40 वें दिन भी किसानों का आंदोलन जारी, मिलने पहुंचे अधिकारी ..

मुआवजे के रूप में उन्हें तकरीबन 74 करोड़ रुपये कम मिले हैं. ऐसे में उनकी मांगे पूरी होने तक वह धरना पर बैठे रहेंगे. गुरुवार को किसानों से मिलने पहुंचे अधिकारियों के दल ने उनसे यह कहा कि उनकी बातों को सक्षम का प्राधिकार तक पहुंचाया जाएगा.





- उचित मुआवजा तथा अन्य मांगों को लेकर धरने पर बैठे हैं किसान
- अधिकारियों ने दिलाया भरोसा, किसानों को अवश्य मिलेगा न्याय

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : चौसा थर्मल पावर प्लांट जमीन दाता किसानों का धरना 40 वें दिन भी जारी है. किसानों का कहना है कि गलत मुआवजा के साथ साथ स्थानीय लोगों को नौकरी देने तथा हरित पट्टी विकसित करने का जो वादा कंपनी के द्वारा किया गया था वह पूरा नहीं किया गया है. मुआवजे के रूप में उन्हें तकरीबन 74 करोड़ रुपये कम मिले हैं. ऐसे में उनकी मांगे पूरी होने तक वह धरना पर बैठे रहेंगे. गुरुवार को किसानों से मिलने पहुंचे अधिकारियों के दल ने उनसे यह कहा कि उनकी बातों को सक्षम का प्राधिकार तक पहुंचाया जाएगा.

गलत एमवीआर पर हुआ है भुगतान :

किसानों का कहना है कि उन्हें जो मुआवजा दिया गया था वह गलत एमवीआर के आधार पर दिया गया है, जिसके चलते उन्हें लगभग 74 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. ऐसे में जब तक उन्हें उचित मुआवजा नहीं दिया जाएगा कब तक वह रेल कॉरिडोर तथा वाटर पाइप लाइन के लिए जमीन नहीं देंगे. किसान धीरज तिवारी, कृष्ण कांत तिवारी समेत सैकड़ों की संख्या में मौजूद किसानों का यह भी कहना है कि स्थानीय लोगों को रोजगार दिए जाने की बात कही गई थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ इतना ही नहीं बालू के ठीके तथा जेसीबी आदि का परिचालन भी बाहरी ठेकेदारों के द्वारा कराया जा रहा है. 


मुआवजा राशि के संदर्भ में जिला प्रशासन को फैसला लेने का अधिकार नहीं : एसडीएम :

इसी बीच अपर समाहर्ता प्रीतेश्वर प्रसाद तथा अनुमंडल पदाधिकारी धीरेंद्र कुमार मिश्रा एवं भूमि सुधार उप समाहर्ता धरना दे रहे किसानों से मुलाकात करने पहुंचे तथा उनकी बातों को सुना और समझा. बाद में अनुमंडल पदाधिकारी ने यह कहा कि किसानों की गलत मुआवजा देने की जो बात है उसे राज्य स्तरीय उच्चाधिकारियों के समक्ष पहुंचाया जाएगा क्योंकि इस संदर्भ में कोई भी फैसला लेने का अधिकार जिला प्रशासन को नहीं है. इसके अतिरिक्त उनकी अन्य मांगों पर थर्मल पावर प्लांट के अधिकारियों से बात करने के साथ-साथ प्रशासनिक स्तर पर भी चिंतन और मनन होगा इसके लिए शुक्रवार को किसानों के साथ एक बैठक कर आगे का निर्णय लिया जाएगा.

एसजेवीएन की नहीं है कोई गलती, स्थानीय लोगों को मिला है रोजगार  : एसजेवीएन के अधिकारी

एसजेवीएन के अधिकारी मनोज कुमार बताते हैं कि मुआवजा भुगतान करने के लिए उन्होंने सरकार को पैसे दे दिए हैं. उन्हें दर निर्धारण करने का अधिकार नहीं है. उन्होंने कहा कि प्रभावित किसानों के स्वजनों को कंपनी में रोजगार भी दिया गया है. लेकिन उनकी योग्यता के अनुरूप ही उन्हें रोजगार मिला है मसलन कोई टेक्निकल काम करने के लिए यदि उनके पास योग्यता नहीं है तो उसके लिए मजबूरी में बाहर से कामगार बुलाने पड़े हैं. जो वाहन अधिकारियों के द्वारा इस्तेमाल किए जाते हैं वह सभी 40 वाहन प्रभावित क्षेत्र के ही है. हरित पट्टी विकसित करने के लिए भी तेजी से कार्य किया जा रहा है. 2025 से पहले पूरा इलाका हरा भरा दिखाई देगा, इसके अतिरिक्त भी लगातार क्षेत्र के विकास के लिए कंपनी कार्य कर रही है. फिर भी यदि किसी के मन में कोई भ्रम है तो वह उनसे बातचीत के आधार पर दूर किया जा सकता है.


वीडियो - 1 : 

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