वीडियो : कायम रही त्रेता युग से चली आ रही परंपरा, अव्यवस्थओं के बीच पंचकोसी यात्रा प्रारंभ ..

प्रथम पड़ाव पर ही अव्यवस्थाओं का आलम देखने को मिला. एक तरफ जहां राज्य भर में लोहिया स्वच्छता अभियान चलाया जा रहा है, वहीं पंचकोसी परिक्रमा के प्रथम पड़ाव पर ही यात्रियों के लिए शौचालय आदि की व्यवस्था नहीं है. 






- अहिल्या धाम जाने वाले मार्ग पर बह रही है नालियां
- श्रद्धालुओं के शौचालय तथा अन्य व्यवस्थाओं का अभाव

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : सिद्धाश्रम पंचकोशी परिक्रमा समिति के बैनर तले आज से पंचकोशी यात्रा प्रारंभ की गई. दिन के तकरीबन साढ़े नौ बजे से रामरेखा घाट से संत समाज के लोग माता गंगा का पूजन करने तथा गंगाजल लेने के बाद जयघोष करते हुए यात्रा के प्रथम पड़ाव अहिल्या धाम के लिए प्रस्थान कर गए. इसके पूर्व बसांव मठिया प्रांगण से पीठाधीश्वर अच्चुतप्रपन्नाचार्य के के द्वारा संतों को रवाना किया गया. अहिल्याधाम में सभी मंदिर में माता अहिल्या का दर्शन पूजन करने के पश्चात मालपुआ और पकवान से भोग लगाने के पश्चात रात्रि विश्राम करेंगे. उधर प्रथम पड़ाव पर ही अव्यवस्थाओं का आलम देखने को मिला. एक तरफ जहां राज्य भर में लोहिया स्वच्छता अभियान चलाया जा रहा है, वहीं पंचकोसी परिक्रमा के प्रथम पड़ाव पर ही यात्रियों के लिए शौचालय आदि की व्यवस्था नहीं है. अहिल्या धाम ट्रस्ट के उपाध्यक्ष मधुसूदन चौबे ने बताया कि यहां सड़क पर कई जगह टूट-फूट है. नालियों का पानी बह रहा है. लेकिन अभी तक इस संदर्भ में कोई पहल नहीं की गई. उन्होंने कहा कि हाल ही में केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे यहां स्वयं आए थे परंतु उन्होंने इसे अनदेखा कर दिया. उन्होंने कहा ट्रस्ट के द्वारा स्थानीय प्रशासन के सहयोग से व्यवस्थाओं को कुछ हद तक ठीक करने की कोशिश की गई है. 

अलग-अलग पड़ाव पर अलग-अलग प्रसाद ग्रहण करने की परंपरा :

उधर व्याघ्रसर पंचकोशी परिक्रमा समिति संयुक्त सचिव सूबेदार पांडेय ने बताया कि सोमवार को यह यात्रा श्री नारद जी की तपोस्थली नदांव पहुंचेगी जहां सत्तू-मूली का प्रसाद  ग्रहण करेंगे. मंगलवार को ऋषि भार्गव आश्रम भभुअर में दही चूड़ा, बुधवार को छोटका नुआंव स्थित महर्षि उद्यालक आश्रम में खिचड़ी-चोखा का प्रसाद ग्रहण करने की परंपरा है. पांचवें दिन गुरुवार को यात्रा चरित्रवन में पहुंचेगी जहां लिट्टी चोखा का प्रसाद ग्रहण किया जाएगा. 


त्रेता युग में भगवान श्रीराम ने लिया था ऋषियों का आशीर्वाद :

ऐसी मान्यता है कि त्रेता युग में भगवान श्रीराम जब बक्सर पहुंचे थे तो उन्होंने ताड़का का वध किया था और बाद में उन्होंने  महर्षि विश्वामित्र के आश्रम के पांच कोस में रह रहे ऋषियों से आशीर्वाद लिया था. इस दौरान उन्होंने जो कुछ भी भोजन स्वरूप ग्रहण किया था. आज 2 युग बीत जाने के बाद भी लोग श्रद्धा और भक्ति भाव से उसी भोजन को प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं. 

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