समकालीन साहित्य और इतिहास के संदर्भ में प्रबुद्धजनों ने की चर्चा ..

कहा कि समकालीन दौर में राजनीति में लोकतंत्र का जो क्षरण हुआ है उस लोकतंत्र को साहित्य ने कैसे बचाए रखा है. समकालीन समय में अनेक विमर्शों के बीच हाशिये की आवाज़ को मुख्य धारा में लाने का काम समकालीन साहित्य में बड़े स्तर पर हुआ. 



- महर्षि विश्वामित्र महाविद्यालय में एकल व्याख्यानमाला का हुआ था आयोजन
- मुख्य वक्ता के रूप में मौजूद रहे जेएनयू के प्रोफेसर देवेंद्र चौबे

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय से संबद्ध एम वी कॉलेज में हिंदी विभाग द्वारा डा. छाया चौबे के संयोजन में महाविद्यालय परिसर स्थित मानस भवन में हिंदी एकल व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया जिसका विषय रहा "समकालीन साहित्य और इतिहास के संदर्भ" जिसमें भारतीय भाषा केंद्र जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय के प्रो. देवेंद्र चौबे मुख्य वक्ता के रूप में मौजूद रहे. कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य सुबाष चंद्र पाठक ने की. बतौर विशिष्ट अतिथि बाल कल्याण समिति के सदस्य डा. शशांक शेखर मौजूद रहे.

कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती के तैलचित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर एवं दीप प्रज्ज्वलित कर आगत अतिथियों द्वारा किया गया, जिसके पश्चात अतिथियों के स्वागत और विषय परिचय देते हुए डा. चौबे ने समकालीन साहित्य के बारे में सभा को संबोधित करते हुए कहा कि समकालीन दौर में राजनीति में लोकतंत्र का जो क्षरण हुआ है उस लोकतंत्र को साहित्य ने कैसे बचाए रखा है. समकालीन समय में अनेक विमर्शों के बीच हाशिये की आवाज़ को मुख्य धारा में लाने का काम समकालीन साहित्य में बड़े स्तर पर हुआ. इतिहास की घटनाओं के द्वारा समकालीन साहित्य के विभिन्न पड़ावों की भी संक्षिप्त चर्चा की.

प्रो. देवेंद्र चौबे ने "समकालीन साहित्य और इतिहास के कुछ संदर्भ " विषय पर अपने विचार रखते हुए कहा कि इतिहास में घटित  घटनाएं  साहित्य तथा समाज की धारा को बदल देती है. ऐतिहासिक घटनाएं समाज में एक बड़े परिवर्तन का कारक होती है जो अलग अलग रूपों में परिलक्षित होता है. इतिहास निर्माण की प्रक्रिया और ऐतिहासिक टूल्स (तकनीक ) के आधार पर समकालीन साहित्य के ऐतिहासिक परिवर्तनगामी कारणों पर गहन विचार किया. समकालीन साहित्य का विभाजन समय,  उसका स्वरूप निर्माण  तथा आज की राजनीति में साहित्य के लोकतांत्रिक बिंदुओं पर सिलसिलेवार क्रम में विभिन्न उद्धवरणों द्वारा अपने विचारों को गहनतम में प्रस्तुत किया.

इस आयोजन में डॉ. योगर्षि राजपूत, डॉ. सुजीत कुमार, डॉ.अवधेश कुमार, डॉ. रवि  प्रभात, डॉ. प्रियेश रंजन, डॉ. सैकत देबनाथ, डॉ. भरत चौबे, डॉ. श्वेता, नविरंजन तथा डॉ. महेंद्र प्रताप सिंह उपस्थित रहें. धन्यवाद ज्ञापन द्वितीय सत्र के छात्र गोविंद ओझा ने किया.









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