वीडियो : नहीं आई कोरोना की चौथी लहर लेकिन, गंगा में बहने लगी लाशें ..

पिछले ही दिनों बक्सर के रामरेखा घाट पर सांस्कृतिक कार्यक्रम तथा संकल्प सभा का आयोजन कर लोगों से गंगा को स्वच्छ बनाए रखने में मदद करने की अपील की गई थी लेकिन, बुधवार को जब गंगा में फिर से लाशें बहती हुई दिखाई दी तो यह साफ हो गया कि जो संकल्प लोगों ने लिया था वह केवल हवा-हवाई ही था.







- रामरेखा घाट पर एक साथ बहुत ही दिखे चार लाशें
- सूचना के घंटों बाद भी नगर परिषद ने नहीं की लाशों के निस्तारण की व्यवस्था
- नमामि गंगे परियोजना के नाम पर अरबों के खर्च पर भी उठ रहा सवाल

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : देश में संक्रमण की चौथी रहा अभी पूरी तरह से आई भी नहीं कि बक्सर एक बार फिर चर्चा में आ गया. बक्सर इस बार भी गंगा में बहती लाशों की वजह से चर्चा में है. वर्ष 2021 में जिस प्रकार से चौसा में एक साथ कई दर्जन लाशें बहती हुई पाई गई थी वही एक बार फिर रामरेखा घाट पर कुछ वैसे ही तस्वीर सामने आई हैं. मजे की बात तो यह है कि पिछली दफा जब लाशें मिली थी उस वक्त प्रशासन के द्वारा बड़े-बड़े दावे भी किए गए थे. प्रशासन का यह कहना था कि घाटों की निगरानी की जा रही है. साथ ही लोगों को जागरूक भी किया जा रहा है लेकिन, सच्चाई यह है कि अभी भी ना तो निगरानी जैसी कोई बात देखने को मिल रही है और ना ही लोगों में जागरूकता आ रही हैं. नतीजा यह हो रहा है कि पतित पावनी गंगा एक बार फिर मैली होती दिखाई दे रही है.


रामरेखा घाट पर हो रहे घाट निर्माण में मजदूर के तौर पर काम कर रहे हैं सत्येंद्र मेहता तथा अजय कुमार सिंह बताते हैं कि वहां काम कर रहे थे तभी किसी ने यह बताया कि गंगा में लाशें बह रही हैं. जिसके बाद उन्होंने देखा तो एक नहीं चार चार लाशें गंगा के किनारे वह रही थी. जिनमें तीन पुरुष व एक महिला की लाश है.


खर्च अरबों लेकिन सफाई की बात हवा-हवाई : 

सरकार के द्वारा जारी रिपोर्ट पर गौर करें तो हर वर्ष अरबों की राशि गंगा की स्वच्छता के नाम पर खर्च होती है. स्वच्छता के प्रति जागरूकता के लिए रैलियां और सभाएं निकालकर भी लाखों रुपयों का खर्च किया जाता है. पिछले ही दिनों बक्सर के रामरेखा घाट पर सांस्कृतिक कार्यक्रम तथा संकल्प सभा का आयोजन कर लोगों से गंगा को स्वच्छ बनाए रखने में मदद करने की अपील की गई थी लेकिन, बुधवार को जब गंगा में फिर से लाशें बहती हुई दिखाई दी तो यह साफ हो गया कि जो संकल्प लोगों ने लिया था वह केवल हवा-हवाई ही था.

अंधविश्वास के कारण प्रवाहित की जाती है लाशें :

रामरेखा घाट गंगा आरती सेवा ट्रस्ट के पुजारी अमरनाथ पांडेय उर्फ लाला बाबा बताते हैं कि कुछ लोग अंधविश्वास में शवों को गंगा में बहा देते हैं. उनका ऐसा मानना है कि कुष्ठ रोगियों अथवा किसी अन्य प्रकार की बीमारी से मृत लोगों को गंगा में प्रवाहित कर देना चाहिए लेकिन, वह लोग यह नहीं सोचते कि जीवनदायिनी गंगा ऐसा करने से कितनी प्रदूषित हो जाएंगी. लोगों को चाहिए कि यदि वह शवों का अंतिम संस्कार करने में सक्षम नहीं है तो उन्हें कहीं दफन कर दें और अगर उन्हें माता गंगा में आस्था है तो वह गंगाजल की बूंदे ले जाकर वहां अर्पित कर दे लेकिन गंगा में लाशें बहाना कतई उचित नहीं.

सूचना के बाद भी घंटो तक नहीं पहुंचे के जिम्मेदार लोग :

मामले में नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी प्रेम स्वरूपम से बात की गई तो उन्होंने बताया कि वह पटना में किसी मीटिंग में व्यस्त हैं लेकिन, वह तुरंत इस मामले को लेकर बक्सर में मौजूद नव के पदाधिकारियों को निर्देश दे रही हैं. लेकिन, कार्यपालक पदाधिकारी के इस कथन का अनुपालन घंटों तक होता नहीं दिखाई दिया. बाहर हाल अपने कार्यकलापों से सदैव चर्चा में रहने वाले नगर परिषद से इस से ज्यादा कुछ उम्मीद भी नहीं की जा सकती है लेकिन, इन सब के बाद एक बात पूरी तरह साफ है कि गंगा में लाशों का मिलना कहीं ना कहीं पतित-पावनी गंगा की सेहत पर मंडरा रहे एक बड़े खतरे की ओर इशारा कर रहा है.

वीडियो : 


















 














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