वीडियो : दिव्यांग बहन की मदद से भाई बना रहा ज्ञान की देवी की प्रतिमाएं, अद्भुत कला देख लोग हुए अचंभित ..

दोनों भाई बहन की कलाकारी को देखकर ना सिर्फ जिले के बल्कि सीमावर्ती राज्य उत्तर प्रदेश के लोग भी हर साल बक्सर पहुंचते हैं और प्रतिमाएं खरीदते हैं. विकास ने बताया कि ना सिर्फ ज्ञान की देवी सरस्वती बल्कि अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमाएं भी को बखूबी बना लेते है.

 






- सात वर्षों से बना रहे प्रतिमाएं, यूपी और बिहार में भी है डिमांड
- पढ़ाई के लिए मूर्तिकला के माध्यम से कमाई करते हैं विकास, अधिकारी बन बहन इलाज का है सपना

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : इस बार बसंत पंचमी और गणतंत्र दिवस दोनों एक ही मनाए जा रहे हैं. ज्ञान की देवी की पूजा को लेकर जहां सभी छात्र और उपासक तैयारियों में लगे हुए हैं वहीं, मूर्तिकार भी प्रतिमाओं को अंतिम स्वरूप दे रहे हैं. ऐसे ही मूर्तिकारों में शामिल सदर प्रखंड के कमर पुर निवासी विकास कुमार प्रजापति नामक मूर्तिकार अपनी दिव्यांग बहन गुड़िया की सहायता से माता सरस्वती की प्रतिमा में अपनी कला के माध्यम से जान डालने की कोशिश में तल्लीन दिखाई दिए. उन्होंने बताया कि वह पिछले सात वर्षों से प्रतिमा बनाने का यह कार्य करते हैं. फिलहाल वह स्नातक की पढ़ाई कर रहे हैं लेकिन पढ़ाई के साथ साथ कमाई के लिहाज से वह मूर्ति बनाने का कार्य करते हैं. खास बात यह है कि इस कार्य में उनकी दिव्यांग बहन गुड़िया भी उनकी मदद करती हैं. गुड़िया का कहना है कि वह बहुत छोटी थी जब वह पोलियो के शिकार हो गई लेकिन इन प्रतिमाओं के निर्माण के दौरान उन्हें  अपनी प्रतिभा को दिखाने का मौका मिलता है. साथ ही साथ उन्हें लाचार समझने वाले लोगों को भी जवाब मिल जाता है.


बिहार के साथ-साथ यूपी में भी डिमांड : 

दोनों भाई बहन की कलाकारी को देखकर ना सिर्फ जिले के बल्कि सीमावर्ती राज्य उत्तर प्रदेश के लोग भी हर साल बक्सर पहुंचते हैं और प्रतिमाएं खरीदते हैं. विकास ने बताया कि ना सिर्फ ज्ञान की देवी सरस्वती बल्कि अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमाएं भी को बखूबी बना लेते है. उन्होंने बताया कि उनके चार सौ से लेकर 10 हज़ार रुपये तक की प्रतिमाएं मौजूद हैं. उपासक अपने बजट के हिसाब से प्रतिमाएं उनसे खरीदते हैं.


विरासत में मिली है मूर्तिकला :

विकास ने बताया कि वह मूल रूप से सोहनी पट्टी के रहने वाले हैं उनके पिता भी अच्छे मूर्तिकार है यह कला उन्हें विरासत में मिली है हालांकि उन्होंने मूर्तियां बनानी बेहद कम उम्र में शुरू कर दी खास बात यह है कि उनकी बहन दोनों पैरों से दिव्यांग होने के बावजूद उनको इस में मदद करती हैं. दोनों भाई बहन मिलकर सरस्वती पूजा में 25 से 30 हज़ार रुपये तक कमा लेते हैं.

पढ़-लिख कर अधिकारी बनने का सपना देख रहे हैं विकास : 

विकास का कहना है कि मूर्तिकला के साथ-साथ उन्होंने पढ़ाई भी जारी रखी फिलहाल बाद स्नातक के छात्र हैं लेकिन जो आपने पढ़ाई आगे जारी रखेंगे और पढ़ लिखकर बड़ा अधिकारी बनेंगे सबसे पहले वह पोलियो ग्रस्त हो चुकी अपनी का इलाज करवाएंगे तथा ऐसे लोगों की मदद करेंगे जो अपने दम पर अपना मुकाम हासिल करते हैं. उन्होंने कहा कि मूर्तिकला को कैरियर नहीं बनाया जा सकता. हालांकि अधिकारी बनने के बाद भी वह कला और कलाकारों की मदद के लिए सदैव कार्य करते रहेंगे.

वीडियो : 











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