जब धरती पर अत्याचार बढ़ा तो राम रूप में भगवान विष्णु ने लिया अवतार : आचार्य रणधीर

सबसे पहले महाराज दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने एक शिशु को जन्म दिया जो बेहद ही कान्तिवान, नील वर्ण और तेजोमय था. इस शिशु का जन्म चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को हुआ था. इस समय पुनर्वसु नक्षत्र में सूर्य, मंगल शनि, वृहस्पति तथा शुक्र अपने-अपने उच्च स्थानों में विराजित थे. साथ ही कर्क लग्न का उदय हुआ था.



- श्री राम कथा के दौरान आचार्य ने सुनाई राम जन्म की कथा
- माता गौरी व भगवान शंकर संवाद प्रसंग की भी हुई चर्चा

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : नगर के नया बाजार स्थित श्री सीताराम विवाह आश्रम में राजा राम शरण दास के मंगलानुशासन में आयोजित नौ दिवसीय श्रीराम कथा के पांचवे दिन मामा जी के कृपा पात्र आचार्य रणधीर ओझा ने श्री राम जन्म और जन्म के कारण को बताया. आचार्य श्री ने बताया कि जब धरती पर अत्याचार बढ़ा और लोग त्राहि-त्राहि करते हुए भगवान विष्णु की शरण में पहुंच गए. तब भगवान विष्णु ने मनु को आश्वासन देते कहा कि हम शीघ्र ही त्रेता युग में अवतार लेकर अत्याचारियों का नाश करेंगे.

अयोध्या के राजा दशरथ की चिंता का जिक्र करते हुए कहा कि वे संतान सुख न मिलने से बहुत दुखी थे. उन्होंने गुरु वशिष्ठ के पास जाकर अपनी व्यथा सुनाई. उसके बाद गुरु वशिष्ठ जी की सलाह पर यज्ञ कर प्रसाद प्राप्त किया. इसके बाद उन्हें चार पुत्रों का सुख मिला. सबसे पहले महाराज दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने एक शिशु को जन्म दिया जो बेहद ही कान्तिवान, नील वर्ण और तेजोमय था. इस शिशु का जन्म चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को हुआ था. इस समय पुनर्वसु नक्षत्र में सूर्य, मंगल शनि, वृहस्पति तथा शुक्र अपने-अपने उच्च स्थानों में विराजित थे. साथ ही कर्क लग्न का उदय हुआ था. फिर शुभ नक्षत्रों में कैकेयी और सुमित्रा ने भी अपने-अपने पुत्रों को जन्म दिया. कैकेयी का एक और सुमित्रा के दोनों पुत्र बेहद तेजस्वी थे.
 

राम के जन्म की कथा के दौरान भजनों की प्रस्तुति से माहौल भक्तिमय कर दिया. भजन- "भए प्रगट कृपाला, दीन दयाला, कौशिल्या हितकारी .." जैसे अन्य भजनों की प्रस्तुति से लोग भाव-विभोर हो गए. लोगों ने पुष्पवर्षा कर भगवान राम का स्वागत किया.

महाराज के चारों पुत्रों के जन्म से सम्पूर्ण राज्य में आनन्द का माहौल था. हर कोई खुशी में गन्धर्व गान कर रहा था और अप्सराएं नृत्य करने लगीं. देवताओं ने पुष्प वर्षा की. महाराज ने ब्राह्मणों और याचकों को दान दक्षिणा दी और उन सभी ने महाराज के पुत्रों को आशीर्वाद दिया. प्रजा-जनों को महाराज ने धन-धान्य और दरबारियों को रत्न, आभूषण भेंट दी. महर्षि वशिष्ठ ने महाराज के पुत्रों का नाम रामचन्द्र, भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न रखा.

आचार्य श्री ने बताया कि पार्वती जी शंकर जी से पूछती है कि जो निर्गुण है निराकार है वह सगुण साकार कैसे हो जाता है? अवतार लेने की उसे क्या जरूरत पड़ती है अर्थात सीधा अर्थ है कि भगवान अवतार क्यों लेते हैं?

तब भगवान भोलेनाथ कहते हैं कि - "हे देवी यह ऐसा प्रश्न है कि जिसका एक उत्तर आज तक कोई दे सका है और ना एक उत्तर कोई दे सकेगा क्योंकि 
_//राम जन्म के हेतु होने का परम विचित्र एक ते एका// ।  
// जब जब होई धरम की हानि, बाढ़हि असुर अधम अभिमानी//
//तब तब प्रभु धारी विविध शरीरा ।। हरीकृपा निधि सज्जन  पीरा//
इसका मतलब है कि प्रभु के जन्म का एक ही कारण नहीं होता है. यानी जब-जब धर्म का ह्रास होता है और अभिमानी राक्षस प्रवृत्ति के लोग बढ़ने लगते हैं तब तब कृपानिधान प्रभु भांति-भांति के दिव्य शरीर धारण कर सज्जनों की पीड़ा हरते हैं. वे असुरों को मारकर देवताओं को स्थापित करते हैं. अपने वेदों की मर्यादा की रक्षा करते हैं. यही श्रीराम जी के अवतार का सबसे बड़ा कारण है."

















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