वीडियो : सदर अस्पताल 90 के जगह 17 चिकित्सक, रोगियों की बढ़ी परेशानी ..

चिकित्सकों की कमी के कारण मरीजों को जब परेशानी होती है उसी वक्त सदर अस्पताल में इधर-उधर घूम रहे दलाल उन्हें बाहर के निजी स्वास्थ्य केंद्रों का रास्ता दिखाते हैं. कई बार इन दलालों पर नकेल कसने की कोशिश अस्पताल प्रबंधन के द्वारा की गई लेकिन यह कोशिश कभी सफल नहीं हो सकी. 




- नवजात शिशु गहन चिकित्सा केंद्र में चिकित्सक की कमी के बाद उग्र हुए थे बच्चे के परिजन
- सामने आई बात तो सिविल सर्जन ने बताई चिकित्सकों की कमी की व्यथा

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : सदर अस्पताल में चिकित्सकों की भारी कमी है. जिससे कि स्वास्थ्य व्यवस्था प्रभावित हो रही है." यह कहना है सिविल सर्जन डॉ. जितेंद्र नाथ का. उन्होंने बताया कि यहां चिकित्सकों के तकरीबन 90 पद हैं लेकिन सदर अस्पताल में केवल 17 या 18 चिकित्सक निश्चित रूप से काम प्रभावित होता है. 

दरअसल, सिविल सर्जन एसएनसीयू में चिकित्सकों के नहीं होने इस सवाल का जवाब दे रहे थे. पहले तो उन्होंने यह बताया कि एसएनसीयू में चिकित्सक के रूप में डॉ आर के गुप्ता एवं एक अन्य चिकित्सक की ड्यूटी है लेकिन, बाद में जब उनसे यह कहा गया कि डॉ आर के गुप्ता ओपीडी देख रहे थे और एसएनसीयू में कोई चिकित्सक नहीं थे, तो उन्होंने यह साफ तौर पर स्वीकार किया कि सदर अस्पताल में चिकित्सकों की भारी कमी है.




हुआ यूं कि नगर के वार्ड नंबर 12 के निवासी हेमंत कुमार त्रिपाठी नामक व्यक्ति ने अपनी पत्नी को प्रसव पीड़ा होने पर सदर अस्पताल में भर्ती कराया था, जहां बच्चे का जन्म होने के पश्चात उसकी तबीयत खराब हो गई. ऐसे में चिकित्सकों ने उसे नवजात शिशु चिकित्सा भर्ती कराने को कहा जब वह बच्चे को लेकर नवजात शिशु चिकित्सा केंद्र में पहुंचे तो वहां उन्हें कोई भी चिकित्सक नहीं मिला. वैसे तो उनके बच्चे को एडमिट तो करा दिया गया लेकिन उसे देखने के लिए कोई चिकित्सक नहीं पहुंच सका था. बाद में उन्होंने इस बात को लेकर हंगामा शुरू किया, जिसके बाद ओपीडी में मरीजों को देख रहे अस्पताल उपाधीक्षक आरबी श्रीवास्तव ने शिशु का इलाज किया. यह मामला तो शांत हो गया लेकिन चिकित्सकों की कमी का सवाल सामने यक्ष प्रश्न बनकर सामने खड़ा हो गया.

पुराने चिकित्सक समझते हैं जिम्मेदारी, नए निभाते हैं ड्यूटी :

दबी जुबान से अस्पताल कर्मी बताते हैं कि सदर अस्पताल की चिकित्सा व्यवस्था केवल कुछ पुराने चिकित्सकों पर टिकी हुई है वह ना सिर्फ ड्यूटी के अतिरिक्त भी चिकित्सा का कार्य करते हैं बल्कि प्रशासनिक बैठक एवं न्यायालय के कार्यों को भी बखूबी निभाते हैं जबकि, कई नए-पुराने चिकित्सक निर्धारित ड्यूटी के अतिरिक्त कार्य नहीं करना चाहते. ऐसे में कई चिकित्सक अतिरिक्त ड्यूटी करते करते कई तरह की स्वास्थ्य परेशानियों से भी ग्रसित हो गए हैं.

दिन भर सदर अस्पताल में जमे रहते हैं दलाल : 

सदर अस्पताल में दलालों का जमावड़ा दिनभर बना रहता है. चिकित्सकों की कमी के कारण मरीजों को जब परेशानी होती है उसी वक्त सदर अस्पताल में इधर-उधर घूम रहे दलाल उन्हें बाहर के निजी स्वास्थ्य केंद्रों का रास्ता दिखाते हैं. कई बार इन दलालों पर नकेल कसने की कोशिश अस्पताल प्रबंधन के द्वारा की गई लेकिन यह कोशिश कभी सफल नहीं हो सकी. 

व्यवस्था सुधारने की कोशिश का दावा कर रहे हैं सिविल सर्जन :

सिविल सर्जन डॉक्टर जितेंद्र नाथ का कहना है कि चिकित्सकों की घोर कमी के बावजूद किसी तरह वह सामंजस्य बैठा कर सदर अस्पताल का संचालन करा रहे हैं लेकिन, यह आवश्यक है कि नए चिकित्सकों की बहाली की जाए.

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