वीडियो : थर्मल पावर प्लांट के निर्माण में अवरोध से भारत तथा बिहार सरकार को भारी नुकसान ..

पावर प्लांट स्थापित होने के बाद यहां के बच्चों के लिए विश्वस्तरीय स्कूल, कॉलेज अस्पताल तथा अन्य सुविधाएं प्रदान करते हुए पूरे जिले के विकास का जो सपना देखा गया है, वह भी टूटने के कगार पर पहुंच गया है. जबकि अब तक सभी किसानों ने सहयोग किया और लगभग सभी को मुआवजा भी मिल गया है. 





- विश्व स्तरीय स्कूल-कॉलेज तथा स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित हो रहे लोग
- कुछ लोगों की जिद के कारण बहुसंख्यक लोगों का हित हो रहा है प्रभावित

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : थर्मल पावर प्लांट के निर्माण में अवरोध पैदा होने से भारत सरकार बिहार सरकार के साथ-साथ सर्वाधिक नुकसान बक्सर जिले वासियों खासकर प्रभावित इलाकों के लोगों को हो रहा है. कुछ लोगों की जिद के कारण बहू शंकर लोगों का हित प्रभावित हो रहा है. ऐसे में इसके निर्माण में बाधक ना बनकर निर्माण का मार्ग प्रशस्त करना चाहिए. यह कहना है एलजीवीएल के सीइओ मनोज कुमार का. शनिवार को थर्मल पावर प्लांट परिसर स्थित कार्यालय के सभागार में आयोजित एक प्रेस वार्ता में उन्होंने कहा कि महत्वकांक्षी 1320 मेगावॉट थर्मल पावर प्लांट परियोजना के निर्माण में बार-बार अवरोध पैदा होने से सीधे तौर पर केंद्र सरकार के ऊर्जा मंत्रालय का भारी नुकसान हो रहा है. इसके अतिरिक्त बिहार सरकार जिसने इस परियोजना को बक्सर में स्थापित करने की स्वीकृति दी है उसे भी परेशानी झेलनी पड़ रही है. इतना ही नहीं पावर प्लांट स्थापित होने के बाद यहां के बच्चों के लिए विश्वस्तरीय स्कूल, कॉलेज अस्पताल तथा अन्य सुविधाएं प्रदान करते हुए पूरे जिले के विकास का जो सपना देखा गया है, वह भी टूटने के कगार पर पहुंच गया है. जबकि अब तक सभी किसानों ने सहयोग किया और लगभग सभी को मुआवजा भी मिल गया है. जिन्होंने मुआवजा नहीं लिया है उन्हें भी यह सहूलियत है कि वह चाहे तो आपत्ति के साथ मुआवजा लें और फिर यदि सरकार भू-अर्जन की दर बढ़ाती है तो उन्हें बढ़े हुए दर से अतिरिक्त धनराशि का भी भुगतान होगा.

मुआवजा राशि बढ़ाने के लिए अधिकारी भी प्रयासरत, किसानों को स्वयं दिला रहे वकील :

सीइओ ने परियोजना प्रभावित क्षेत्र के गांव के निवासियों के द्वारा परियोजना को अपना समर्थन देते हुए वॉटर कॉरिडोर और रेलवे कॉरिडोर के लिए भूमि अधिग्रहण में सहायता करने का अनुरोध किया है. उन्होंने कहा है कि जो लोग मुआवजे की धनराशि बढ़ाने के लिए न्यायालय में गए हैं, जिनके द्वारा उन्हें अधिवक्ता आदि की जरूरत पड़ने पर वह भी प्रदान कराई जाएगी. इतना ही नहीं न्यायालय में आने जाने के लिए उन्हें वाहन आदि उपलब्ध कराया जाएगा. 

अगर विलंब हुआ तो एक साल और टल जाएगा कार्य :

सीइओ मनोज कुमार ने बताया कि परियोजना की कुल लागत का 70 फीसद बैंक से ऋण लिया गया है. ऐसे में परियोजना नहीं पूरी होने पर काफी नुकसान हो रहा है. क्योंकि बैंक के द्वारा अपनी ऋण राशि पर ब्याज लगातार लिया जा रहा है. दूसरी तरफ रेल और वाटर कॉरिडोर के निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण में विलंब हो रहा है. यदि दो से तीन महीनों में निर्माण शुरू नहीं हुआ तो फिर गंगा के जलस्तर के बढ़ने के बाद यह कार्य एक साल के बाद शुरु हो पाएगा. जिससे कि भारी नुकसान होगा.

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