बर्खास्त शिक्षकों का वेतन भुगतान करने के मामले में डीपीओ स्थापना पर कार्रवाई की अनुशंसा ..

स्वयं संज्ञान लिया है और आयुक्त से जांच कराईडीडीसी एवं डीइओ जांच रिपोर्ट में की गई कार्रवाई की अनुशंसा के बाद डीएम अंशुल अग्रवाल ने निदेशक प्रशासन सह अपर सचिव को पत्र प्रेषित कर डीपीओ पर कार्रवाई की अनुशंसा की है.






- जिला पदाधिकारी ने लिया संज्ञान डीडीसी से कराई मामले की जांच
- कहा - प्रतीत हो रहे कार्यरत शिक्षकों का भुगतान नहीं करने के दोषी

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : शिक्षा विभाग के खेल निराले हैं एक तरफ जहां विभाग के द्वारा कार्यरत शिक्षकों का भुगतान आसानी से नहीं होता वहीं दूसरी तरफ बर्खास्त शिक्षकों तथा कर्मियों का भुगतान भी कर दिए जाने का मामला प्रकाश में आया है. जिला पदाधिकारी अंशुल अग्रवाल ने स्वयं संज्ञान लिया है और उप विकास आयुक्त से जांच कराई. डीडीसी एवं डीइओ जांच रिपोर्ट में की गई कार्रवाई की अनुशंसा के बाद डीएम ने निदेशक प्रशासन सह अपर सचिव को पत्र प्रेषित कर डीपीओ पर कार्रवाई की अनुशंसा की है.

दरअसल, जिला कार्यक्रम पदाधिकारी पर नगर के श्री त्रिदंडीदेव आवासीय संस्कृत उच् विद्यालय के बर्खास्त सहायक शिक्षक रविशंकर पांडेय, अशोक कुमार मिश्र एवं लिपिक मुकेश कुमार को नियमों के विपरीत जाकर भुगतान करने का आरोप लगा है जिला कार्यक्रम पदाधिकारी स्थापना मो. शारिक के विरुद्ध लगे इस पर आरोप के आलोक में डीएम के निर्देश पर उप विकास आयुक्त डा. महेंद्र पाल एवं जिला शिक्षा पदाधिकारी अनिल कुमार द्विवेदी ने मामले की जांच कर इसमें हुए नियम विरुद्ध भुगतान का खुलासा किया है.

 इस संबंध में डीएम को सुपुर्द जांच प्रतिवेदन में डीडीसी ने लिखा है कि उक्त शिक्षकों की दैनिक उपस्थिति पुस्तिका के आधार पर जिला कार्यक्रम पदाधिकारी स्थापना द्वारा 19 मई 2022 के पूर्व बर्खास्त शिक्षकों को वेतन भुगतान किया गया है. जबकि, दैनिक उपस्थिति पुस्तिका को प्रभारी प्रधानाध्यापक के रविशंकर पांडेय ने सत्यापित किया है. उसे प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी बक्सर ने भी सत्यापित किया है. हालांकि, जांच के दौरान 20 मार्च 23 को तत्कालीन प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी शिव कुमार चौधरी ने अपने हस्ताक्षर को संदेहास्पद बताया है.

जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि डीपीओ स्थापना प्रथम दृष्टया अपने पदीय दायित्वों का निर्वहन नहीं करने, पद का दुरुपयोग करते हुए विभागीय दिशा-निर्देश की अनदेखी एवं स्वेच्छाचारितावश बर्खास्त शिक्षकों का वेतन भुगतान करने एवं कार्यरत शिक्षकों का वेतन भुगतान नहीं करने के दोषी प्रतीत होते हैं. इसके लिए डीपीओ स्थापना के विरुद्ध अनुशासनिक कार्रवाई की अनुशंसा की जाती है.









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