वीडियो : जिले के दर्जनों चिकित्सक वर्षों से गायब, भगवान भरोसे मरीजों की जान ..

अज्ञात कारणों से चिकित्सक अधिकांश दवाएं बाहर के मेडिकल स्टोर से ही लेने की बात कहते हैं. ऐसे में भले ही सिविल सर्जन को मिशन-60 के तहत सुबह के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव बेहतर व्यवस्था के लिए पुरस्कृत करें, लेकिन कहीं ना कहीं व्यवस्थाओं में सुधार की जरूरत अब भी नजर आती है.


 



चिकित्सक के गायब होने तथा दुर्व्यवहार की शिकायत करती महिला

- राज्य स्वास्थ्य समिति को भेजे गए अनुपस्थित चिकित्सकों की सूची
- अलग-अलग कारणों का हवाला देकर वर्षों से अनुपस्थित हैं कई चिकित्सक

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : मिशन-60 के तहत सरकारी अस्पताल की व्यवस्था सुधारने के सरकार के दावों के बीच एक चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है. इसमें यह बताया गया है कि जिले के विभिन्न सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों के साथ ही सबसे बड़े सरकारी अस्पताल सदर अस्पताल में कार्यरत चिकित्सकों को मिलाकर कुल 26 चिकित्सक पिछले कई सालों से छुट्टी पर हैं. खास बात यह है कि छुट्टी पर गए चिकित्सकों के रहते अस्पतालों में कोई रिक्ति नहीं है, जिसके कारण नए चिकित्सकों की बहाली भी नहीं हो पा रही और रोगियों को अस्पताल पहुंचने के बाद इलाज के नाम पर केवल सरकारी अस्पतालों के भवन ही देखने को नसीब हो रहे हैं. अस्पतालों में ना तो चिकित्सक उन्हें मिल रहे हैं और ना ही दवाइयों की उपलब्धता उन्हें हो पा रही है. उधर, सूत्रों की माने तो सभी चिकित्सक निजी चिकित्सालयों में अपनी सेवा दे रहे हैं. जहां वंचित लोग भले ही ना पहुंचे लेकिन नेता मंत्री से लेकर बड़े लोग को आसानी से पहुंच जाते हैं.

चिकित्सकों के अनुपस्थित रहने के कारण व्यवस्था इतनी बदहाल है कि इलाज के अभाव में लोग दम तोड़ दे रहे हैं. पिछले दिनों भाजपा के एक वरिष्ठ नेता की जान भी कथित तौर पर जिला मुख्यालय के सिटी हॉस्पिटल में त्वरित इलाज नहीं मिलने के कारण चली गई. हाल ही में एक समाचार माध्यम में यह खबर आई थी कि नया भोजपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में आयुष चिकित्सक ने पिछले 8 साल से अंग्रेजी दवाएं लिख रहे हैं. उनका कहना है कि जो चिकित्सक के यहां पदस्थापित थे वह कभी ड्यूटी करने आए ही नहीं. ऐसे में आयुष चिकित्सक डॉ हिसमुद्दीन तथा दो जीएनएम अकेले ही पूरे अस्पताल का भार संभालते हैं. जबकि इस छोटे से अस्पताल के जिम्मे 12 हज़ार की आबादी की स्वास्थ्य व्यवस्था है. 
चिकित्सक के इंतजार में बैठे मरीज
पूरे में आधा, उसमें भी बाधा :

जिले के स्वास्थ्य महकमे में सिविल सर्जन से लेकर कुल चिकित्सकों के 224 स्वीकृत पैड हैं. लेकिन, जिले में कुल 23 लाख 7 हजार की आबादी पर केवल 112 चिकित्सक ही तैनात हैं. काम के दबाव में कई बार चिकित्सक मरीजों के साथ दुर्व्यवहार भी कर बैठते हैं. इसके अतिरिक्त दवाओं की बात करें तो सदर अस्पताल के सूचना पट्ट पर 95 दवाओं को प्रदर्शित किया गया है. लेकिन अज्ञात कारणों से चिकित्सक अधिकांश दवाएं बाहर के मेडिकल स्टोर से ही लेने की बात कहते हैं. ऐसे में भले ही सिविल सर्जन को मिशन-60 के तहत सुबह के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव बेहतर व्यवस्था के लिए पुरस्कृत करें, लेकिन कहीं ना कहीं व्यवस्थाओं में सुधार की जरूरत अब भी नजर आती है.
चिकित्सक कक्ष में बंद पड़ा ताला

पिता की बीमारी, अपनी बीमारी और मातृत्व अवकाश के नाम पर वर्षों से गायब हैं चिकित्सक :

