विश्व मजदूर दिवस पर बुलंद हुई मजदूरों की आवाज ..

बताया गया कि भारत वर्ष में सबसे पहले 1 मई 1930 को पहली बार हिंदुस्तान लेबर पार्टी ने मजदूर दिवस मनाने की शुरुआत की थी. उन्होंने कहा कि आज भी परिस्थितियां 1886 की तरह ही बन रही हैं. आज हर सेक्टर में कंपनी 12 घंटे की तय सीमा पर काम करवा रही है जबकि, मजदूरी सरकार के द्वारा तय मूल्य पर भी कम मिल रही है. 








- रैली निकाल लगाए गए इंकलाब के नारे, वर्तमान स्थिति पर जताया रोष
- सभा में वक्ताओं ने बताया मजदूर दिवस का इतिहास


बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : विश्व मजदूर दिवस के मौके पर जिला कामगार यूनियन के द्वारा एक जुलूस निकाल कर नगर के मुख्य मार्गो प्रदर्शन करते हुए किला मैदान में एक सभा की गई. मजदूर दिवस को यादगार बनाने के लिए जिला कामगार यूनियन के सैकड़ों पुरुष महिला सदस्य एकजुट होकर एक 11:00 बजे दिन से रामरेखा घाट, पीपरपांती रोड, यमुना चौक होते हुए भगत सिंह पार्क पहुंचे, जहां भगत सिंह की प्रतिमा पर माल्यार्पण करते हुए पुनः यमुना चौक ठठेरी बाजार बड़ी मस्जिद होते हुए किला मैदान में पहुंचकर एक सभा की गई. सभा की अध्यक्षता कामगार यूनियन के महासचिव कामरेड सुदर्शन प्रसाद वर्मा कर रहे थे. इस दौरान इंकलाब जिंदाबाद, मज़दूर एकता जिंदाबाद के नारे से पूरा नगर गुंजायमान हो उठा. 





मजदूर दिवस की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए वक्ताओं ने कहा कि शिकागो शहर में 1 मई 1886 को मजदूरों की एक सभा में किसी ने गोलियों की बौछार कर दी थी, जिसमें अनेक मजदूर मारे गए. मजदूरों की यह सभा मजदूरों के काम की सीमा 12 और 16 घटाकर 8 घंटे करने के लिए बुलाई गई थी लेकिन, इस सभा में सैकड़ों मजदूरों को मारा गया. 4 मई 1886 को अमेरिका में मजदूरों की एक बैठक में यह फैसला लिया गया कि प्रतिवर्ष 1 मई को पूरी दुनिया में मजदूर दिवस मनाया जाएगा. जिसका मकसद यह था कि मजदूरों की रक्षा करते हुए उनके हितों की रक्षा की जाए. 

मौके पर वक्ताओं ने कहा कि जो भी व्यक्ति काम करता उसे मजदूर कहते हैं. चाहे वह शारीरिक रूप से काम करता हो अथवा कलम से करता हो. सभा में यह भी बताया गया कि भारत वर्ष में सबसे पहले 1 मई 1930 को पहली बार हिंदुस्तान लेबर पार्टी ने मजदूर दिवस मनाने की शुरुआत की थी. उन्होंने कहा कि आज भी परिस्थितियां 1886 की तरह ही बन रही हैं. आज हर सेक्टर में कंपनी 12 घंटे की तय सीमा पर काम करवा रही है जबकि, मजदूरी सरकार के द्वारा तय मूल्य पर भी कम मिल रही है. भारत सरकार के नए श्रम कानूनों से मजदूर वर्ग हाशिए पर ढकेल दिया गया है. इस दौर में मजदूरों के हित का जमकर शोषण हो रहा है. जनसभा के दौरान पूर्व सांसद कामरेड तेज नारायण सिंह एटक के महासचिव ज्योतिश्वर सिंह, सीपीआई नेता नागेंद्र मोहन सिंह, वंश नारायण सिंह, सलाउद्दीन अंसारी, कामगार यूनियन के कामरेड सुदर्शन प्रसाद वर्मा, शशि रावत, ललन प्रसाद, लकी जायसवाल, सोनेलाल राम, सीमा देवी, मुनिया देवी, नंदकिशोर यादव, शब्बीर शाह, बबलू राज, क्षितिज केसरी, कमल राय, संतोष कुमार, रामविलास राजभर, गोरख पासवान, रविंद्र प्रसाद सहित सैकड़ों लोग मौजूद रहे.

















 














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