सड़क जाम करने वाले 104 लोगों पर एफआइआर, 5.20 लाख का जुर्माना ..

यह उच्च न्यायालय एवं सर्वोच्च न्यायालय की खुली अवमानना है. किसी व्यक्ति को इस तरह खुलेआम न्यायालयों के आदेश की अवमानना करने की छूट नही दी जा सकती. कार्यक्रम के आयोजन के दौरान अगर किसी प्रकार से विधि-व्यवस्था या लोक-शांति भंग होती है तो उसकी जिम्मेवारी आयोजक के साथ-साथ अन्य सम्मिलित सदस्यों की भी होगी.






- 30 नवंबर को रेलवे स्टेशन रोड को किया गया था जाम
- अनुमंडल पदाधिकारी ने प्रखंड विकास पदाधिकारी को लिखा पत्र

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर:  गजाधर गंज मोहल्ले में नालियां जाम रहने और जल निकासी की समस्या उत्पन्न होने पर स्थानीय लोगों के द्वारा किए गए सड़क जाम से यातायात प्रभावित होने तथा लोगों को खासी परेशानी होने के कारण पर अनुमंडल प्रशासन ने कड़ा रुख अख्तियार किया है. अनुमंडल पदाधिकारी धीरेंद्र कुमार मिश्रा के द्वारा प्रखंड विकास पदाधिकारी दीपचंद जोशी को नामजद अभियुक्तों समेत 104 लोगों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया है. सभी से पांच-पांच हज़ार सामूहिक जुर्माना भी वसूला जाएगा. सभी पर आरोप है कि 30 नवंबर 2022 को बिना अनुमति अथवा सूचना के इन्होंने सड़क जाम कर दिया था.



अनुमंडल पदाधिकारी के द्वारा प्रखंड विकास पदाधिकारी को प्रेषित पत्र में बताया गया है कि बक्सर शहर के गजाधरगंज मुहल्ला के नाली सफाई नही होने के कारण सिड्डू मियां, कल्लू साह, दीपक गुप्ता, पप्पू अंसारी एवं अन्य लगभग 100 अज्ञात व्यक्तियों द्वारा दिनांक 30.11.2022 को बक्सर शहर के स्टेशन रोड को ( गजाधरगंज के पास) घंटों आवागमन बाधित रखा गया. उक्त कार्यक्रम की सूचना आवेदन उन्हें नही दी गयी थी. फलस्वरूप आमजन को काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ा. 

किसी हाल में नागरिकों के जीवन बाधित करने का अधिकार नहीं :

अनुमंडल पदाधिकारी ने कहा है कि यदि कोई जायज शिकायत भी है तो भी पीड़ित व्यक्ति व्यक्तियों को दूसरे हजारों नागरिकों का यातायात एवं जीवन बाधित करने तथा उनके मूलभूत अधिकारों से वंचित करने का अधिकार नहीं है. इस मामले में लगभग चार घंटे तक आम नागरिकों, महिलाओं, बच्चों, बुजुर्गों और मरीजों का आवागमन बलपूर्वक बाधित किया गया एवं उनके जीवन को कष्टप्रद बनाया गया.

उच्च न्यायालय तथा सर्वोच्च न्यायालय की खुली अवमानना :

एसडीएम ने अपने पत्र में स्पष्ट किया है कि उच्च न्यायालय एवं सर्वोच्च न्यायालय के कई न्यायनिर्णयों में यह स्पष्ट किया गया है कि घटना / प्रदर्शन के कम में यातायात को बाधित नही किया जाएगा. इस प्रकार यह उच्च न्यायालय एवं सर्वोच्च न्यायालय की खुली अवमानना है. किसी व्यक्ति को इस तरह खुलेआम न्यायालयों के आदेश की अवमानना करने की छूट नही दी जा सकती. कार्यक्रम के आयोजन के दौरान अगर किसी प्रकार से विधि-व्यवस्था या लोक-शांति भंग होती है तो उसकी जिम्मेवारी आयोजक के साथ-साथ अन्य सम्मिलित सदस्यों की भी होगी.

नियम के उल्लंघन पर प्रत्येक से 5000 रुपये जुर्माने का नियम:

यदि कार्यक्रम के दौरान किसी व्यक्ति या समुदाय के विरुद्ध सार्वजनिक व्यवस्था भंग की जाती है या जान-माल के लिए खतरा उत्पन्न किया जाता है तो बिहार सामूहिक दण्ड (अधिरोपण) अधिनियम, 1982 की सुसंगत धाराओं के अन्तर्गत आवेदक एवं उसमें शामिल प्रति व्यक्ति पाँच हजार रुपये का जुर्माना देने के लिए उत्तरदायी होंगे.

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