वीडियो : जज बनकर धौंस जमाने के मामले में बाल कल्याण समिति अध्यक्ष की सफाई, "मैंने केवल अनुरोध किया ..

कहना है कि जिस बच्चे को आरपीएफ के द्वारा टिकट दलाली के आरोप में पकड़ा गया था वह बच्चा वास्तव में पढ़ने लिखने वाला बच्चा है और गलती से फंस गया है. ऐसे में अध्यक्ष को आरपीएफ पोस्ट पर जाकर उसके बारे में जानकारी लेनी पड़ी हालांकि, उन्होंने छोड़ने का अनुरोध तो किया लेकिन धौंस नहीं जमाई थी.




- लगा है खुद को जज बताकर धौंस जमाने का आरोप
- कहा, मैंने नहीं जमाई कभी भी धौंस, अन्य सदस्यों के बारे में मैं नहीं जानता

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : जिले के बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष अथवा सदस्यों के द्वारा खुद को जज बता धौंस जमाने के मामले में जहां जिला पदाधिकारी अमन समीर ने इस तरह की जानकारी उन्हें होने तथा इस मामले की जांच कराने की बात कही है वहीं, दूसरी तरफ बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष के द्वारा एक प्रेस वार्ता कर मामले में अपना पक्ष रखा गया है. उनका कहना है कि जिस लड़के को टिकट दलाली के आरोप में पकड़ा गया था उस के संदर्भ में जानकारी लेने के लिए वह आरपीएफ पोस्ट पर गए और उन्होंने यह कहा यदि उसे थाने से जमानत मिलने लायक हो तो दे दी जाए, क्योंकि वह टिकट दलाल नहीं है और उसने केवल एक बार ही गलती से दूसरे की टिकट बना दी है. बावजूद इसके आरपीएफ के पोस्ट प्रभारी दीपक कुमार ने उसे नहीं छोड़ा और यह कहा कि इस मामले में उसे तीन साल से ज्यादा की सजा होनी है ऐसे में उसे थाने से नहीं छोड़ा जा सकता. 



बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष मदन सिंह का कहना है कि जिस बच्चे को आरपीएफ के द्वारा टिकट दलाली के आरोप में पकड़ा गया था वह बच्चा वास्तव में पढ़ने लिखने वाला बच्चा है और गलती से फंस गया है. ऐसे में अध्यक्ष को आरपीएफ पोस्ट पर जाकर उसके बारे में जानकारी लेनी पड़ी हालांकि, उन्होंने छोड़ने का अनुरोध तो किया लेकिन धौंस नहीं जमाई थी.

जो जमाए धौंस, उसे कानून का ज्ञान नहीं :

सीडब्ल्यूसी अध्यक्ष का कहना है कि बाल कल्याण समिति में बतौर सदस्य नवीन कुमार पाठक, योगिता सिंह तथा डॉ शशांक शेखर कार्यरत हैं. इन तीनों सदस्यों में कोई उस दिन उनके साथ आरपीएफ पोस्ट में नहीं गया था. हालांकि, नवीन पाठक रेलवे स्टेशन पर थे ऐसे में वह भी वहां पहुंच गए थे. उन्होंने कहा कि व्यक्तिगत तौर पर उन्होंने कभी उन्होंने खुद को जुडिशल मजिस्ट्रेट नहीं बताया. कोई अनये सदस्य यदि इस तरह की बात कहता है तो निश्चित रूप से उसे कानून का ज्ञान नहीं है.

आरपीएफ पोस्ट में हुई है बच्चों के साथ मारपीट : 

अध्यक्ष ने बताया कि 18 जून को आरपीएफ के द्वारा कुछ बच्चे चाइल्ड लाइन के माध्यम से उन्हें सौंपे गए थे उन बच्चों ने पहले तो कुछ नहीं बताया लेकिन जब वह बालगृह में गए तो वहां उन्होंने दर्द और बुखार की शिकायत की, जिसके बाद उनसे पूछताछ की गई. उन्होंने बताया कि उसके साथ मारपीट की गई है जिसके उन्होंने जख्म भी दिखाए.

वीडियो : 
















Post a Comment

0 Comments