इज्जत, आजादी और सभी के लिए न्याय विषय के साथ कैदियों को किया गया विधिक जागरूक ..

बंदियों को संबोधित करते हुए वरिष्ठ पैनल अधिवक्ता रवि प्रकाश ने कहा कि मानवाधिकारों की पहली वैश्विक घोषणा और नए संयुक्त राष्ट्र की पहली प्रमुख उपलब्धियों में से एक, मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा 10 दिसंबर 1948 को संयुक्त राष्ट्र महासभा के अंगीकरण और उद्घोषणा का सम्मान करने के लिए इस तिथि का चयन किया गया था.




- विश्व मानवाधिकार दिवस के अवसर पर आयोजित हुआ कार्यक्रम
- न्यायालय से निकाली गई विधिक जागरूकता रैली अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने किया नेतृत्व

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : डिग्निटी, फ्रीडम और जस्टिस फॉर ऑल की थीम पर बिहार राज्य विधिक सेवा प्राधिकार, पटना के निर्देशानुसार विश्व मानवाधिकार दिवस के अवसर पर कार्यालय, जिला विधिक सेवा प्राधिकार के द्वारा एक विधिक जागरूकता रैली निकाली गई. यह रैली अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश -सह- सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकार धर्मेंद्र कुमार तिवारी के निर्देशानुसार व्यवहार न्यायालय स्थित भवन विधिक सेवा सदन से निकलकर चीनी मिल, स्टेशन रोड, अंबेडकर चौक होते हुए ज्योति चौक के रास्ते मॉडल थाना तक पहुंची. इसके साथ ही जिला प्राधिकरण द्वारा मुक्त कारागार, केंद्रीय कारा, महिला मंडल कारा में भी इस मौके पर कारा बंदियों के बीच विधिक जागरूकता कार्यक्रम किया गया. मौके पर केंद्रीय कारा बक्सर में हुए जागरूकता कार्यक्रम में उपस्थित कारा बंदियों को संबोधित करते हुए वरिष्ठ पैनल अधिवक्ता रवि प्रकाश ने कहा कि मानवाधिकारों की पहली वैश्विक घोषणा और नए संयुक्त राष्ट्र की पहली प्रमुख उपलब्धियों में से एक, मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा 10 दिसंबर 1948 को संयुक्त राष्ट्र महासभा के अंगीकरण और उद्घोषणा का सम्मान करने के लिए इस तिथि का चयन किया गया था.


मानवाधिकार दिवस की औपचारिक स्थापना 4 दिसंबर 1950 को संयुक्त राष्ट्र महासभा की 317वीं पूर्ण बैठक में हुई. जब महासभा ने संकल्प 423 (V) की घोषणा की, जिसमें सभी सदस्य राज्यों और किसी भी अन्य इच्छुक संगठनों को इस दिन को मनाने के लिए आमंत्रित किया गया था. इस दिन को आम तौर पर उच्च-स्तरीय राजनीतिक सम्मेलनों और बैठकों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों और मानवाधिकारों के मुद्दों से संबंधित प्रदर्शनियों द्वारा चिह्नित किया जाता है. इसके अलावा, यह परंपरागत रूप से 10 दिसंबर को मानवाधिकारों के क्षेत्र में संयुक्त राष्ट्र पुरस्कार और नोबल शांति पुरस्कार से भी सम्मानित किया जाता है. मानवाधिकार के क्षेत्र में सक्रिय कई सरकारी और गैर-सरकारी संगठन भी इस दिन को मनाने के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित करते हैं. जैसा कि कई नागरिक और सामाजिक कार्य कई संगठन करते हैं. इसी परिपेक्ष में हम सभी जिला विधिक सेवा प्राधिकार के कार्यकर्ताओं द्वारा आज एक कैंडल मार्च का आयोजन किया जा रहा है. जिससे की हमारे शहर के लोगो को जागरूक किया जा सके.


मौके कार्यालय कर्मी दीपेश कुमार श्रीवास्तव, सुधीर कुमार, मनोज कुमार रवानी, सुनील कुमार, संजीव कुमार, मोहम्मद अकबर अली, स्थानीय बच्चे, पैनल अधिवक्ता अशोक कुमार पाठक, कुमारी अरुणिमा, आनंद रंजना आदि मौजूद रहे.

विधिक स्वयंसेवक सह एनएसएस टीम लीडर सुंदरम कुमार ने मौके पर कहा कि हर साल संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा इस दिन को मनाने की थीम की घोषणा की जाती है. मानवाधिकार दिवस 2022 की थीम डिग्निटी, फ्रीडम और जस्टिस फॉर ऑल रखी गई है. इसका मतलब है कि स्वास्थ्य सभी लोगों के लिए एक मौलिक मानव अधिकार है. सभी के लिए स्वास्थ्य के बिना, कोई सम्मान, स्वतंत्रता या न्याय नहीं हो सकता. भारत में मानवाधिकार 28 सितंबर 1993 को भारत में मानवाधिकार अधिनियम लागू हुआ जिसके बाद सरकार ने 12 अक्टूबर 1993 को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का गठन किया. मानवाधिकार आयोग राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में भी काम करता है. जैसे मजदूरी, एचआईवी एड्स, स्वास्थ्य, बाल विवाह और महिलाओं के अधिकार मानवाधिकार आयोग का काम ज्यादा से ज्यादा लोगों को जागरूक करना है. मौके पर अन्य विधि सेवक अविनाश कुमार, हरे राम, सरोज कुमार चौबे, अंशु देवी, प्रियंका कुमारी, प्रीति कुमारी, रुकैया, कविंद्र पाठक आदि मौजूद रहे.









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