उपहार में पौधे देकर पर्यावरण संरक्षण का वचन लेते हैं यह शिक्षक ..

वह पर्यावरण संरक्षण की यह मशाल लगातार आगे बढ़ा रहे हैं. उनके इस कार्य के लिए प्रदेश तथा देश स्तर पर कई पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं. अपनी इस मुहिम के कारण विपिन कुमार को बक्सर नगर परिषद के द्वारा स्वच्छ सर्वेक्षण 2023 का ब्रांड एंबेसडर भी बनाया गया है.





- वर्षों से चला रहे हैं पर्यावरण संरक्षण की मुहिम
- शादी-विवाह तथा अन्य अवसरों पर लोगों को देते हैं पौधों का उपहार

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर आज जहां पूरी दुनिया पर्यावरण बचाने का संकल्प ले रही है वहीं आज बक्सर के एक ऐसे शख्स का उल्लेख करना भी प्रासंगिक हो जाता है जो अपना पूरा जीवन पर्यावरण की रक्षा को समर्पित कर चुके हैं. धनसोई में बतौर सरकारी शिक्षक कार्यरत विपिन ने तकरीबन छह वर्ष पूर्व अपनी बहन की दहेज मुक्त शादी में पौधों का उपहार उसके ससुराल वालों को दिया तो पूरे क्षेत्र में यह चर्चा का विषय बन गया. ससुराल वालों ने भी इस पहल की सराहना की और तबसे विपिन कुमार लगातार पर्यावरण संरक्षण की यह मुहिम चला रहे हैं. लोगों के शादी विवाह, जन्मदिन, सालगिरह से लेकर तमाम शुभ अवसरों के साथ-साथ पूर्वजों की स्मृति में आयोजित कार्यक्रमों में भी लोगों को पौधों का उपहार देते हुए पर्यावरण संरक्षण का संकल्प दिलाते हैं.

विपिन कुमार आसा पयार्वरण सुरक्षा नामक संस्था के राज्य संयोजक हैं. जिसके माध्यम से वह पर्यावरण संरक्षण की यह मशाल लगातार आगे बढ़ा रहे हैं. उनके इस कार्य के लिए प्रदेश तथा देश स्तर पर कई पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं. अपनी इस मुहिम के कारण विपिन कुमार को बक्सर नगर परिषद के द्वारा स्वच्छ सर्वेक्षण 2023 का ब्रांड एंबेसडर भी बनाया गया है.


केवल पर्यावरण दिवस मनाने से नहीं होगा समस्या का समाधान :

विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर शिक्षक विपिन कुमार ने कहा कि आज संपूर्ण विश्व में इस सामयिक तथ्य को खुले रूप से स्वीकार कर लिया गया है कि पर्यावरण की समस्या दुनिया की सबसे बड़ी समस्या बन गई है. उन्होंने कहा कि जब संयुक्त राष्ट्र का गठन हुआ तब 1972 में यूनाइटेड नेशन जनरल असेंबली ने 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के रूप में मनाने की घोषणा वैश्विक स्तर पर की थी. तभी से इस निर्धारित तिथि को पौधरोपण व जागरूकता कार्यक्रम का आयेाजन किया जाता है. लेकिन, पर्यावरण को बचाने के लिए यह प्रयास नाकाफी है. पर्यावरण के हितार्थ प्रतिबद्धता अनिवार्य है. साथ ही दुनिया के हर इंसान को पर्यावरण की सुरक्षा के निमित संकल्पित होना होगा. 

पतित पावनी गंगा की रक्षा के लिए भी होना होगा संकल्पित :

पतित पावनी गंगा भारत में संस्कृति ही नहीं पर्यावरण की भी जीवन रेखा है. शिक्षक विपिन कुमार कहते हैं कि एक तरफ हम गंगा को मां कहते हुए अघाते नहीं हैं वहीं इसका आंचल मैला करने में शर्माते भी नही हैं. गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के लिए समुचित प्रयास करना होगा.

हर घर में लगाना चाहिए तुलसी का पौधा :

उन्होंने कहा कि पर्यावरण की सुरक्षा के लिए पूरे विश्व समुदाय को एकजुटता के साथ समर्पित होकर प्रयास करना होगा. जब तक पर्यावरण की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं होगी, तब तक मानव जीवन सुरक्षित नहीं रह सकता. पर्यावरण को संतुलित रखने का आसान उपाय है पौधा लगाना, लेकिन लगाये गये पेड़ों को काटने की प्रवृति नहीं होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि हर घर में तुलसी का पौधा लगाना चाहिए. क्योंकि, तुलसी का पौधा विश्व को पर्यावरण संकट से मुक्ति दिला सकता है. 


आबादी के बीच उगाने होंगे छोटे-छोटे जंगल :

आबादी के बीच छोटे-छोटे जंगल उगाने होंगे. जहां थोड़ी सी भी जगह मिले वहां छायादार वृक्ष और कृषि वानिकी से संबंधित फलदार वृक्ष लगाकर जंगल की पहल को आगे बढ़ाया जा सकता है. इन जंगल में पीपल, नीम, बरगद, बेल, जामुन, बेर, गूलर, शरीफा,  तुलसी, अमरुद, शीशम, कदम्ब, पाकड़ आम आदि के वृक्ष आक्सीजन देने वाले पर्यावरण हितैषी पेड़ों की अनिवार्यता है. विपिन कुमार ने आगे  कहा कि पीपल और तुलसी का पौधा 24 घंटे ऑसीजन छोड़ते हैं. उन्होंने कहा कि सिर्फ 5 जून यानी पर्यावरण दिवस को ही नहीं वरन प्रत्येक दिन धरती की हरियाली और खुशहाली के लिए सभी लोगों को प्रयास करने के साथ ही नैतिक जिम्मेवारी लेनी होगी, ताकि प्रकृति का संतुलन कायम रहे.

नहीं चेते तो पीठ पर लादकर चलना होगा ऑक्सीजन सिलेंडर :

यदि समय रहते हम नही चेते तो आने वाले समय में जैसे हम पानी खरीद कर पी रहे है वैसे ही हम सभी को शुद्ध प्राण वायु  के लिए पीठ पर ऑक्सीजन का सिलेंडर लेकर चलना होगा. इस लिए हम सभी को संकल्पित होकर पौधरोपण को अपने जीवन का हिस्सा बनाना होगा ताकि धरती पर जीवन बचा रहे, हम बचे रहे हमारा कल बचा रहे.









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