पुण्यतिथि पर याद किए गए स्वर्गीय घनश्याम मिश्र ..

कहा कि स्व मिश्र आजीवन न्याय के पक्षधर रहे, जन नारायक कर्पूरी ठाकुर लॉ कॉलेज के अध्यापक के तौर पर सेवा प्रदान की. भोजपुरी साहित्य के लिए उनका योगदान अद्वितिय है, जिसमें गीता का भोजपुरी अनुवाद, अमरावती कथा जिसका एक अंश "चाँदी का झुनझुना" स्नातकोत्तर में पढ़ाया भी जाता है. 




- 17 वीं पुण्यतिथि पर बार भवन में दी गयी श्रद्धांजलि
- अधिवक्ता संघ के तत्वाधान में मनाई गई पुण्यतिथि

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : जिला अधिवक्ता संघ के तत्वधान में गुरुवार को बार भवन में वरिष्ठ अधिवक्ता स्व. घनश्याम मिश्र की 17वीं पुण्यतिथि पर उनके अनुकरणीय कार्यों के लिए याद किया गया. वक्ताओं ने कहा कि स्व मिश्र आजीवन न्याय के पक्षधर रहे, जन नारायक कर्पूरी ठाकुर लॉ कॉलेज के अध्यापक के तौर पर सेवा प्रदान की. भोजपुरी साहित्य के लिए उनका योगदान अद्वितिय है, जिसमें गीता का भोजपुरी अनुवाद, अमरावती कथा जिसका एक अंश "चाँदी का झुनझुना" स्नातकोत्तर में पढ़ाया भी जाता है. उनकी अन्य रचनाओं में चकबंदी, विधान एवं तुलसीकृत पार्वती मंगल एवं जानकी मंगल का भोजपुरी अनुवाद भी काफी प्रचलित हुआ.


कार्यक्रम की अध्यक्षता जिला एवं सत्र न्यायाधीश अंजनी कुमार सिंह ने किया जबकि संचालन वरीय अधिवक्ता रामेश्वर प्रसाद वर्मा ने किया. मौके पर वरिष्ठ अधिवक्ता बबन ओझा, सरोज उपाध्याय, गणेश ठाकुर, विष्णुदत्त द्विवेदी, हृदय नारायण मिश्रा, मनीष पाण्डेय के अतिरिक्त उनके ज्येष्ठ पुत्र कन्हैया मिश्रा, कपिन्द्र किशोर, चन्दन कत्यायन व अन्य लोगो ने दिवंगत अधिवक्ता के तैल चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की. कार्यक्रम के अंत मे धन्यवाद ज्ञापन उनके पुत्र अधिवक्ता संजय मिश्र ने किया.










Post a Comment

0 Comments