अंत्योदय, जनसेवा एवं जन साधारण से कब उबरेगा बिहार?

अपने श्रम से स्वयं और अपने देश को जिंदा रखने वाले बिहारियों के सम्मान में दिल्ली जाने वाली ट्रेन को श्रमजीवी का नाम दिया गया. लेकिन बिहार का दुर्भाग्य देखिए यहां आज भी बुलेट और वंदे भारत एक्सप्रेस कि ना तो परियोजना शुरू हो पाई और ना ही इस ट्रेन का कोई महत्व यहां के लोगों को समझ में आ रहा है. 




- चौसा पॉवर प्लांट के निर्माण में अवरोध बिहारी साख़ पर लगा रहा बट्टा
- निर्माण प्रभावित होने से टूट रहा है बिहार के विकास का सपना 

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : "सबसे अधिक जनसंख्या घनत्व वाले राज्य बिहार के जयनगर से गुजरात के उधना के लिए चलने वाली अंत्योदय एक्सप्रेस, दानापुर से दिल्ली के लिए चलने वाली जनसाधारण एक्सप्रेस तथा सहरसा से अमृतसर तक जाने वाली जनसेवा एक्सप्रेस में एक भी एसी बोगी नहीं है. ना ही उसमें पैंट्री कार है और ना ही स्लीपर बोगी. लेकिन, इसमें बिहारी मजदूर ठूंस-ठूंसकर सूरत, दिल्ली व अमृतसर जैसे शहरों में जाते हैं और रोजगार प्राप्त करते हैं. देश के मंडियों में बिहार के श्रमिक भेजने की रेलवे की यह अनुपम सेवाएं हैं. अपने श्रम से स्वयं और अपने देश को जिंदा रखने वाले बिहारियों के सम्मान में दिल्ली जाने वाली ट्रेन को श्रमजीवी का नाम दिया गया. लेकिन बिहार का दुर्भाग्य देखिए यहां आज भी बुलेट और वंदे भारत एक्सप्रेस कि ना तो परियोजना शुरू हो पाई और ना ही इस ट्रेन का कोई महत्व यहां के लोगों को समझ में आ रहा है. कारण एकमात्र बिहार में रोजगार ना मिलना. संयोग से जब बिहार में रोजगार मिलने की बात सोची भी जाती है तो उसका भारी विरोध शुरु हो जाता है." बक्सर के एक वरिष्ठ पत्रकार ने जब यह बातें कहीं तो कहीं ना कहीं बिहारी अस्मिता पर भी प्रश्न खड़े हो गए. समाजवादी विचारधारा से जुड़े मजदूर नेता डॉ मनोज यादव भी इस बात से इत्तेफाक रखते हैं. उनका भी यह कहना है कि बिहार के श्रमिकों का पलायन रोकने के लिए अब तक कोई ठोस पहल नहीं हो सकी है. यह सुखद बात है कि चौसा में थर्मल पावर प्लांट का निर्माण शुरु हुआ. लेकिन, कुछ लोग सत्ता की मोह माया तो कुछ अपने निजी स्वार्थ में इसका निर्माण भी नहीं होने दे रहे हैं.

दरअसल, देश की मिनी नवरत्न कंपनियों में शामिल एसजेवीएन के द्वारा चौसा में थर्मल पावर प्लांट स्थापित किया जा रहा है. लेकिन पावर प्लांट की स्थापना से रोजगार के प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रास्ते खुलने से पहले ही तब बंद होने के कगार पर पहुंच जाते हैं जब भारत और बिहार सरकार की यह महत्वपूर्ण परियोजना लोगों की जाहिलियत का शिकार होने लगती है. मजदूर नेता डॉ मनोज यादव कहते हैं कि निश्चित रूप से इस एक औद्योगिक इकाई खुलने से पहले ही उसका भारी विरोध होने से बिहार की छवि को धक्का लगता है एवं इस तरह का विरोध बिहार के औद्योगिक विकास पर भी बट्टा लगा देता है. मजदूर नेता का कहना है कि जब तक सही सोच वाले व्यक्ति महात्मा गांधी के बताए गए मार्ग पर चलकर बिहार के विकास की बात नहीं करेंगे तब तक ऐसे ही ट्रेनें बाहर चलती रहेंगी और बिहारियों का पलायन होता रहेगा. आज चौसा के लिए बेहद गर्व की बात है कि जहां एक तरफ पूरे देश में बेरोजगारों की बड़ी फौज खड़ी हो रही है वह हिंसा में प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार सृजन का एक बड़ा आधार भी खड़ा होता दिखाई दे रहा है.

युवा नेता सौरभ तिवारी बताते हैं कि देश के कई बड़े शहरों में मजदूर घूमने नहीं बल्कि नौकरी करने जाते हैं. आज जब देश की नवरत्न कंपनी बक्सर में थर्मल पावर प्लांट लगा रही है तो निश्चय ही इससे बिहार के बुनियादी ढांचे का विकास होगा. लेकिन पता नहीं यह कैसी समस्या है जिसका निदान पावर प्लांट बनने से पूर्व हो जाना चाहिए था उसका निदान अब तक नहीं हो सका है. इन सवालों पर सभी को विचार करना चाहिए और निजी स्वार्थ से ऊपर उठकर क्षेत्र और राज्य तथा देश के विकास के लिए जल्द ही इन पॉवर प्लांट निर्माण का मार्ग प्रशस्त करना चाहिए.

















Post a Comment

0 Comments