वीडियो : जिले में महाशिवरात्रि की धूम, जानिए शिव मंदिरों का पौराणिक इतिहास ..

कहा जाता है कि क्षेत्र में जब अकाल पड़ता है तो लोग शिवलिंग के चारों तरफ मिट्टी का घेरा बनाकर उसमें गंगाजल भरते हैं और जब शिवलिंग जल में समाहित होने लगता है तो आसमान से बारिश होने लगती है. 
रामेश्वर नाथ मंदिर में नंदी भगवान से अपनी मनोकामनाएं कहते भक्त




ब्रह्मेश्वर नाथ मंदिर में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

- रामेश्वर नाथ से लेकर ब्रह्मेश्वर नाथ तक हर-हर महादेव की गूंज
- सुरक्षा के व्यापक इंतजाम, भारी वाहनों का प्रवेश वर्जित, गंगा की भी निगरानी

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : महाशिवरात्रि को लेकर जिले के विभिन्न शिव मंदिरों में सुबह से ही श्रद्धालु भक्तों के पहुंचने का सिलसिला जारी है. श्रद्धालुओं ने रामरेखा घाट से उत्तरायणी गंगा का पवित्र जल लिया और फिर जिला मुख्यालय के रामेश्वर नाथ मंदिर नाथ बाबा मंदिर पातालेश्वर नाथ मंदिर के साथ-साथ ब्रह्मापुर स्थित बाबा ब्रह्मेश्वर नाथ मंदिर के लिए प्रस्थान किया श्रद्धालुओं ने 40 किलोमीटर की लंबी यात्रा की और फिर बाबा ब्रह्मेश्वर नाथ का जलाभिषेक किया. उधर सदर प्रखंड के रामोबरिया में जंगलों के बीच बाबा नागेश्वरनाथ के मंदिर के समीप भव्य मेला लगा है जहां दूर-दराज से श्रद्धालु पहुंचे हैं. भगवान शिव की पूजा अर्चना करने के पश्चात सभी ने नंदी भगवान के कानों में अपनी मनोकामनाएं कहीं. महाशिवरात्रि को लेकर जिले में सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए हैं. नगर में भारी वाहनों का प्रवेश वर्जित है. गंगा घाटों की भी निगरानी की जा रही है.

जिले में जो भी शिवलिंग स्थापित है उनके स्थापना को लेकर अलग-अलग मान्यता है. आज हम आपको जिले के कुछ शिव मंदिरों की स्थापना व उनकी महत्ता के बारे में बताएंगे. 
रामेश्वर नाथ मंदिर

पाप विमोचन के लिए भगवान श्री राम ने की थी रामेश्वर नाथ की स्थापना : 

त्रेता युग में भगवान श्री राम ने बक्सर के महर्षि विश्वामित्र आश्रम पहुंच गुरु से शिक्षा दीक्षा ली थी उन्होंने ताड़का का संघार किया और फिर बाद में यही से जनकपुर जाने के बाद विवाह भी किया विवाह के पश्चात वन गमन और फिर रावण का वध किया रावण के वध के बाद उन पर ब्रह्महत्या का पाप लग गया था किसी पाप से मुक्ति पाने के लिए वह पुनः बक्सर आए और बक्सर में पवित्र गंगाजल से स्नान करने के पश्चात उन्होंने भगवान शंकर के शिवलिंग की स्थापना की. भगवान राम द्वारा स्थापित किए जाने के कारण ही इस मंदिर का नाम रामेश्वर नाथ मंदिर है. उत्तरायणी गंगा के तट पर स्थित इस मंदिर में प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं जो कि पवित्र गंगाजल से भगवान का जलाभिषेक करते हैं.

वीडियो  : रामेश्वर नाथ मंदिर का इतिहास : 

ब्रह्मेश्वर नाथ के दरबार में मुख्यमंत्री नितीश कुमार

ब्रह्मा जी ने किया था ब्रह्मेश्वर नाथ को स्थापित, महमूद गजनी को लौटना पड़ा था : 

इसी प्रकार ब्रह्मपुर स्थित बाबा ब्रह्मेश्वर नाथ मंदिर के बारे में मान्यता है कि इसे ब्रह्मा जी ने स्थापित किया था. कहा जाता है कि मंदिर का ऐसा चमत्कार है जिसके कारण इसका दरवाजा रातों-रात पूरब से पश्चिम हो गया था. दरअसल, महमूद गजनी नामक मुस्लिम आक्रमणकारी ने वर्ष 1001 से 1027 के बीच 17 बार भारत पर किए गए. अपने आक्रमणों के दौरान उसने कई मंदिरों का विध्वंस कर दिया. एक बार ब्रम्हपुर स्थित मंदिर को पहुंचकर तोड़ने का प्रयास किया. लेकिन स्थानीय लोगों ने यह कहा कि यदि वह मंदिर तोड़ता है तो उसका विनाश निश्चित है. तब उसने यह कहा कि यदि वाकई इस मंदिर में इतना प्रभाव है तो वह इस मंदिर को उसी शर्त पर छोड़ेगा कि रातों-रात इसका दरवाजा पूरब से पश्चिम की तरफ हो जाए. अगले दिन सुबह जब गजनी यहां आया तो दरवाजा पूरब से पश्चिम की तरफ हो गया. आखिरकार उसे यहां से लौटकर जाना पड़ा.

नागेश्वर नाथ महादेव मंदिर

जंगलों के बीच लकड़ी के लिंग के रूप में स्थापित है भगवान शिव :

सदर प्रखंड के रामोबारिया में नागेश्वर नाथ शिव मंदिर की स्थापना के बारे में ऐसा कहा जाता है कि भगवान श्री राम जब नेता युग में इस रास्ते के जंगलों से गुजर रहे थे तो उन्होंने स्वयं से उत्पन्न इस शिवलिंग को देखा और इसकी पूजा अर्चना की. भगवान शिव के इस रूप को नागेश्वरनाथ का नाम दिया गया. कहा जाता है कि क्षेत्र में जब अकाल पड़ता है तो लोग शिवलिंग के चारों तरफ मिट्टी का घेरा बनाकर उसमें गंगाजल भरते हैं और जब शिवलिंग जल में समाहित होने लगता है तो आसमान से बारिश होने लगती है. महाशिवरात्रि के मौके पर हर साल यहां विशाल मेला लगता है जहां कई गांवों के लोग पहुंचते हैं.
इस रूप में विराजमान हैं भगवान नागेश्वरनाथ

वीडियो : नागेश्वर नाथ मंदिर का इतिहास : 

















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