श्रीमद् भागवत पुराण की महिमा का वर्णन करते हुए कहा कि भागवत पुराण का श्रवण और वाचन दोनों ही अमृत से भी ज्यादा प्रभावी फल दायक होता है. श्रीमद् भागवत पुराण सभी वेदों, उपनिषदों का सार है जो मनुष्य को भवसागर के पार उतारता है.
- मंझरिया गांव स्थित मां वनदेवी मंदिर स्थापना जयंती के मौके पर श्रीमद् भागवत कथा आयोजित
- प्रतिदिन शाम 6:00 बजे से रात्रि 10:00 बजे तक अयोध्या से पहुंचे महामंडलेश्वर सुना रहे कथा
बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : मंझरिया ग्राम स्थित मां वनदेवी मंदिर की स्थापना जयंती 23 मई के अवसर तथा स्वामी सत्यानंद जी के ब्रह्मलीन होने पर उनकी स्मृति में मां वनदेवी मंदिर प्रांगण में दिव्य श्रीमद् भागवत कथा सप्ताह का आयोजन किया गया है. श्रीमद् भागवत कथा सप्ताह के आयोजन में प्रतिदिन शाम 6 बजे से लेकर रात्रि के दस बजे तक श्री अयोध्या जी से आए श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर श्री अमरदास जी महाराज संगितमयी सरस श्रीमद् भागवत कथा को श्रद्धालुओं को सुनाते हैं.
श्रीमद्भागवत की महिमा का बखान करते हुए श्रोताओं से निवेदन किया कि सच्चा सद्गुरु सदैव अपने शिष्यों को कल्याण के मार्ग की ओर प्रेरित करता है और ऐसे ही सच्चे संत थे ब्रह्मलीन संत स्वामी सत्यानंद जी. कथा के क्रम को आगे बढ़ाते हुए महाराज जी ने कहा कि भगवान की कथा रूपी अमृत स्वर्ग लोक के अमृत से भी महत्वपूर्ण है. क्योंकि स्वर्ग के अमृत को पीने से जीव केवल अमरत्व की प्राप्ति करता है दुःख सुख तो उसके साथ स्वर्ग में भी रहेगा लेकिन कथा रूपी अमृत केवल अमरत्व को ही नहीं वल्कि चौरासी लाख योनियों के आवागमन से ही मुक्त कर देती है.
उनके साथ इस संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा में उनके सहयोगी पंडित सदानंद दास जी, सुनील पांडेय जी, आशुतोष तिवारी जी और सत्यम जी हैं. कथा में महाराज जी ने श्रद्धालुओं से श्रीमद् भागवत पुराण की महिमा का वर्णन करते हुए कहा कि भागवत पुराण का श्रवण और वाचन दोनों ही अमृत से भी ज्यादा प्रभावी फल दायक होता है. श्रीमद् भागवत पुराण सभी वेदों, उपनिषदों का सार है जो मनुष्य को भवसागर के पार उतारता है.
इस कथा के मुख्य यजमान मंझरिया के संजय सिंह और उनकी धर्मपत्नी मीरा देवी हैं.साथ ही इस कथा को आयोजित करवाने में योगेन्द्र सिंह, दिनेश सिंह, परमहंस सिंह और मनोज सिंह के साथ साथ सम्पूर्ण स्वामी सत्यानंद जी महाराज भक्त मंडली का योगदान है. कथा का समापन दिनांक 23 मई 2023 दिन मंगलवार को होगा". पूर्णाहुति के बाद भंडारे का भी आयोजन है
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