वीडियो : शिव महापुराण सुनकर भक्ति सागर में गोते लगाते रहे श्रद्धालु

बताया कि जो मनुष्य पापी, दुराचारी, खल तथा काम और क्रोध में निरंतर डूबे रहते हैं जो लालची, सत्य विहीन, छल कपट करने वाला निर्दयी कलयुग में है, वह भी इस ज्ञान से शुद्ध हो जाता है. श्री शिव महापुराण कथा का श्रवण करना और भगवान शिव के मंगलमय नाम का कीर्तन कल्पवृक्ष के समान है, जो जीव  के समस्त कामनाओं को पूर्ण करता है. 

 



- नगर के चरित्र बन में आयोजित की गई है कथा
- कथावाचक रणधीर ओझा ने लोगों को सुनाई शिव पुराण की कथा


बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : नगर के चरित्रवन स्थित पंचमुखी शिव मंदिर में श्री शिव पुराण कथा प्रारंभ हुई. इस दौरान लक्ष्मी नारायण मठिया के महंत श्रीमन्नारायण जी महाराज ने दीप प्रज्वलित कर व्यास पीठ का पूजन किया. कथा के प्रथम दिन शिव पुराण कथा के महात्म पर प्रकाश डालते हुए आचार्य श्री रणधीर ओझा ने कहा कि यह पुराण समस्त पुराणों का सार है. यह शिव महापुराण सभी पुराणों का तिलक है. कलयुग के कलुषित प्राणियों के कल्याण के लिए भगवान शंकर ने करुणा करके यह कथा मां पार्वती को सुनाई नंदी जी वहीं पर थे और उन्होंने भी कथा श्रवण किया. 



नंदी जी ने सनत कुमारों को यही कथा सुनाई और सनत कुमार ने व्यास जी को सुनाया वही दिव्य महापुराण व्यास जी ने सूत जी को सुनाया और सूट जी ने ऋषि यों समेत हम सभी को प्राप्त हो रहा है. इस घोर कलिकाल में जीवों आसुरी स्वभाव को प्राप्त हो गए हैं अतः इन जीवों का शोधन का उपाय और भगवान सदाशिव की प्राप्ति का सबसे सरल उपाय बताया गया है. यह पुराण साक्षात भगवान शिव का ही स्वरूप है. कहा गया है कि राजसूय यज्ञ और सैकड़ों अग्निस्तोम यज्ञ भी श्री शिव पुराण की बराबरी नहीं कर सकते. जो भी श्रद्धा पूर्वक इस कथा को श्रवण करता है वह साक्षात ही रूद्र रूप हो जाता है. 

कथा में आगे आचार्य श्री ने बताया कि शौनक जी सूत जी से पूछते हैं कि इस पुराण से कैसे-कैसे पापियों का उद्धार होता है? सूत जी ने उत्तर देते हुए बताया कि जो मनुष्य पापी, दुराचारी, खल तथा काम और क्रोध में निरंतर डूबे रहते हैं जो लालची, सत्य विहीन, छल कपट करने वाला निर्दयी कलयुग में है, वह भी इस ज्ञान से शुद्ध हो जाता है. श्री शिव महापुराण कथा का श्रवण करना और भगवान शिव के मंगलमय नाम का कीर्तन कल्पवृक्ष के समान है, जो जीव  के समस्त कामनाओं को पूर्ण करता है. इस दिव्य ग्रंथ में 24000 श्लोक व 7 सहित आए हैं इसके महात्म में बताया गया है कि जीव तभी तक पापी कहलाता है जब तक श्री शिव महापुराण की कथा उसके कानों में नहीं पड़ती है. 

सूत जी उदाहरण देकर शौनक आदि संतों को बताते हैं कि किराटनगर में देवराज नामक ब्राह्मण था जो दिन रात अधर्म में लीन रहता था. वह अपनी पत्नी को छोड़कर शोभावती नामक वैश्या को रख लिया. वैश्या करने पर देवराज ने अपने माता-पिता पत्नी को मार दिया. संयोगवश घूमते हुए देवराज प्रयाग पहुंच गया एक मंदिर देख रात्रि में वही विश्राम किया उस मंदिर में शिवपुराण की कथा हो रही थी. उस ब्राह्मण को रात्रि में बुखार आ गया. एक महिना ज्वर से पीड़ित देवराज कथा सुनता रहा. एक महीने बाद उस ब्राह्मण की मृत्यु हो गई यमराज के दूत लेकर उसे यमपुरी में गए. इतने में शंकर जी के गण जाकर यमराज के यहां से उस देवराज नामक ब्राह्मण को शिवपुरी ले गए. रूद्र गणों ने यमराज से कहा कि जो श्री शिव पुराण की कथा श्रवण कर लिया हो वह चाहे जैसा भी हो यमराज के दूत वहां नहीं जाएंगे. यह सिर्फ शिव पुराण की महिमा है.

मौके पर समिति के सदस्य ढूनू लाल , कृष्णा कुमार , किस्मत यादव मौजूद रहे हैं. सदस्य कमलेश पाल ने बताया कि  कथा श्रवण करने के लिए भारी संख्या में श्रद्धालु आ रहे है.

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