वीडियो : उद्योगों को पुनर्जीवन देने की जगह उन्हें बंद करने का कुचक्र रच रही सरकार : उद्यमी संघ

पिछले 40 वर्षों से जब से उन्होंने उद्योग शुरू किया है तब से लेकर अब तक उन्हें सरकार बियाडा अथवा बैंकों से कोई विशेष सहयोग नहीं प्राप्त हुआ है, जिसके कारण पहले से ही औद्योगिक क्षेत्र की कई इकाइयां मृतप्राय है. बावजूद इसके अपने दम पर कई उद्यमी उद्योगों का संचालन कर रहे हैं, लेकिन अब सरकार तथा बियाड़ा उद्योगों के कैंसिलेशन का अभियान चला रही है.

 







- उद्यमी संघ की बैठक में सरकार तथा बियाडा की गलत नीतियों पर हुई चर्चा
- कहा - औद्योगिक इकाइयों को पुनर्जीवन देने में विफल रही है सरकार और बियाडा

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : अपनी अलग-अलग इकाइयों का संचालन करने वाले उद्यमियों ने रविवार को एक बैठक कर सरकार की नीतियों पर रोष व्यक्त किया. इस दौरान उद्यमियों ने कहा कि सरकार लगातार उनके उद्योगों के बंद करने का कुचक्र रच रही है, जबकि पिछले 40 वर्षों से जब से उन्होंने उद्योग शुरू किया है तब से लेकर अब तक उन्हें सरकार बियाडा अथवा बैंकों से कोई विशेष सहयोग नहीं प्राप्त हुआ है, जिसके कारण पहले से ही औद्योगिक क्षेत्र की कई इकाइयां मृतप्राय है. बावजूद इसके अपने दम पर कई उद्यमी उद्योगों का संचालन कर रहे हैं, लेकिन अब सरकार तथा बियाड़ा उद्योगों के कैंसिलेशन का अभियान चला रही है जो कि कहीं से भी उचित नहीं है.

बैठक के दौरान उद्यमी संघ के जिला अध्यक्ष बृजकिशोर सिंह ने कहा कि सरकार ने उद्योगों की स्थापना के दौरान जो वादे उद्यमियों से उस वक्त किए थे उन्हें वह पूरा करने में पूर्णत: विफल रही है. उद्यमी जैसे तैसे उद्योगों का संचालन कर रहे हैं, उस पर भी बियाड़ा की टेढ़ी नजर है. उद्यमी केके कश्यप ने बताया कि सरकार जहां पुराने उद्योगों को बंद कर नए उद्यमियों को आने के लिए जिस प्रकार से अपनी उर्जा खर्च कर रही है, उसी ऊर्जा का अगर 50 फीसद पुराने उद्योगों को नवजीवन देने के लिए करें तो और औद्योगिक क्षेत्र की सूरत बदल सकती है. आज बैंक की नजर में औद्योगिक क्षेत्र की भूमि की कीमत शून्य है जोकि सरासर गलत है. 

उद्यमी विश्राम दूबे ने बताया कि हाल ही में उनके पुराने उद्योग के एग्रीमेंट को रद्द कर दिया गया है. अधिकारियों का कहना है कि उद्योग संचालित नहीं था जबकि जो भी अधिकारी निरीक्षण करने के लिए पहुंचे थे वह ऑफ सीजन में पहुंचे थे, ऐसे में उनकी रिपोर्ट ही गलत है. हालांकि अब वह न्यायालय का रुख करेंगे लेकिन फिर भी अगर भी बियाडा चाहती है कि वह उद्योग का संचालन नहीं करें तो औद्योगिक इकाई को खड़ा करने में उन्होंने जो पूंजी लगाई है, वह उन्हें वापस कर दी जाए तो वह औद्योगिक क्षेत्र की जमीन भी छोड़ सकते हैं. संतोष सिंह ने कहा कि उन्हें तकरीबन तीन हज़ार स्क्वायर फीट जमीन दी गई थी जिसमें से लगभग आधी जमीन राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण के दौरान अधिग्रहित कर ली गई. उन्होंने कई बार बियाडा के अधिकारियों से अनुरोध किया तो उन्हें केवल आश्वासन ही मिला था. लेकिन अब सीधे उनके औद्योगिक इकाई के निबंधन को रद्द कर दिया गया जोकि सरासर गलत है. 

फार्मास्यूटिकल्स मैन्युफैक्चरिंग इकाई के संचालक मुन्ना ओझा ने कहा कि वह चाहते हैं कि वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए उन्हें सेवा क्षेत्र यानी कि अस्पताल आदि खोलने की इजाजत दी जाए, लेकिन ऐसा अब तक नहीं हो सका है, जबकि उनके पिताजी ने तकरीबन 40 वर्ष पूर्व उस समय की परिस्थितियों को देखते हुए यह उद्योग खोला था. उद्यमियों ने कहा कि सरकार यदि उनकी मांगों को नहीं मानती तो आगे के संघर्ष की रणनीति तय की जाएगी.

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