रक्षाबंधन के दिन काली पट्टी बांधकर विद्यार्थियों का इंतजार करते रहे गुरुजी, खाली रही कक्षाएं, अश्विनी चौबे ने कहा- "सरकार को लगेगा बहनों का श्राप .."

कहा कि पहले से ही सभी छुट्टियां तय होती हैं. क्या आपात स्थिति आ गई थी कि छुट्टियों को कम किया गया? बड़ी संख्या में महिलाएं कार्यरत हैं. सभी व्रत में उन्हें उपवास एवं निर्जला रहना पड़ता है. इस तरह का तुगलकी फरमान जारी करना सरासर गलत है. 





- बिहार सरकार के द्वारा रद्द कर दी गई है रक्षाबंधन की छुट्टियां
- काली पट्टी बांधकर विभिन्न विद्यालय में पहुंचे शिक्षक

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : बिहार राज्य माध्यमिक शिक्षा विभाग के निदेशक के द्वारा जारी आदेश अनुसार रक्षाबंधन की छुट्टी रद्द किए जाने पर पर विभिन्न विद्यालयों के शिक्षकों ने रोष जताया है. विद्यालय में शैक्षणिक कार्य संपन्न करने के लिए पहुंचे शिक्षकों ने काली पट्टी बांधकर विरोध किया. शिक्षकों का यह कहना था कि अंतिम समय में जब भाई अपने बहन के यहां और बहने अपने भाइयों के यहां जाने को तैयार थी उसी समय बिहार सरकार के माननीयों बके द्वारा पूर्व से प्रदत्त अवकाश को रद्द कर दिया गया, जबकि विद्यालय खोले जाने से कोई भी लाभ नहीं हुआ. क्योंकि कोई भी बच्चा शिक्षा ग्रहण करने के लिए विद्यालय में नहीं पहुंचा था. 


ऐसे में इस मनमाने रवैया के विरुद्ध सभी शिक्षकों ने सांकेतिक रूप से विरोध किया है. उधर केंद्रीय मंत्री साहब बक्सर सांसद अश्विनी कुमार चौबे ने भी रक्षाबंधन की छुट्टियां रद्द करने पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है. उन्होंने कहा कि सरकार के द्वारा यह एक विशेष वर्ग को खुश करने के लिए किया गया कार्य है. चाचा-भतीजे के घमंडिया गठबंधन की सरकार को माता एवं बहनों का श्राप लगेगा.

केंद्रीय राज्यमंत्री ने कहा कि बिहार सरकार द्वारा हिंदू त्योहारों की छुट्टियां कम कऱना ओछी मानसिकता का परिचायक है.
उन्होंने एक्स पर पोस्ट किया कि :-" चाचा भतीजे की घमंडिया गठबंधन की सरकार ने बिहार में हिंदू तीज-त्योहारो की छुट्टियों को रद्द कर ओछी मानसिकता का परिचय दिया है. एक विशेष वर्ग को खुश करने के लिए चाचा भतीजे की सरकार ने इस तरह का कदम उठाया है. यह सब कुर्सी कुमार के इशारे पर हुआ है, लेकिन कोई उनसे पूछेगा तो उनका रटा-रटाया जवाब होगा...पता नहीं, पता करवाता हूं. ऐसी हिंदू विरोधी सरकार को बिहार की जनता लानत भेजती है." 

केंद्रीय राज्यमंत्री ने कहा कि पहले से ही सभी छुट्टियां तय होती हैं. क्या आपात स्थिति आ गई थी कि छुट्टियों को कम किया गया? बड़ी संख्या में महिलाएं कार्यरत हैं. सभी व्रत में उन्हें उपवास एवं निर्जला रहना पड़ता है. इस तरह का तुगलकी फरमान जारी करना सरासर गलत है. 

यहां बता दे कि बिहार सरकार के द्वारा रक्षाबंधन की छुट्टियां रद्द किए जाने के बाद शिक्षकों ने रोज जाता है शिक्षकों का यह कहना है कि पिछले कुछ दिनों से लगातार शिक्षकों के साथ अन्याय पूर्ण व्यवहार किया जा रहा है कहीं ना कहीं यह शिक्षकों की आत्म स्वाभिमान को भी ठेस पहुंचाने जैसा है. अब रक्षाबंधन जैसे त्योहार की छुट्टियां रद्द कर सरकार ने मनमानी का उदाहरण पेश किया है. लेकिन शिक्षक अब इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे. शिक्षकों ने सेल्फी लेकर विद्यालय में अपनी उपस्थिति का प्रमाण विभाग को भेजा.









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