सिय-पिय मिलन महोत्सव : वैदेही वाटिका में राम लखन के साथ हुई हंसी-ठिठोली, बक्सर में दिखा मिथिला का नजारा ..

लोगों ने बताया कि वह कई दशकों से यहां आते हैं. ऐसा लगता ही नहीं है कि साकेतवासी नेहनिधि मामा जी आज भी यहां विराजमान ही नहीं बल्कि वह कण-कण में व्याप्त नजर आते हैं. विवाह महोत्सव आश्रम में पुष्प वाटिका प्रसंग का मंचन किया गया.





- छठवें दिवस के कार्यक्रम में पुष्प वाटिका प्रसंग व भंडारे का हुआ आयोजन
- आज मटकोड़ के बाद निकलेगी भव्य शोभायात्रा

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : "जिया बसी रहूं पिया के नगरिया, मिथिला नगरिया ना .." और "एहो पथिकवर कहां तेरो शुभ घर, कहूँ तेरो पिताजी के नाम धनुर्धरीयाँ .." जैसे मधुर पदों के गायन से सीताराम विवाह आश्रम के महंत राजाराम शरण दास ने शनिवार को बक्सर की धरती पर मिथिला का आभास करा दिया. वह पुष्प वाटिका प्रसंग में माली के वेश में नजर आ रहे थे. इस दौरान उन्हें पहचानना भी मुश्किल हो रहा था. पुष्प वाटिका प्रसंग के मंचन से बक्सर की धरती पर मिथिलाधाम के साक्षात्कार कर श्रद्धालु धन्य हो गये. 53 वें श्री सिय पिय मिलन महोत्सव के षष्ठम दिवस श्री सीताराम विवाह महोत्सव आश्रम, नया बाजार में  श्री खाकी बाबा सरकार की पुण्यतिथि के अवसर पर समष्टि भंडारा और फुलवारी प्रसंग का मंचन किया गया. रविवार मटकोड़ और शोभायात्रा निकाली जाएगी.
                  
इससे पूर्व महर्षि विश्वामित्र महाविद्यालय स्थित श्री खाकी बाबा सरकार के समाधि स्थल पर पूजन-अर्चन किया गया तथा आश्रम स्थित श्रीराम-जानकी मंदिर में खाकी बाबा सरकार का पूजन एवं पुष्पार्चन के साथ साथ पंचामृत से पादुका का अभिषेक किया गया. महर्षि विश्वामित्र महाविद्यालय में भी भण्डारे का आयोजन किया गया. इस पुण्य अवसर पर आयोजित समष्टि भण्डारे में हजारो संतो भक्तो एवं श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया. 


कई दशकों से देश-विदेश से पहुंचते हैं श्रद्धालु :

देश के विभिन्न भागों से आए श्रद्धालुओं ने इस अलौकिक नजारे का साक्षी बनने पर खुद को धन्य बताया. कई लोगों ने बताया कि वह कई दशकों से यहां आते हैं. ऐसा लगता ही नहीं है कि साकेतवासी नेहनिधि मामा जी आज भी यहां विराजमान ही नहीं बल्कि वह कण-कण में व्याप्त नजर आते हैं. विवाह महोत्सव आश्रम में पुष्प वाटिका प्रसंग का मंचन किया गया. धनुष यज्ञ में भाग लेने के लिए प्रभु श्री राम जी जब मिथिला प्रवास पर पहुंचते हैं,उस दौरान अपने गुरु महर्षि विश्वामित्र के पूजन के लिए पुष्प लाने हेतु राजा जनक की पुष्प वाटिका में पहुंचते हैं. जहां पर वाटिका के मालियों के द्वारा प्रभु श्री राम और लक्ष्मण जी से हंसी-ठिठोली की जाती है,जिसका भव्य मंचन प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष भी आश्रम में किया गया.
             












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