वैदिक मंत्रोचार के बीच प्रारंभ हुआ 53 वां सिय-पिय मिलन महोत्सव, पहले दिन हुई गौरीशंकर विवाह की लीला ..

21 से 29 नवंबर तक चलने वाले इस कार्यक्रम में धर्म संसद का भी आयोजन होगा जिसमें देश-विदेश के धर्माचार्य साधु संत उपस्थित होंगे 26 नवंबर को सरसंघचालक मोहन भागवत के आने की सूचना है.






- सुबह से ही शुरू हो जा रहे हैं सभी कार्यक्रम
- नौ दिनों तक नगर में रहेगा उत्सव सा नजारा

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : श्री खाकी बाबा सरकार की पुण्य स्मृति में आयोजित होने वाले 53 वें सिय-पिय मिलन महोत्सव का भव्य शुभारंभ नया बाजार स्थित आश्रम में हो गया. संपूर्ण नगर (खासकर नया बाजार) राम नाम की गूंज से गुंजायमान हो उठा. महोत्सव को लेकर पूरे आश्रम परिसर की विशेष साज सज्जा की गई है, साथ ही मुख्य कार्यक्रम के लिए विशाल पण्डाल का निर्माण किया गया है. 21 से 29 नवंबर तक चलने वाले इस कार्यक्रम में धर्म संसद का भी आयोजन होगा जिसमें देश-विदेश के धर्माचार्य साधु संत उपस्थित होंगे 26 नवंबर को सरसंघचालक मोहन भागवत के आने की सूचना है.

सोमवार प्रातः काल से ही आश्रम में विभिन्न धार्मिक आयोजन प्रारंभ हो गए. आश्रम के परिकरो द्वारा सर्वप्रथम श्री रामचरितमानस जी नवाह पारायण पाठ किया गया. तत्पश्चात दामोह की संकीर्तन मण्डली के द्वारा नव दिवसीय अखण्ड अष्टांग हरिकीर्तन प्रारंभ हुआ. वृंदावन के श्रीराम शर्मा एवं श्री कुंजबिहारी शर्मा जी के निर्देशन में रासलीला के तहत माखनचोर प्रसंग का मंचन किया गया. रात्रि में रामलीला में श्री गौरीशंकर विवाह लीला का मंचन किया गया.

 श्री सीताराम विवाह महोत्सव के प्रथम दिन व्यासपीठ का वैदिक मंत्रोचार के पूजन के साथ नौ दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा का शुभारंभ हुआ. बसाँव पीठाधीश्वर अच्युत प्रपन्नाचार्य जी महाराज, श्री सीताराम विवाह महोत्सव आश्रम के महंत राजाराम शरण दास के कर कमलों द्वारा व्यासपीठ का पूजन कर कथा की विधिवत शुरुआत की गई. प्रथम दिन की कथा करते हुए प्रख्यात कथावाचक भागवत मर्मज्ञ इंद्रेश उपाध्याय ने भागवत महात्म्य की व्याख्या करते हुए कहा कि श्रीमद्भागवत की कथा मनुष्य को चार पुरुषार्थ की प्राप्ति नहीं कराती है और जो मनुष्य इस भाव से कथा का श्रवण करते हैं वह चूक जाते हैं. उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत की कथा साक्षात भगवत को प्राप्त करने का मार्ग है. श्रीमद्भागवत की कथा के श्रवण से भगवान की प्राप्ति होती है. उन्होंने कहा कि भगवान के तीन रूप है सत्य,चीत्त और आनंद जबकि स्वरूप अनेक है  रूप और स्वरूप में यही अंतर है कि जो हम दुनिया के लिए रखते हैं वह स्वरूप होता है और जो अपनों के लिए रखते हैं वह रूप होता है. इंद्रेश जी ने कहा कि गुरु की आज्ञा का पालन बिना विचार किए हुए करना चाहिए. गुरु की आज्ञा पर विचार करना दुर्भाग्य का लक्षण है.

महोत्सव में आज के कार्यक्रम 
•प्रात: 6 बजे से श्री 
रामचरित मानस का नवाह पारायण पाठ
•दामोह की संकीर्तन मंडली द्वारा नव दिवसीय अखण्ड हरिनाम संकीर्तन 
•रासलीला 00:08 - 00:11 बजे
•03 बजे व्यास पीठ पूजन के साथ श्रीमद्भागवत कथा का शुभारंभ -श्री इन्द्रेश जी के द्वारा
•रात्रि 08 बजे से रामलीला












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