बड़ी ख़बर : वीडियो : मक्के की फसल पर सैनिक कीट का आक्रमण, किसानों में दहशत ..

आर्मी वर्म सबसे पहले मुलायम पत्तियों पर हमला करते हुए ऐसे क्षति पहुॅंचाता है जैसे पत्तियों को कैंची की तरह काटा गया हो. गर्म तथा आद्र जलवायु फाॅल आर्मी वर्म के लिए सबसे अनुकूल है. जब सैनिक कीटों की संख्या बढ़ जाती है तो यह यह पत्तियों से होते हुए भुट्टे पर भी हमला करता है, जिससे भुट्टा भी खाने लायक नहीं रह जाता है.




- फाॅल आर्मीवर्म सैनिक कीट का अटैक, खेतों में पहुंचा बचाव दल
- आत्मा एवं केवीके के संयुक्त भ्रमण के दौरान मौके पर किया गया निदान

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : एक तरफ जहां अल्पवृष्टि से जिला सूखे की चपेट में है वहीं, दूसरी तरफ सिमरी इलाके में मक्के की फसल पर सैनिक कीट के द्वारा आक्रमण कर दिया गया है. इस आक्रमण के कारण किसानों की फसल को भारी नुकसान हो रहा है. ऐसे में इलाके के किसानों में दहशत व्याप्त है. इस बात की जानकारी जैसे ही कृषि पदाधिकारी सह आत्मा परियोजना निदेशक मनोज कुमार को प्राप्त हुई तुरंत ही इसके निदान के लिए उपाय शुरु किया गया. जिला कृषि पदाधिकारी ने बताया कि सिमरी प्रखंड के किसानों द्वारा कृषि विभाग को सूचना दी गई कि इस क्षेत्र में मक्के की फसल में फाॅल आमीवर्म का अटैक हो गया है. इस समस्या के निदान हेतु उनके द्वारा आत्मा एवं केवीके के कृषि विशेषज्ञों की टीम को तत्काल फाॅल आर्मीवर्म से बचाने हेतु सिमरी प्रखंड में भेजा गया. इस टीम में केवीके के पौधा संरक्षण विशेषज्ञ रामकेवल एवं आत्मा से उप परियोजना निदेशक श्रीमती बेबी कुमारी को शामिल किया गया.


क्या है फाॅल आर्मी वर्म: 

फाॅल आर्मी वर्म जिसको सैनिक कीट भी कहा जाता है, मक्के की फसल के लिए हानिकारक कीट है. इसका जीवनचक्र चार अवस्था में होता है, जिसमें क्रमानुसार अंडा, लार्वा, प्यूपा तथा प्रौढ़ अवस्था शामिल है. फाॅल आर्मीवर्म की सबसे हानिकारक अवस्था लार्वा होता है. फाॅल आर्मी वर्म सबसे पहले मुलायम पत्तियों पर हमला करते हुए ऐसे क्षति पहुॅंचाता है जैसे पत्तियों को कैंची की तरह काटा गया हो. गर्म तथा आद्र जलवायु फाॅल आर्मी वर्म के लिए सबसे अनुकूल है. जब सैनिक कीटों की संख्या बढ़ जाती है तो यह यह पत्तियों से होते हुए भुट्टे पर भी हमला करता है, जिससे भुट्टा भी खाने लायक नहीं रह जाता है.

निदान : 

कृषि विज्ञान केन्द्र,बक्सर के पौधा संरक्षण विशेषज्ञ रामकेवल ने बताया कि इस कीट के प्रकोप से निदान हेतु इमामेक्टीन बेंजोएट 5 एसजी का प्रयोग 50 से 60 ग्राम प्रति एकड़ की दर से करें. दूसरी दवा फीप्रोनील 5 प्रतिशत एससी दवा का प्रयोग 150 एमएल प्रति एकड़ की दर से करें. तीसरी दवा लेम्डासायहयलोथ्रीन+थिअमेथोक्साम  का प्रयोग 75 एमएल प्रति एकड़ की दर से करें. इन तीनो दवाओं में किसी एक दवा का प्रयोग कृषि विशेषज्ञ की सलाह पर कर सकते हैं.

डीएओ ने बताया कि यह अभियान आगामी दिनों में चलता रहेगा. किसान कीट-ब्याधि से संबंधित समस्या सम्बंधित प्रखंड के कृषि समन्वयक/बीटीएम/एटीएम/किसान सलाहकार को बता सकते हैं. मौके पर अनुमंडल कृषि पदाधिकारी, डुमराॅंव, बीएओ, कृषि समन्वयक, बीटीएम, एटीएम इत्यादि मौजूद थे.

वीडियो : 























Post a Comment

0 Comments