जानलेवा हमले के आरोपी बालक को 43 वर्षों के बाद मिला न्याय ..

कई बार अभियोजन पक्ष को गवाही के लिए बुलाया गया लेकिन, सुनवाई के दौरान कोई भी गवाह न्यायालय में उपस्थित नहीं हुआ. ऐसे में मंगलवार को किशोर न्याय परिषद के न्यायाधीश डॉ राजेश सिंह ने अभियुक्त को दोष मुक्त करार देते हुए उसे मामले से रिहाई का आदेश दे दिया. 

 





- वर्ष 1979 में दर्ज कराया गया था जानलेवा हमला करने का मामला
- बार-बार बुलाने के बावजूद गवाही देने नहीं पहुंचा कोई गवाह

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : हिन्दी फ़िल्म का प्रसिद्ध डायलॉग "तारीख पे तारीख.." आपको जरूर याद होगा. इस डायलॉग के माध्यम से नायक यह कहता है कि हमारे यहां न्यायालयों में न्याय मिलने में बहुत देरी होती है. हालांकि, यह बात भी सत्य है कि देर-सवेर सत्य की जीत होती है और न्याय के वास्तविक अधिकारी को न्याय मिल ही जाता है. ऐसा ही एक मामला बक्सर व्यवहार न्यायालय में सामने आया है. जहां मुरार थाना क्षेत्र के चौगाई के निवासी एक 53 वर्षीय व्यक्ति को 43 वर्षों के बाद एक मामले में दोषमुक्त करार दिया गया. देर से ही सही लेकिन न्याय पाकर वह खुद को धन्य मान रहे हैं. 




मामला 07 सितम्बर 1979 का है, जब चौगाईं निवासी 10 वर्ष 5 माह के बालक पर  डुमरांव थाने में भारतीय दंड विधान की धारा 148 व 307 के तहत दुकान में घुसकर मारपीट करने, गोली चलाने व हत्या के प्रयास का आरोप लगा कर प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी. मामला एसीजेएम के न्यायालय से वर्ष 2012 में किशोर न्याय परिषद में लाया गया, जिसके बाद कई बार अभियोजन पक्ष को गवाही के लिए बुलाया गया लेकिन, सुनवाई के दौरान कोई भी गवाह न्यायालय में उपस्थित नहीं हुआ. ऐसे में मंगलवार को किशोर न्याय परिषद के न्यायाधीश डॉ राजेश सिंह ने अभियुक्त को दोष सिमुक्तद्ध करार देते हुए उसे मामले से रिहाई का आदेश दे दिया. 

कई लोगों ने किया था दुकान पर हमला बालक पर भी था भीड़ में शामिल होने का आरोप : 

मामले में प्राप्त जानकारी के मुताबिक वर्ष 1979 में डुमरांव की एक दुकान में घुसकर मारपीट और गोलीबारी का आरोप जिन लोगों पर लगाया गया था उन्हीं लोगों की भीड़ में एक साढ़े 10 वर्ष का बालक भी शामिल था. हालांकि, बालक पर आरोप साबित करने के लिए यह जरूरी था कि गवाह न्यायालय में उपस्थित हो और उसके विरुद्ध गवाही दे लेकिन, ऐसा हो नहीं सका और आरोपी को रिहाई मिल गई.







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