आदेश में कहा है कि तय समयावधि में भुगतान नहीं करने पर ब्याज की दर को बढ़ा कर भुगतान करना होगा. उपभोक्ता फोरम के इस फैसले पर परिवादी ने संतोष व्यक्त किया है और कहा है कि न्याय भले ही विलंब से मिला लेकिन पूरा मिला.
- भारतीय जीवन बीमा निगम के खिलाफ उपभोक्ता फोरम का फैसला
- मृत्यु दावा भुगतान में आनाकानी पर उपभोक्ता फोरम का सख्त आदेश
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : उपभोक्ता फोरम के द्वारा शुक्रवार को भारतीय जीवन बीमा निगम के विरुद्ध सुनाए गए फैसले में एलआइसी की सेवा में त्रुटि पाते हुए परिवादी को बीमा की रकम तथा बीमा धारक की मृत्यु से लेकर अब तक कुल सात सालों का ब्याज व पंद्रह हजार रुपये नकद भी भुगतान करने का निर्देश दिया है. इसके लिए उपभोक्ता फोरम ने एलआइसी को तीन माह का समय भी दिया है. सेवानिवृत्त न्यायाधीश सह जिला उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष कृष्ण प्रताप सिंह ने अपने आदेश में कहा है कि तय समयावधि में भुगतान नहीं करने पर ब्याज की दर को बढ़ा कर भुगतान करना होगा. उपभोक्ता फोरम के इस फैसले पर परिवादी ने संतोष व्यक्त किया है और कहा है कि न्याय भले ही विलंब से मिला लेकिन पूरा मिला.
इस संदर्भ में जानकारी देते हुए उपभोक्ता फोरम में परिवादी के अधिवक्ता विष्णु दत्त द्विवेदी ने बताया कि डुमरांव के अवतार बंगाली गली के निवासी ज्ञान सागर ने भारतीय जीवन बीमा निगम के खिलाफ परिवाद दायर किया था, जिसमें उन्होंने बताया था कि उनकी माता चिंता देवी ने भारतीय जीवन बीमा निगम से वर्ष 2015 में 'जीवन आनंद' नामक बीमा पालिसी ली थी. इस पॉलिसी में दो लाख का इंश्योरेंस किया गया था. पालिसी में नामिनी के रूप में उनके पुत्र ज्ञान सागर थे. इस बीमा पालिसी की किश्तें वर्ष 2015 एवं 2016 में भरी गई थी. इसी बीच चिंता देवी की मृत्यु हो गई, जिसके बाद उनके पुत्र नॉमिनी होने के नाते विहित प्रपत्र में आवेदन देकर क्लेम किया लेकिन, उन्हें बार-बार टरकाया जाता रहा. अंत में 17 जुलाई 2017 को उनके आवेदन को रद्द कर दिया गया और यह कहा गया कि मृतका पूर्व से असाध्य बीमारी से ग्रसित थी. बीमा पालिसी लेते वक्त इस बात को छिपाया गया था ऐसे में मृत्यु दावा का भुगतान नहीं किया जा सकता है.
इस मामले को लेकर ज्ञान सागर ने उपभोक्ता न्यायालय का दरवाजा खटखटाया, जिसके बाद न्यायालय के द्वारा दोनों पक्षों की बातों को सुनने के बाद यह फैसला दिया कि मृतक चिंता देवी के नॉमिनी ज्ञान सागर को मृत्यु दावा के रूप में दो लाख रुपये नकद एवं मृत्यु की तिथि से भुगतान के समय तक 6.25 फीसद की दर से ब्याज का भुगतान भी किया जाए. इतना ही नहीं इसके अतिरिक्त उन्हें पन्द्रह हज़ार रुपये अलग से बतौर जुर्माना दिए जाने का भी आदेश सुनाया गया है और कहा गया है कि तीन माह के अंदर का भुगतान कर दिया जाए अन्यथा उन्हें आठ फीसद ब्याज के साथ भुगतान करना होगा.
0 Comments