वीडियो : जिले के अधिकांश स्कूली बच्चों को नहीं है बेसिक नॉलेज, राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण में आई चौंकाने वाली रिपोर्ट ...

राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण 2021 में यह बात साफ हो गई है की स्कूली छात्रों का जो राष्ट्रीय स्तर पर बेसिक ज्ञान होना चाहिए उससे हमारे राज्य के बच्चों का बेसिक ज्ञान काफी कम है. यह रिपोर्ट आने के बाद शिक्षा विभाग के अधिकारी भी काफी चिंतित नजर आ रहे हैं उनका कहना है कि विद्यालयों में शैक्षणिक स्तर सुधारने का प्रयास शिक्षकों को अवश्य करना चाहिए. 




- साइंस व सोशल साइंस में 68 फीसद बच्चों को नहीं है बेसिक नॉलेज
- अंग्रेजी व गणित में भी फिसड्डी साबित हो रहे बच्चे
- शैक्षणिक गुणवत्ता में गिरावट से स्कूलों से दूर जा सकते हैं बच्चे

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर सूबे में शिक्षा के सुधार के लिए सरकार चाहे लाख दावे करें लेकिन यह बात साफ है कि शिक्षा मंत्री डॉ चंद्रशेखर के द्वारा रामचरितमानस पर टिप्पणी करने तथा अपने राजनीतिक बयानबाजी के अतिरिक्त शिक्षा व्यवस्था के सुधार के लिए कोई भी कार्य जमीनी स्तर पर दिखाई नहीं दे रहा, जिसके कारण शैक्षणिक गुणवत्ता प्रभावित हो रही है. अकेले बक्सर जिले से ही स्कूलों की दशा सुधारने के लिए शिक्षा मंत्री को कई आवेदन दिए गए लेकिन अब तक उस पर कोई कार्य नहीं हुआ. ऐसे में जिस बिहार को ज्ञान की भूमि माना जाता रहा है. वहां शैक्षणिक गुणवत्ता में गिरावट का स्तर अब साफ तौर पर देखा जाने लगा है. राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण 2021 में यह बात साफ हो गई है की स्कूली छात्रों का जो राष्ट्रीय स्तर पर बेसिक ज्ञान होना चाहिए उससे हमारे राज्य के बच्चों का बेसिक ज्ञान काफी कम है. यह रिपोर्ट आने के बाद शिक्षा विभाग के अधिकारी भी काफी चिंतित नजर आ रहे हैं उनका कहना है कि विद्यालयों में शैक्षणिक स्तर सुधारने का प्रयास शिक्षकों को अवश्य करना चाहिए. 


दरअसल, 12 नवंबर 2021 को राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण के तहत राज्य के 5 हज़ार 588 सरकारी एवं निजी विद्यालयों में कक्षा तीसरी, 5वीं, 8वीं और 10वीं की आयोजित परीक्षा की रिपोर्ट सामने आई जिसमें ज्ञात हुआ कि जिले के 68 फीसद छात्र-छात्राओं को साइंस व सोशल साइंस की समझ बुनियादी स्तर से नीचे है. निश्चित रूप से यह रिपोर्ट काफी चिंताजनक है. जिसे लेकर अधिकारी शिक्षकों को शैक्षणिक गुणवत्ता सुधारने की नसीहत देते नजर आ रहे हैं. 

अंग्रेजी में 30 और गणित में 44 फीसद बच्चों को नहीं है बेसिक ज्ञान :

इस सम्बंध में विस्तृत जानकारी देते हुए जिला कार्यक्रम पदाधिकारी स्थापना शारिक अशरफ ने बताया कि नेशनल एचीवमेंट सर्वे एक राष्ट्रीय स्तर का अध्ययन है. इससे देश की शिक्षा व्यवस्था की परख की जाती है. इसमें किसी बच्चे या स्कूल की अलग से कोई रैंकिंग नहीं होती. यह ओवलऑल सर्वे होता है. हालांकि इस सर्वे से यह आंकड़ा जरूर मिलता है कि बच्चों का बेसिक ज्ञान कितना है. उन्होंने बताया कि इस सर्वे के रिपोर्ट के अनुसार जिला का परफॉर्मेंस एवरेज बेसिक से नीचे है. जब तीसरी कक्षा के बच्चों का एनएसए रिपोर्ट आया तो इंग्लिश में 30 फीसद बच्चों को बेसिक शिक्षा का ज्ञान नही है. उसी प्रकार गणित में 44 फीसद ऐसे बच्चे है जिन्हें बेसिक का ज्ञान नही है. 

जमीनी स्तर पर कार्य किए जाने की आवश्यकता :

उन्होंने कहा कि यह विषय गम्भीर है और इसपर हमें सोचना और काम करना होगा. उन्होंने कहा कि यदि बच्चों की परफॉर्मेंस में बार-बार गिरावट आती है और पढ़ाई में उन्हें रुचि नही रहती है तो फिर वो बच्चे ड्रॉप आउट यानी पढ़ाई छोड़ने लगते हैं. इसे रोकने के लिए हमें कक्षा तीन और पांच में ही बच्चों पर ध्यान देना है कि वो सिस्टम का एक हिस्सा बन जाएं और आगे पढ़ाई के लिए वो खुद प्रेरित हो जाएं. इसके लिए उन्होंने शिक्षकों से अपील करते हुए कहा कि आपकी परेशानियों को दूर करने के लिए मैं हूँ लेकिन डाटा यह जरूर दर्शाता है कि आप जमीन पर क्या कर रहे हैं. इसलिए सभी शिक्षक इस गम्भीर विषय पर ध्यान देकर बच्चों के पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करे.

भूखे पेट कब तक ज्ञान बांटे? : शिक्षक नेता

शिक्षक नेता अंजनी कुमार सिंह बताते हैं कि शैक्षणिक गुणवत्ता में गिरावट आने का मूल कारण शिक्षकों के साथ शिक्षा विभाग के अधिकारियों के द्वारा की जा रही मनमानी है. शिक्षकों को समय पर वेतन नहीं मिलता है. फिलवक्त ही 2 माह से ज्यादा का वेतन लंबित है. ऐसे में जो लोग शिक्षकों से शैक्षणिक गुणवत्ता सुधारने की चाहत रखते हैं उन अधिकारियों को इस बात पर विचार अवश्य करना चाहिए कि शिक्षक आखिर भूखे पेट कब तक ज्ञान बांटेगा? जो शिक्षा मंत्री  शिक्षा विभाग में व्याप्त समस्याओं को छोड़कर रामचरितमानस की कमियां ढूंढ रहे हैं उनसे और उम्मीद भी क्या की जा सकती है?

देश के 733 जिलों में हुआ था सर्वेक्षण :

बता दें कि राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण 2021 का आयोजन देशभर के स्कूलों में हुआ था. देश के कुल 733 जिलों के 1 लाख 23 हजार से ज्यादा स्कूलों में ये परीक्षा आयोजित हुई थी. जिसमें लगभग 30 लाख से ज्यादा छात्र शामिल हुए थे. इसके पहले 2017 में सर्वे किया गया था. हालांकि, नवीन सर्वे में बच्चों में बुनियादी ज्ञान की जो कमी उजागर हुई है वह बेहद गम्भीर विषय है. इसके लिए शिक्षकों, अधिकारियों तथा नेताओं को अपने दायित्वों के प्रति जिम्मेवार होना होगा तब जाकर बच्चों में बुनियादी शिक्षा की कमी दूर हो सकती है.

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