बक्सर अनुमंडल में महज चार ही अंचल हैं जबकि डुमराँव अनुमंडल में 11 अंचल हैं. इसी हिसाब से मुकदमे भी उसी क्षेत्र के ज्यादा है ऐसे में डुमरांव न्यायालय का बनना बेहद आवश्यक है. नया जेल बन जाने से भी लोगों को काफी सहूलियत होगी. सुरक्षित तरीके से कैदियों को जेल भेज दिया जाएगा.
- न्यायालय के लिए 10 एकड़ जमीन का हुआ चयन, 5 एकड़ में बनेगा जेल
- स्वीकृति के लिए भेजा गया उच्च न्यायालय तथा कारा महानिरीक्षक को प्रस्ताव
बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : नए साल में अनुमंडल के लोगों को अनुमंडल न्यायालय का तोहफा मिलने जा रहा है. इसके लिए डुमरांव स्थित महाराजा कोठी के सामने दस एकड़ पिछले दिनों जमीन का चयन कर लिया गया है. इसके अतिरिक्त 5 एकड़ जमीन में नए कारागार का भी निर्माण किया जाएगा. सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो इस वर्ष निर्माण कार्य प्रारंभ हो जाएगा, जिसे डेढ़ साल के अंदर पूरा कर लिया जाएगा. जेल और न्यायालय भवन तैयार हो जाने पर फौजदारी मुकदमों की सुनवाई के लिए भी न्यायालय कार्य करने लगेगा. भवन निर्माण के बाद अनुमंडल न्यायिक मजिस्ट्रेट, न्यायिक मजिस्ट्रेट के साथ साथ अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट व जमानत आवेदन की सुनवाई के लिए एक अपर सत्र न्यायाधीश का भी न्यायालय कार्य करने लगेगा.
सूत्रों से मिली इस जानकारी के मुताबिक पूर्णरूपेण न्यायालय के अस्तित्व में आने के बाद डुमराँव अनुमंडल न्यायालय में बक्सर के 80 फीसदी मामलों का स्थानांतरण हो जाएगा. बक्सर अनुमंडल में महज चार ही अंचल हैं जबकि डुमराँव अनुमंडल में 11 अंचल हैं. इसी हिसाब से मुकदमे भी उसी क्षेत्र के ज्यादा हैं. ऐसे में डुमरांव न्यायालय का बनना बेहद आवश्यक है. नया जेल बन जाने से भी लोगों को काफी सहूलियत होगी. सुरक्षित तरीके से कैदियों को जेल भेज दिया जाएगा. 5 एकड़ में बनने वाले जेल में कैदियों के रखने की व्यवस्था के साथ-साथ कारा अधीक्षक, उपाधीक्षक के लिए आवास तथा पुलिसकर्मियों के रहने के लिए बैरक का भी निर्माण कराया जाएगा.
सात सालों से की जा रही है न्यायालय के लिए जमीन की तलाश :
दरअसल, पिछले सात सालों से डुमरांव अनुमंडल न्यायालय के लिए जमीन की तलाश की जा रही है. वर्तमान में अनुमंडल कार्यालय के सामने पशुपालन विभाग के हॉस्टल में चल रहे न्यायालय को जमीन अब तक उपलब्ध नहीं हो सकी है. पूर्व में प्रशासन ने हरियाणा फॉर्म व डुमरेजनी माता मंदिर के मध्य प्रस्तावित मेडिकल कॉलेज के समीप अनुमंडल न्यायालय के लिए 10 एकड़ जमीन का प्रस्ताव दिया था, जिसके बाद पटना उच्च न्यायालय के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश के द्वारा निरीक्षण भी किया गया था.
मुख्य न्यायाधीश ने नव चयनित भूखंड को माना है सही :
निरीक्षण करने के उपरांत मुख्य न्यायाधीश ने इस जमीन को न्यायालय के लिए सही नहीं माना था. उनका कहना था कि न्यायालय ऐसी जगह पर बनाया जाए जहां ट्रेन अथवा सड़क मार्ग से लोगों को पहुंचने में आसानी इस प्रस्ताव के अस्वीकृत होने के बाद जिला और सत्र न्यायाधीश के निर्देश पर अंचलाधिकारी डुमरांव के द्वारा नई जमीन ढूंढी जाने लगी थी. इस क्रम में डुमरांव हाउस के ठीक सामने 10 एकड़ जमीन का चयन किया गया, जिससे जिला एवं सत्र न्यायाधीश को अवगत भी कराया गया. उस प्रस्ताव को जिला एवं सत्र न्यायाधीश के द्वारा विधि विभाग एवं उच्च न्यायालय को भेज दिया गया है उम्मीद है कि जल्द ही इसकी स्वीकृति भी मिल जाएगी.
डुमरांव रेलवे स्टेशन से नजदीक होगा न्यायालय, राष्ट्रीय राजमार्ग से भी सीधी कनेक्टिविटी :
डुमरांव अनुमंडलीय न्यायालय के लिए चयनित नए भूखंड की रेल मार्ग तथा सड़क मार्ग से सुगम कनेक्टिविटी है. रेलवे स्टेशन से तकरीबन 500 मीटर तथा राष्ट्रीय राजमार्ग 84 से बिलकुल सटी हुई जहाज जमीन व्यवहार न्यायालय के लिए बिल्कुल उपयुक्त है. अधिवक्ता विकास आनंद और राघव पांडेय बताते हैं कि अनुमंडलीय न्यायालय के लिए इससे उपयुक्त और कोई जमीन हो ही नहीं सकती.
अपना जमीन होने से होगा न्यायालय का विस्तार, मौजूद होगी सभी सुविधाएं :
अपना जमीन व भवन नहीं होने से न्यायालय का विस्तार भी रुका हुआ है. वर्तमान में डुमरांव व्यवहार न्यायालय में तीन सब जज का औऱ एक मुंसिफ का न्यायालय कार्यरत हैं. जबकि 16 जुलाई 2015 से अस्तित्व में आये डुमरांव अनुमंडल न्यायालय में आरंभ में एक सबजज और एक मुंसिफ का न्यायालय ही कार्यरत था. अपनी जमीन और भवन होने पर न्यायालय में दस कोर्ट का दुमंजिला न्यायालय भवन हो जायेगा. जिसमें वॉच टावर, गार्ड रूम के साथ-साथ न्यायालय परिसर में फुलवारी, पार्किंग स्पेस भी मौजूद भी रहेगा. हर न्यायालय का अपना एक अत्याधुनिक कार्यालय होगा. अभिलेख रखने का कमरा भी अलग होगा. साथ ही ऑनलाइन मुकदमा दर्ज कराने की भी सुविधा उपलब्ध होगी. भवन में सभी न्यायालयों के लिए अलग-अलग प्रसाधन की भी व्यवस्था होगी. पुस्तकालय भवन तथा पेयजल के लिए भी बेहतर व्यवस्था होगी. सीसीटीवी कैमरे से न्यायालय परिसर की निगरानी होती रहेगी. इसके साथ ही न्यायिक पदाधिकारियों के लिए दस आवासीय क्वार्टर भी बनाए जाएंगे.
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