तकरीबन 4 घंटे तक कैदियों से सघन पूछताछ की गई. कैदियों से पूछताछ के दौरान जो डेटा एकत्रित किया गया, टीम उसे अपने साथ लेकर चली गई है, जिसे बाद में न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा. बक्सर में किसी भी कैदी का पहली बार यह टेस्ट कराया गया.
- दिल्ली से आई थी विशेष टीम, चार घंटे तक हुई पूछताछ
- वर्ष 2020 में हुआ था बालक का अपहरण अब तक नहीं लग सका है पता
बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : दो वर्ष पूर्व हुए बालक के अपहरण मामले में जेल में बंद कैदियों का पॉलीग्राफ यानी कि लाई डिटेक्टर टेस्ट कराया गया. टेस्ट के लिए दिल्ली से 2 सदस्यीय विशेष टीम जेल में पहुंची थी जहां तकरीबन 4 घंटे तक कैदियों से सघन पूछताछ की गई. कैदियों से पूछताछ के दौरान जो डेटा एकत्रित किया गया, टीम उसे अपने साथ लेकर चली गई है, जिसे बाद में न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा. बक्सर में किसी भी कैदी का पहली बार यह टेस्ट कराया गया. दरअसल पकड़े गए आरोपी किसी भी प्रकार से यह स्वीकार नहीं कर रहे हैं कि उन्होंने बालक का अपहरण किया है जबकि अपहृत बालक के पिता ने दोनों को नामजद आरोपी बनाया था. ऐसे में पुलिस के अनुरोध पर पटना उच्च न्यायालय के द्वारा पॉलीग्राफ टेस्ट कराए जाने का निर्देश दिया गया था.
इस संदर्भ में प्राप्त जानकारी के मुताबिक औद्योगिक थाना क्षेत्र के दलसागर गांव निवासी लोहा सिंह के 10 वर्ष पुत्र का 28 सितंबर 2020 को कथित तौर पर अपहरण कर लिया गया था. वह घर से खेलने की बात कह कर निकला था लेकिन, जब नहीं लौटा तो पिता ने यह आशंका जताते हुए दलसागर के निवासी कमलेश चौहान तथा दुर्गेश चौहान को आरोपी बनाया था. बाद में पुलिस ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार किया एवं पूछताछ कर जेल भेज दिया बाद में पुलिस मामले के अनुसंधान में तो लगी रहे लेकिन बालक की बरामदगी अब तक नहीं की जा सकी है.
चार घंटे तक चली पूछताछ :
कारा अधीक्षक राजीव कुमार ने बताया पॉलीग्राफ टेस्ट करने के लिए दिल्ली से दो सदस्यीय टीम बक्सर पहुंची थी, जिसने जेल में बंद कैदियों से लाई डिटेक्टर मशीन के माध्यम से पूछताछ की. पूछताछ के दौरान जो जानकारियां एकत्रित की गई उन जानकारियों के आधार पर मामले के अनुसंधान में आगे का कार्य किया जाएगा. कारा उपाधीक्षक त्रिभुवन सिंह ने बताया कि टीम की सदस्यों ने तकरीबन 4 घंटे तक कैदियों से पूछताछ की.
झूठ पकड़ने के लिए किया जाता है लाई डिटेक्टर टेस्ट :
दरअसल अपराधियों का झूठ पकड़ने के लिए लाई डिटेक्टर टेस्ट का इस्तेमाल किया जाता है. इस टेस्ट के द्वारा शरीर के विभिन्न स्थानों पर तारों को जोड़ा जाता है और उनके माध्यम से तरंगों को कंप्यूटर या लैपटॉप की सहायता से देखा और उनका अध्ययन किया जाता है. इस दौरान पल्स, ब्लड प्रेशर, हाथ और पैर की मूवमेंट तथा शरीर में होने वाले अन्य परिवर्तनों पर ध्यान रखा जाता है. पहले कैदी से उसके नाम और पते जैसे आसान सवाल पूछे जाते हैं. फिर अचानक उसके सामने घटना से जुड़े प्रश्न रखे जाते हैं. इस दौरान उसके शरीर में हुए परिवर्तन को नोट करते हुए उसका अध्ययन किया जाता है.
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