक्रमणकारी अब सरकारी जमीन छोड़ने को तैयार नहीं हैं. हाल ही में जब जिला प्रशासन के द्वारा इस तालाब को अमृत सरोवर के रूप में चयनित कर मनरेगा के तहत से खुदाई शुरू की गई तो यह देखा गया कि इसका एक बड़ा भूभाग अतिक्रमित है. 



पहले से भी अतिक्रमित है सरकारी गड्ढा, एसडीएम के नोटिस को भी दिखाया ठेंगा :

स्थानीय निवासियों ने यह भी बताया कि पिछले ही दिनों सरकारी गड्ढे के अतिक्रमण को लेकर लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के आदेश के बाद अनुमंडल पदाधिकारी के द्वारा नौ लोगों को चिन्हित करते हुए जमीन खाली करने के लिए नोटिस निर्गत किया गया लेकिन, अतिक्रमण हटाने के लिए तय समय अवधि खत्म होने के बावजूद अब तक किसी तरह की कार्रवाई नहीं की गई है.


















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