श्रीराम कथा व विराट संत समागम को लेकर हुई बैठक ..

कहा कि बक्सर पर्यटन के रूप में अंतरराष्ट्रीय स्थान प्राप्त करें इसके लिए लगातार प्रयास जारी है. भगवान श्रीराम से जुड़ा बक्सर एक महत्वपूर्ण स्थान है. यह जिला आध्यात्मिक व सांस्कृतिक ऊर्जा से ओतप्रोत है. सदियों से दिव्य भूमि है. यहां बड़ी संख्या में तीर्थटन के लिए सभी आए, यह लक्ष्य है.




- केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने कहा, देश के धार्मिक व आध्यात्मिक केंद्रों से बक्सर पधारेंगे संत व महात्मा
- पद्मविभूषण तुलसीपीठाधीश्वर, चित्रकूट धाम, जगतगुरु रामानंदाचार्य स्वामी श्री रामभद्राचार्य जी व पूज्य श्री   जीयर स्वामी जी के संरक्षण में होगा संत समागम

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन तथा उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने कहा कि 7 से 15 नवम्बर तक  भगवान श्रीराम की शिक्षा दीक्षा व कर्मस्थली में विराट संत समागम व श्रीराम कथा होगा. इसमें पूर्व, पश्चिम, उत्तर व दक्षिण से बड़ी संख्या में साधु, संत, धार्मिक व आध्यात्मिक केंद्र के बड़ी संख्या में प्रतिनिधि उपस्थित होंगे. 
पद्मविभूषण तुलसीपीठाधीश्वर, चित्रकूट धाम, जगतगुरु रामानंदाचार्य स्वामी श्री रामभद्राचार्य जी के श्रीमुख से श्रीराम कथा होगा. साथ ही जगतगुरु रामानंदाचार्य स्वामी श्री रामभद्राचार्य जी व पूज्यश्री जीयर स्वामी जी के संरक्षण में विराट संत समागम सिद्धाश्रम बक्सर की भूमि पर 15 नवम्बर को आयोजित किया जाएगा.



केंद्रीय मंत्री श्री चौबे रविवार को अपने दिल्ली स्थित आवास पर आयोजित श्रीराम कर्मभूमि न्यास सिद्धाश्रम की बैठक को संबोधित कर रहे थे. इस बैठक में वृंदावन से पधारे जगतगुरु स्वामी अनंताचार्य जी महाराज, श्रीराम व देशभक्ति की देश व विदेश में अलख जगाने वाले विख्यात श्रीराम भक्त कलाकार बाबा सत्यनारायण मोर्या, राम परिपथ के अध्यक्ष डॉ राम अवतार सहित सांस्कृतिक, आध्यात्मिक व सामाजिक संगठनों के आए हुए प्रतिनिधियों का मार्गदर्शन मिला. 

श्री राम कर्मभूमि न्यास की बैठक से पूर्व संस्थान के संस्थापक न्यासी केंद्रीय मंत्री श्री चौबे एवं बाबा सत्यनारायण मोर्या ने भगवान श्रीराम के चरण पादुका एवं श्री आदि गुरु शंकराचार्य जी का पूजन कर बैठक की शुरुआत की. इस मौके पर जगतगुरु स्वामी अनंताचार्य जी महाराज ने कहा कि बक्सर बहुत ही पवित्र एवं पावन भूमि है. इस जगह पर विराट संत समागम से इस धरा की पवित्रता दिव्यता के बारे में पूरे देश को पता चलेगा. केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे द्वारा लगातार इस दिव्य भूमि के प्रचार प्रसार के लिए आवश्यक कदम उठाए गए हैं. रामायण सर्किट से भी यह जुड़ गया है. श्रीराम कर्मभूमि को जोड़ कर उसके बारे में जन मानस को अवगत कराना पुनीत कार्य है. 

राम परिपथ के अध्यक्ष डॉ राम अवतार शर्मा ने कहा कि श्री राम कर्मभूमि न्यास एक महत्वपूर्ण पहल है. इसका मैं स्वागत करता हूं. इस पहल की सराहना करते हुए उन्होंने केंद्रीय मंत्री श्री चौबे को बधाई दी. इस कार्य में अपनी सहभागिता का भी संकल्प लिया। इस मौके पर उन्होंने केंद्रीय मंत्री श्री चौबे को "जहं-जहं चरण पड़े रघुवर के" पुस्तक भी भेंट की. प्रसिद्ध कलाकार बाबा सत्यनारायण मौर्य ने कहा कि बक्सर में प्रस्तावित विराट संत समागम ऐतिहासिक होगा. भगवान श्री राम की कर्मभूमि के साथ-साथ शिक्षा दीक्षा की भी भूमि रही है. यहां के बारे में पूरे विश्व में रहने वाले लोगों को जानकारी हो, इसके लिए हर संभव प्रयास किया जाएगा. विराट संत समागम के पहले अयोध्या से बक्सर तक एक यात्रा निकालने का उन्होंने महत्वपूर्ण सुझाव भी दिया. बैठक में कार्यक्रम को भव्य बनाने, देश के साथ श्रीलंका व अन्य वे स्थान जहाँ भगवान श्रीराम की लीलाएं होती है, वहाँ से भी प्रतिनिधि बुलाने पर चर्चा हुई. अयोध्या से बक्सर तक की यात्रा तिथि भी शीघ्र घोषित की जाएगी. केंद्रीय मंत्री श्री चौबे ने कहा कि बक्सर पर्यटन के रूप में अंतरराष्ट्रीय स्थान प्राप्त करें इसके लिए लगातार प्रयास जारी है. भगवान श्रीराम से जुड़ा बक्सर एक महत्वपूर्ण स्थान है. यह जिला आध्यात्मिक व सांस्कृतिक ऊर्जा से ओतप्रोत है. सदियों से दिव्य भूमि है. यहां बड़ी संख्या में तीर्थटन के लिए सभी आए, यह लक्ष्य है. सांसद दरभंगा गोपाल जी ठाकुर ने कहा कि बक्सर से ही भगवान श्रीराम मिथिला आए थे. भगवान श्रीराम जहां जहां गया वह स्थान दिव्य है. मिथिलावासी इस कार्य में हर संभव सहभागिता करेंगे. मंच संचालन न्यास के न्यासी कृष्ण कांत ओझा ने की. बैठक में सुकमी देवी, नीरज कुमार, रमाकांत रेड्डी, संजय दाना, उमा महेश्वरी राव, पी वेंकेटेश्वर राव, इंजीनियर राम बालक प्रसाद, लेफ्टिनेंट कर्नल किनी, अरुण कुमार मिश्र, अमरेंद्र पांडेय, अनिल कुमार चौबे, सुबोध रस्तोगी,  राजीव रंजन तिवारी, डॉ यशोवर्धन पाठक सहित बड़ी संख्या में सामाजिक, आध्यात्मिक व सांस्कृतिक संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित थे.

















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