कहा कि अगर प्रधानमंत्री जी महात्मा गांधी जी को मानते हैं तो उन्हें श्रीरामचरितमानस को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित करने में थोड़ा सा भी विलंब नहीं करना चाहिए. महात्मा गांधी जी रघुपति राघव राजाराम पतित पावन सीताराम जो भजन गाते थे उसके एक एक शब्द श्रीरामचरितमानस के विभिन्न कांड से लिया गया है.
- श्री रामचरितमानस ना होता तो हिंदुओं की रोटी, चोटी और धोती पर संकट होता ही होता : स्वामी रामभद्राचार्य
- कहा - पाक अधिकृत कश्मीर भी बनेगा भारत का अभिन्न अंग
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : स्थानीय सांसद सह केंद्रीय राज्यमंत्री अश्विनी चौबे के संयोजन में दिल्ली के छतरपुर हनुमान मंदिर परिसर में आयोजित विश्वगुरु भारत धर्मयज्ञ सह सनातन संस्कृति समागम के अंतिम दिन आयोजित धर्म संसद में पदम विभूषण जगतगुरु स्वामी रामभद्राचार्य एवं अयोध्या से मणि राम छावनी के कमलनयन दास व अन्य संत महात्मा उपस्थित हुए.
पदम भूषण जगतगुरु स्वामी रामभद्राचार्य जी महाराज में प्रधानमंत्री से आह्वान किया कि 2024 लोकसभा से पहले संसद में प्रस्ताव लाकर भारत सरकार श्रीरामचरित मानस जी को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित करें. उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में श्रीराम चरितमानस नहीं होता तो हिंदुओं की चोटी, रोटी एवं धोती पर संकट होता ही होता. स्वामी रामभद्राचार्य जी ने कहा कि अगर प्रधानमंत्री जी महात्मा गांधी जी को मानते हैं तो उन्हें श्रीरामचरितमानस को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित करने में थोड़ा सा भी विलंब नहीं करना चाहिए. महात्मा गांधी जी रघुपति राघव राजाराम पतित पावन सीताराम जो भजन गाते थे उसके एक एक शब्द श्रीरामचरितमानस के विभिन्न कांड से लिया गया है.
श्रीरामचरितमानस का जो अपमान करते हैं, उनकी बुद्धि में कचरा भरा हुआ है. उन्होंने कहा कि श्रीरामचरितमानस का एक एक शब्द सार्थक है. सभी मंत्रों का सार है. इस मौके पर उन्होंने कहा कि आज भारत का नेतृत्व यशस्वी व्यक्ति श्री नरेंद्र मोदी के हाथ में है. आज भारत का आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक विरासत आगे बढ़ रहा है. पूरी दुनिया आज भारत के अध्यात्म एवं सांस्कृतिक से परिचित हो रही है. भारत विश्व गुरु था, विश्व गुरु है और विश्व गुरु रहेगा. यह ज्ञान, विज्ञान, अनुसंधान की धरती है. इस अवसर पर स्वामी रामभद्राचार्य जी महाराज ने कहा कि पाक अधिकृत कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है. भगवान की कृपा भारत पर है और भारत वासियों की इच्छा बहुत जल्द साधु-संतों और भगवान के आशीर्वाद से पूरी होने वाली है.
उन्होंने कहा कि नेताओं ने जाति व्यवस्था बनाई. वेद में तो केवल वर्ण व्यवस्था की बात कही गई है. श्री रामचरितमानस में तो उद्धृत है की राजघाट पर सभी वर्ण के लोग स्नान करते थे. क्या हम कभी निषाद राज एवं शबरी के प्रेम को भूल सकते हैं? भगवान श्रीराम ने जो सामाजिक समरसता का उदाहरण पेश किया, वह ब्रह्मांड में कहीं नहीं मिलता है.
इससे पहले केंद्रीय राज्य मंत्री चौबे ने विश्व गुरु भारत धर्मयज्ञ पूर्णाहुति में भाग लिया. प्रकृति की रक्षा की शपथ सभी ने ली. समागम का आयोजन श्रीराम कर्मभूमि न्यास बक्सर एवं नमो सद्भावना समिति हैदराबाद के संयुक्त तत्वाधान में किया गया था. आए हुए अतिथियों का स्वागत नमो सद्भावना समिति के महासचिव मुरली कृष्ण ने की. विश्व गुरु भारत धर्म यज्ञ एवं विश्वशांति महायज्ञ में प्रतिदिन 500 से अधिक वैदिक स्कॉलर उपस्थित थे. 5 दिनों में करीब 50,000 से अधिक श्रद्धालुओं ने हवन कुंड में विश्व गुरु भारत बने इसके लिए यज्ञ में भाग लिए.
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