स्वास्थ्य विभाग के आधिकारिक सूत्रों की माने तो जिन चिकित्सकों ने अपनी सेवा से छुट्टी ली है, वह अलग-अलग कारणों को बता कर अपने कर्तव्य से अनुपस्थित हैं. सदर अस्पताल के चिकित्सक जयमित अंकुर ने पिता के इलाज के लिए अक्टूबर 2020 में ई-मेल से अपना आवेदन समर्पित किया और वह 2 साल से ज्यादा समय बीतने के बाद भी वापस नहीं पहुंचे. जनवरी 2019 से मातृत्व अवकाश का आवेदन देकर डुमरांव अनुमंडलीय अस्पताल से गायब चिकित्सक डॉ रश्मि सिन्हा ने चार साल बाद भी योगदान नहीं किया है. इसी अस्पताल की चिकित्सक डॉ माला सिन्हा अगस्त 2022 से मातृत्व अवकाश पर हैं. इसके अतिरिक्त जो चिकित्सक स्वयं लंबे समय से बीमार चल रहे हैं, उनमें अक्टूबर 2022 से गायब अनुमंडलीय अस्पताल डुमरांव के डॉ अजीत कुमार सिंह तथा अक्टूबर 2022 से ही गायब अनुमंडलीय अस्पताल के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ वीरेंद्र राम, जून 2022 से गायब बक्सर सदर प्रखंड के अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र महदह के चिकित्सक डॉ राजेश कुमार सिंह, सदर प्रखंड प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के डॉ मिथिलेश सिंह और अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भदवर के डॉक्टर प्रवीण कुमार सिंह शामिल हैं.
चिकित्सक की जगह कुर्सी ही कर रही ड्यूटी
बिना कुछ बताए ही गायब हैं कई चिकित्सक : 

कई चिकित्सक ऐसे हैं जो बिना कुछ बताएं लंबे समय से गायब हैं. जिनमें दिसंबर 2021 से गायब सदर अस्पताल के चिकित्सक डॉ साकार कुमार, इसी माह से अनुमंडलीय अस्पताल डुमराव के डॉ संतोष कुमार शर्मा, अक्टूबर 2022 से गायब सदर अस्पताल के चिकित्सक डॉ अमित शेखर, वर्ष 2021 के अक्टूबर और सितंबर माह से गायब दुल्लहपुर अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सक डॉ अनीता रंजन एवं अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बड़का सिंघनपुरा के चिकित्सक डॉ गौरव कुमार भी अब तक वापस नहीं लौटे. इसी प्रकार दिसंबर 2021 से अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ब्रह्मपुर की चिकित्सक डॉ लक्ष्मी कुमारी, अक्टूबर 2020 अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सिकरौल के डॉ शलभ समदर्शी, अक्टूबर 2021 से अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र आथर के डॉ राज आर्यन, मार्च 2020 से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नवानगर के दंत चिकित्सक डॉ सुजीत कुमार शर्मा, सितंबर 2021 से प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र चक्की के डॉ हरिओम सिंह तथा इसी माह से अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र नया भोजपुर कि डॉक्टर प्रतिभा सिंह अनाधिकृत रूप से गायब हैं. 

कुछ ने सौंप दिया त्यागपत्र, लेकिन प्रक्रिया पूरी नहीं करने के कारण अनुपस्थित की सूची में शामिल :

इसके अतिरिक्त जिन चिकित्सकों ने अपना त्यागपत्र समर्पित कर दिया है उन्हें भी त्यागपत्र देने की सही प्रक्रिया नहीं पूरी करने के कारण अनुपस्थित चिकित्सकों की सूची में रखा गया है.  सिविल सर्जन कार्यालय में कार्यरत डॉ शगुफ्ता परवीन ने सितंबर 2021 में त्यागपत्र दे दिया है, वहीं सदर अस्पताल के डॉ आतिफ सत्तार ने जनवरी 2022 में तथा अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र गिरिधर बरांव के चिकित्सक डॉ अमित कुमार सिन्हा ने मई 2022 में अपना त्यागपत्र दे दिया है. कुछ अन्य चिकित्सक भी हैं जिन्होंने अवकाश के लिए आवेदन देकर काफी समय से योगदान नहीं दिया है. उनमें सदर अस्पताल के डॉ अभिषेक कुमार जो फरवरी 2021 से गायब हैं. सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सिमरी की डॉ प्रियंका कुमारी जनवरी 2022 से गायब हैं. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र चौगाई की चिकित्सक डॉ सुनीता कुमारी जुलाई 2022 से गायब हैं.

जो हैं वह भी मिलते नहीं है :

स्वास्थ विभाग के आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक विभिन्न सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में ऐसे भी चिकित्सक है जो सरकारी रिकॉर्ड में अनुपस्थित तो नहीं है, लेकिन अस्पताल पहुंचने पर मिलते भी नहीं है. उनके सेटिंग इतनी मजबूत है की प्रतिदिन उनकी हाजिरी उपस्थिति पंजी में दर्ज हो जाती है. जब किसी पदाधिकारी का औचक निरीक्षण होता है तब इनकी पोल खुलती है लेकिन कई बार पूर्व सूचना हो जाने पर वह उपस्थित भी हो जाते हैं. माना जा रहा है कि विभाग उनके खिलाफ सबूत जुटा रहा है जिसके बाद उन पर कार्रवाई होना तय है.

बर्खास्त किए सकते हैं चिकित्सक : सिविल सर्जन

सिविल सर्जन डॉ जितेंद्र नाथ का कहना है कि सभी अनुपस्थित चिकित्सकों की सूची राज्य स्वास्थ्य समिति को भेजी जा चुकी है. यह सभी उन 723 चिकित्सकों में शामिल हैं जो अलग-अलग जिलों से गायब हैं. इनके नाम इश्तेहार भी छप चुका है. उम्मीद है कि जल्द ही इस संदर्भ में विभागीय निर्देश प्राप्त होगा. इसके आलोक में आगे की कार्रवाई की जाएगी. यह भी संभव है कि चिकित्सकों के विरुद्ध बर्खास्तगी की कार्रवाई हो.

डॉ जितेंद्र नाथ
सिविल सर्जन, बक्सर

वीडियो : 

















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