परोपकारी व्यक्ति भगवान को होते हैं प्रिय : आचार्य भारत भूषण

बक्सर सिद्धाश्रम-वामनाश्रम आदि नामों से भी पुराणों में प्रसिद्ध रहा है. भगवान वामन ने प्रथम कल्प में नर्मदा के तट पर गुजरात में तथा तृतीय कल्प में गंगा के तट पर वामनाश्रम में अवतार लिया. दैत्यराज बलि की यज्ञस्थली जिसे बलियागस्थल कहा जाता था वही आजकल बलिया है. 





- कहा - दुर्जनों का बढ़ता है प्रभाव तो भगवान लेते हैं अवतार
- श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन बक्सर आरा बलिया और बलिहार नामों की उत्पत्ति का बताया कारण

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : जिले के शिवपुरी मुहल्ले में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह के चौथे दिन प्रवचन करते हुए प्रख्यात भागवत वक्ता आचार्य (डॉ.) भारत भूषण जी महराज ने कहा कि दूसरे के दुःख को दूर करने तथा समष्टि हित में निरत रहनेवाले महानुभाव भगवान के प्रिय होते हैं. उन्होंने कहा कि अश्वत्थामा ने द्रौपदी के पांचों पुत्रों को मार डाला था किन्तु द्रौपदी ने उनके प्राणों की रक्षा की. ध्रुव जी की विमाता ने उन्हें वनवास दे दिया था किन्तु ध्रुव जी ने भगवान की प्राप्ति की और विमाता तथा उसके पुत्र उत्तम के प्रति हमेशा आत्मीय भाव रखा. आचार्य ने कहा कि बड़े - बड़े चक्रवर्ती सम्राट भी भगवान के श्रीचरणों के आश्रित रहे और प्रजा सहित भगवच्चरणारविन्द मकरंदों का आस्वादन करते रहे. जीवन का परम फल यही है. भगवत्-भागवत कैंकर्य परायणता ही जीवन का परम सुख है. 

उन्होंने कहा कि जब -जब वैदिक सनातन धर्म पर अधम अराजक आसुरी तत्त्वों का आक्रमण होने लगता है और दुर्जनों के द्वारा सज्जनों को सताया जाने लगता है तब - तब भगवान विविध रूपों में अवतार लेते हैं और दुष्कृतियों का विनाश और सज्जनों का पोषण करते हैं. भगवान ही धर्म की रक्षा करते हैं अतः पूर्ण मनोयोग से दृढ़ता पूर्वक धर्म की रक्षा करनी चाहिए. 

कथा में प्रह्लाद चरित्र, गजेन्द्र मोक्ष,श्रीरामावतार और श्रीकृष्ण प्राकट्य का वर्णन हुआ. आरा और बक्सर का भागवत के छठे स्कंध के आधार पर वर्णन करते हुए आचार्य ने कहा कि कर्मनाशा और शोणभद्र के बीच गंगा जी के दक्षिण तट को करूष और मलद प्रदेश कहा गया है. इन्हीं दोनों जनपदों को आजकल आरा और बक्सर के नाम से जाना जाता है. वृत्रासुर के उद्धार के बाद देवराज इन्द्र को ब्रह्महत्या ने पकड़ लिया था तब बृहस्पति जी ने इसी क्षेत्र में यज्ञ कर तथा गंगाजल से देवराज इन्द्र की शुद्धि कराई थी. जहां ब्रह्महत्या के दोष मैल आदि गिरे वह मलद तथा जहां ब्रह्महत्याजनित भूख - प्यास समाप्त हुई वह करूष जनपद कहलाया. देवराज इन्द्र ने इस क्षेत्र को धन -धान्य और धर्म से परिपूर्ण रहने का आशीर्वाद दिया. 

बक्सर सिद्धाश्रम-वामनाश्रम आदि नामों से भी पुराणों में प्रसिद्ध रहा है. भगवान वामन ने प्रथम कल्प में नर्मदा के तट पर गुजरात में तथा तृतीय कल्प में गंगा के तट पर वामनाश्रम में अवतार लिया. दैत्यराज बलि की यज्ञस्थली जिसे बलियागस्थल कहा जाता था वही आजकल बलिया है. भगवान वामन ने जहां बलि का आहरण किया उसे बलिहार कहा जाता है.

इस अवसर पर यजमान पं नरेंद्र पांडेय उर्फ लालबाबू पांडेय  सहित शताधिक श्रद्धालुओं ने सर्वतोभद्र मण्डल के आवाहित देवताओं का पूजन - अर्चन किया. प्रयागराज से पधारे पं.संजय द्विवेदी ने समस्त कर्मकांड और मूल पाठ पं. ब्रजकिशोर पांडेय ने संपन्न किया.

इस अवसर पर शिवपुरी मुहल्लेवासियों के अलावे पद्मनाभ चौबे,पूर्व बैंक अधिकारी प्रेम सागर पांडेय,विद्यासागर ओझा, सचिदानंद मिश्र, विद्याधारी देवी, समाजसेवी विनोद कुमार राय,बबन राय, न्यायालय के सिरिस्तेदार अजय कुमार सिंह ,वागीश पांडेय,बाल मुकुंद चौबे, अवध बिहारी मिश्र,रमाशंकर दुबे, तारकेश्वर पांडेय, छाया पांडेय राहुल पांडेय, पप्पू पांडेय आदि उपस्थित रहे.

















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