वाराणसी से बक्सर पहुंचा गंगा विलास क्रूज, ढोल नगाड़ा बजाकर हुआ सैलानियों का स्वागत ..

इस क्रूज पर स्विट्जरलैंड के कुल 31 सैलानी सवार हैं. सैलानियों का स्वागत गंगा घाट पर ढोल-नगाड़ों से किया गया. इस दौरान बक्सर के तमाम लोग गंगा घाटों सैलानियों को देखने के लिए जमा हुए थे. व्यापक सुरक्षा व्यवस्था के बीच खैरानी बक्सर शहर में घूमने के लिए गए और फिर वापस लौट कर उस पर चले आए. 






- 13 जनवरी को प्रधानमंत्री मोदी ने किया है रवाना, 31 यात्री हैं सवार
- बक्सर में स्वागत के लिए मौजूद रहे प्रशासनिक अधिकारी

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : 13 जनवरी से वाराणसी से डिब्रूगढ़ के लिए रवाना हुआ गंगा विलास क्रूज शनिवार की शाम तकरीबन 4:30 बजे बक्सर पहुंच गया. इस क्रूज पर स्विट्जरलैंड के कुल 31 सैलानी सवार हैं. सैलानियों का स्वागत गंगा घाट पर ढोल-नगाड़ों से किया गया. इस दौरान बक्सर के तमाम लोग गंगा घाटों सैलानियों को देखने के लिए जमा हुए थे. व्यापक सुरक्षा व्यवस्था के बीच खैरानी बक्सर शहर में घूमने के लिए गए और फिर वापस लौट कर उस पर चले आए. 
संचालक राज सिंह

क्रूज में सवार संचालक राज सिंह ने कहा की गंगा विलास क्रूज की यह यात्रा भारतीय संस्कृति को जीवित रखने वाली यात्रा है. उन्होंने बताया कि गंगा विलास क्रूज भारत में निर्मित है. भारत की नदियों के मुताबिक कम गहरे पानी में भी चल सकता है. क्रूज की स्पीड अपस्ट्रीम में 12 किलोमीटर प्रति घंटा और डाउनस्ट्रीम 20 किलोमीटर तक है. इसमें शुद्ध पेयजल के लिए आरओे सिस्टम है और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट भी है.

ढोल-नगाड़ा बना हुआ सैलानियों के स्वागत

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार जताते हुए कहा कि यात्रा पर्यटन को बढ़ावा देने वाली होगी. निश्चित रूप से बक्सर जैसे शहर में भी जब सैलानी आएंगे तो रोजगार का सृजन होगा और सभी लाभान्वित होंगे तथा अर्थव्यवस्था मजबूत होगी. उन्होंने कहा कि क्रूज में जरूरत की तमाम सुविधाएं मौजूद हैं. किराए की बात करें तो भारत में 25 हजार रुपये और बांग्लादेश में 50 हजार रुपये प्रति दिन किराया रखा गया है. इसके अतिरिक्त जिस प्रकार से लोगों ने यहां स्वागत किया और प्रशासन की तरफ से जो सुरक्षा के इंतजाम किए गए थे वह भी काबिल-ए-तारीफ हैं. 


गंगा घाट पर मौजूद अपर समाहर्ता प्रीतेश्वर प्रसाद ने बताया कि गंगा विलास क्रूज यात्रियों की सुरक्षा के लिए तमाम इंतजाम किए गए थे. रामरेखा घाट पर उतरकर यात्री बक्सर के विभिन्न ऐतिहासिक स्थलों के भ्रमण के लिए निकल गए. मंदिरों आदि के दर्शन के पश्चात वह पुनः क्रूज पर पहुंच गए.
जानकारी देते हुए एडीएम प्रीतेश्वर प्रसाद


आधुनिक सुविधाओं से युक्त है भारत का 'गंगा विलास' जलयान : 

भारतीय जलमार्ग प्राधिकरण के अधिकारियों की माने तो गंगा विलास भारत में निर्मित पहला जलयान है. यह आधुनिक सुविधाओं से युक्त और पूरी तरह से सुरक्षित है.  इस जलयान में 18 कमरे हैं. 21 दिसंबर को इसमें सभी यात्री कोलकाता के सवार हुए और 22 दिसंबर को यह जलयान वहां से रवाना हुआ था. पुनः इसमें 13 जनवरी को वाराणसी से यात्रा प्रारंभ की है. आने के क्रम में 15 दिन यह बांग्लादेश की जल सीमा में भी रहा है. वापसी के क्रम में भी यह 15 दिन बांग्लादेश के जल सीमा से होते हुए वापस कोलकाता पहुंचेगा. 

गंगा, मेघना और ब्रह्मपुत्र में सफर करेंगे यात्री :

इस क्रूज  में 31 यात्री सवार हैं. 32 सौ किलोमीटर की यह नदी यात्रा 27 नदियों के मार्गों से गुजरेगी. इसमें रास्ते में मुख्य तीन नदियां गंगा, मेघना और ब्रह्मपुत्र नदियां होंगी. क्रूज बंगाल में गंगा की सहायक और दूसरे नामों से प्रचलित भागीरथी, हुगली, बिद्यावती, मालटा, सुंदरबन रिवर सिस्टम, वहीं बांग्लादेश में मेघना, पद्मा, जमुना और फिर भारत में ब्रह्मपुत्र से असम में प्रवेश करेगा. भारत-बांग्लादेश प्रोटोकॉल की वजह से यह यात्रा बांग्लादेश को क्रॉस करेगी. इनमें ऐसे स्थल भी है जो विश्व विरासत में शामिल हैं. यात्रा लंबी है ऐसे में यह उबाऊ ना हो इसके लिए क्रूज़ पर गीत-संगीत, सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ ही जिम आदि की सुविधा भी उपलब्ध होगी. 

वीडियो : 













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