आचार्य नरेंद्र देव मध्य विद्यालय भोजन में मरा हुआ मेंढक मिलने की घटना सामने आने के बाद अधिकारी मामले को रफा-दफा करने के प्रयास में लगे हुए हैं. बच्चे, शिक्षक, रसोईया तथा भोजन में मिले मेंढक की तस्वीर तक को गलत ठहराया जा रहा है.
विधायक मुन्ना तिवारी के साथ बैठे सामाजिक मंच के प्रदीप शरण व अन्य |
- कहा, एन जी ओ की सेटिंग के आगे नतमस्तक हैं जिले के बड़े अधिकारी, मामले को रफा-दफा करने की तैयारी
- डुमरांव में कांग्रेस विधायक के साथ हुई बैठक, जल्द ही शुरू किया जाएगा जनसंपर्क अभियान
बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : बचपन बचाओ आंदोलन के पूर्व संयोजक तथा सामाजिक मंच के संयोजक प्रदीप शरण ने कहा कि बक्सर के आचार्य नरेंद्र देव मध्य विद्यालय भोजन में मरा हुआ मेंढक मिलने की घटना सामने आने के बाद अधिकारी मामले को रफा-दफा करने के प्रयास में लगे हुए हैं. बच्चे, शिक्षक, रसोईया तथा भोजन में मिले मेंढक की तस्वीर तक को गलत ठहराया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि आज बच्चों को बेहतर भोजन नहीं मिल पा रहा और एनजीओ एंड की सेटिंग के आगे जवाबदेह अधिकारी नतमस्तक हो जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि पूरे बिहार में बच्चों की सेहत से खिलवाड़ करने का यह खेल चल रहा है. सभी मौन साढ़े हुए हैं लेकिन, अब पानी सर से ऊपर चला गया है. ऐसे में इस तरह की अव्यवस्था को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. इसके लिए आंदोलन की तैयारी शुरू कर दी गई है.
सामाजिक मंच के संयोजक ने कहा कि मंच के तत्वाधान में प्रत्येक पंचायत में छात्र, अभिभावक, शिक्षक, शिक्षा समिति, पंचायत प्रतिनिधि सभी दलों के प्रतिनिधि व नेहरु युवा केंद्र के प्रतिनिधियों की बैठक की जाएगी जिसमें बच्चों के सेहत और भविष्य के साथ हो रहे खिलवाड़ पर चर्चा होगी तथा लोगों को एकजुट कर इसके विरुद्ध बड़ा आंदोलन छेड़ा जाएगा.
श्री शरण ने बताया कि इस संदर्भ में बक्सर सदर विधायक संजय कुमार तिवारी उर्फ मुन्ना तिवारी समेत डुमरांव के कई प्रबुद्ध जनों के साथ एक बैठक की गई, जिसमें इस संदर्भ में आवश्यक निर्णय लिए गए जल्द ही तिथि की घोषणा कर जनसंपर्क अभियान शुरू किया जाएगा और इस आंदोलन को धार देने की कोशिश की जाएगी.
बता दें कि बीते 7 अक्टूबर को बक्सर से समाहरणालय के समीप अवस्थित आचार्य नरेंद्र देव मध्य विद्यालय में बच्चों के भोजन में मरा हुआ मेंढक मिला था, जिसके बाद से खाने की गुणवत्ता सुधरने के बजाएं बिगड़ती चली गई. ऐसे में विद्यालय के शिक्षा समिति ने खाना लेने से इनकार कर दिया और अब स्थिति यह है कि 543 बच्चे सात दिनों से बिना भोजन के ही रह रहे हैं.
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