श्रीराम चरित्र की व्याख्या की व्याख्या की और कहा कि कलियुग में श्रीराम का उत्तम चरित्र अनुकरणीय है. इसका अनुसरण हमारे जीवन को धन्य बना देगा. श्रीराम के बिना मनुष्य के जीवन कि कल्पना नहीं की जा सकती है. श्री राम का नाम जीवन का आधार हैं. मनुष्य इससे अछूता नहीं है इसके संयुक्त है.
- संत लाल बाबा के 16 के निर्माण दिवस पर हुआ है रामचरित कथा का आयोजन
- कथा व्यास ने कहा - अभिमान रहित होकर करनी चाहिए भगवान की भक्ति
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : रामचरितमानस जीवन को सही दिशा देती है. इससे व्यक्ति की दशा बदल जाती है. रामचरितमानस को जीवन में धारण करने से व्यक्ति के अभिमान का नाश होता है. व्यक्ति को अभिमान रहित होकर भगवान की भक्ति करनी चाहिए. यह कहना है राम कथा व्यास आचार्य रणधीर ओझा का.
दरअसल, संत लाल बाबा के 16 वें निर्वाण दिवस के अवसर पर शिवजी, हनुमान, दुर्गा ,राधा कृष्ण मंदिर लाल बाबा आश्रम (सती घाट ) में नौ दिवसीय श्री राम कथा का भव्य आयोजन हुआ है. व्यासपीठ पूजन जगद्गुरु श्री राजगोपालाचार्य जी (त्यागी जी) एवं महंथ पंडित सुरेंद्र तिवारी जी एवं शिवजी खेमका के द्वारा संपन्न हुआ.
कथा के प्रथम दिन मामाजी के कृपापात्र आचार्य रणधीर ओझा ने श्रीराम कथा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि श्रीरामचरितमानस भारतीय एवं हिंदू संस्कृति का गौरवपूर्ण ग्रंथ है. इस ग्रंथ में करोड़ों लोगों का जीवन का स्पर्श इस प्रकार किया है कि इसके बिना उन्हें जीवन की परिकल्पना भी दुश्वार प्रतीत होती है. इसके भावपूर्ण प्रसंगों पर सब सहृदय एवं सामान्य जन दोनों भाव से निमग्न होते रहते है.
श्रीरामचरितमानस, वेद ,उपनिषद ,पुराण तथा काव्यों में वर्णित चरित्रों , दर्शन एवं सांस्कृतिक आदर्शों का निचोड़ है , सार है ,रस है । सहज सुलभ जन भाषा में कहा जाए आध्यात्मिक शक्तियों का निरूपण कर तुलसीदास ने भक्ति की विमल धारा को जन रंजन कारी स्वरूप प्रदान कर दिया है. ऐसा ही एक लोकरंजक प्रसंग है "रामजन्म" इसकी पौराणिक दार्शनिक पृष्ठभूमि का विभिन्न ग्रंथों में अवतारवाद की पोठिका में वर्णन किया है. रघुनाथ जन्म की यह कथा मनुज मात्र के लिए भवकूप निवारणी है. इसकी प्राप्ति उन्हें ही होती है जिस पर श्री राम कृपा की विशेष दृष्टि होती है. यह प्रसंग संपूर्ण राम को खोलने की कुंजी है.
कथा में आगे आचार्य श्री ने कहा कि रामकला दुर्गा है, पार्वती है एवं यह स्वयं लक्ष्मी है जो श्री हरि के पास खींच लाती है और रामकथा साक्षात धरा स्वरूपा है जो हम सबको धारण कर रही है.आचार्य श्री ने श्रीराम चरित्र की व्याख्या की व्याख्या की और कहा कि कलियुग में श्रीराम का उत्तम चरित्र अनुकरणीय है. इसका अनुसरण हमारे जीवन को धन्य बना देगा. श्रीराम के बिना मनुष्य के जीवन कि कल्पना नहीं की जा सकती है. श्री राम का नाम जीवन का आधार हैं. मनुष्य इससे अछूता नहीं है इसके संयुक्त है.
आचार्य श्री ने आगे श्री राम नाम के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि राम नाम तो अविनाशी है. राम खुद कह गए कि "राम से बड़ा राम का नाम". तो जो बात स्वयं राम कह गए वो कैसे गलत हो सकती है. जीवन का आधार ही राम नाम है. हर जगह राम नाम की महिमा का गुणगान है. राम सिर्फ एक नाम नहीं है. राम नाम सबसे बड़ा मन्त्र है. सूर्य, चन्द्रमा, अग्नि, वायु सभी में जो शक्ति है वह राम नाम में समाहित है.
आचार्य श्री ने बताया कि भगवान शिव व पार्वती का मूल स्वरूप श्रद्धा व विश्वास है. शब्द ब्रह्मा होता है और शब्द को संभाल कर बोलना चाहिए. जीवन में अभिमान की शून्यता आ जाए तो श्रद्धा अपने आप आ जाएगी. उन्होंने कहा कि जीवन में राम नाम का बहुत महत्व है. जीवन के हर पल और हर क्षण में राम नाम चलन रहता है.
बच्चे के जन्म में श्री राम के नाम का सोहर होता है. विवाह आदि मांगलिक कार्यों के अवसर पर श्री राम के गीत गाए जाते हैं. यहां तक कि मनुष्य की अंतिम यात्रा में भी राम नाम का ही घोष किया जाता है. राम सब में बड़े हैं तथा राम में शिव और शिव में राम विद्यमान हैं. श्री राम को शिव का महामंत्र माना गया है और राम सर्वमुक्त हैं. राम सबकी चेतना का सजीव नाम है. आयोजनकर्ताओं में शामिल नीरज सिंह, रणजीत राय , बबलू तिवारी ने कहा कि यह आयोजन लोगों में भगवान राम की चेतना को विकसित करेगा.
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