बताया कि पराली जलाने से होने वाले नुकसान से किसानों को लगातार अवगत कराया जा रहा है लेकिन किसान इसे गंभीरता से नहीं ले रहे हैं, जिसका परिणाम है कि बक्सर जिला सर्वाधिक तापमान के मामले में टॉप पर है.
- खेतों में पराली जलाने वालों पर कार्रवाई नहीं करने पर मिली सजा
- निलंबन के लिए भी शुरु की गई कार्रवाई
बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : खेतों में पराली जलाने के मामले में कृषि विभाग ने बड़ी कार्रवाई की है. जिला कृषि पदाधिकारी के आदेश पर 15 कृषि समन्वयकों का वेतन बंद कर दिया गया है. साथ ही साथ दोषी कर्मियों पर निलंबन की तलवार भी लटक रही है. जिन कृषि समन्वयकों पर कार्रवाई की गई है उनके विरुद्ध पराली जलाने पर भी किसानों का कृषक पंजीकरण ब्लॉक नहीं करने तथा आइपीसी की धारा-133 के तहत कार्रवाई नहीं करने का आरोप है. इस कार्रवाई के बाद कृषि कर्मियों के बीच हड़कंप का माहौल कायम है.
इस संदर्भ में जानकारी देते हुए जिला कृषि पदाधिकारी मनोज कुमार ने बताया कि पराली जलाने से होने वाले नुकसान से किसानों को लगातार अवगत कराया जा रहा है लेकिन किसान इसे गंभीरता से नहीं ले रहे हैं, जिसका परिणाम है कि बक्सर जिला सर्वाधिक तापमान के मामले में टॉप पर है.
पराली जलाने के हैं गंभीर दुष्परिणाम - जिला कृषि पदाधिकारी :
डीएओ बताया कि विभिन्न फसलों की कटाई के बाद किसान फसल का खेतों में बचा हिस्सा जला देते हैं, जिससे कि कार्बन मोनोऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड जैसी जहरीली गैस निकलती हैं जिससे कि गंभीर वायु प्रदूषण होता है. इसका मानव स्वास्थ्य पर इतना गंभीर असर पड़ता है कि आंखों में जलन एवं गंभीर तंत्रिका संबंधी रोगों के साथ-साथ हृदय रोग तथा श्वसन से जुड़े रोग भी हो सकते हैं. इतना ही नहीं मिट्टी में मौजूद लाभदायक कीट भी नष्ट हो जाते हैं, जिससे कि भूमि बंजर हो जाती है.
पराली प्रबंधन के लिए विभाग कर रहा प्रयास :
डीएओ ने कहा कि पराली प्रबंधन के लिए विभाग स्तर पर अनेक प्रयास किए जा रहे हैं, जिनमें स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम, स्ट्रॉ बेलर, सुपर सीडर, रोटावेटर, जीरो टिल सीड, ड्रिल, मल्चर, हैप्पी सीडर आदि यंत्रों की महत्वपूर्ण भूमिका है. इन यंत्रों की खरीद पर कृषि विभाग के द्वारा आकर्षक अनुदान भी दिया जा रहा है.
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