व्यासपीठ और राजपीठ में शास्त्रोक्त समन्वय से स्थापित होता है रामराज : आचार्य भारतभूषण

आचार्य ने युवाशक्ति का आह्वान किया कि वे श्रीहनुमानजी को आदर्श मानकर बल-बुद्धि और पुरुषार्थ से सम्पन्न समाज और राष्ट्र के निर्माण में सन्नद्ध हो जायं तथा सर्वहितप्रद रामराज की स्थापना में अपनी उपयोगिता सिद्ध करें. प्रतिदिन घर-घर में रामकथा का नियमपूर्वक आयोजन हो जिससे सभी को सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य की प्राप्ति हो. 






- सिद्धार्थ रम में आयोजित नौ दिवसीय रामकथा हुई संपन्न
- अंतिम दिन आचार्य ने राम चरित्र पर विस्तार से डाला प्रकाश

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : श्रावण पुरुषोत्तम मास में सिद्धाश्रम रामरेखा घाट स्थित रामेश्वर नाथ मंदिर में आयोजित नौ दिवसीय श्रीराम कथा के नवें दिन प्रवचन करते हुए प्रख्यात भागवत-वक्ता आचार्य डॉ भारतभूषण जी महाराज ने कहा कि धर्म-ब्रह्मात्मक वेद से अनुप्राणित व्यासपीठ तथा व्यासपीठ से अनुशासित राजपीठ पृथ्वी पर रामराज की स्थापना करने वाला होता है. भगवान श्रीराम राजाधिराज बनकर व्यासगद्दी से अनुशासित राजगद्दी पर विराजमान होकर रामराज की स्थापना करते हैं जिसमें सभी प्राणी एक-दूसरे से प्रेम करने वाले तथा एक-दूसरे का सहयोग करने वाले हैं. दुनिया का आदर्श शासन है रामराज. इसमें वैर, विषमता, मत्सर आदि दोष पूरी तरह समाप्त हो जाते हैं. कोई रुग्ण नहीं होता न ही किसी की अकाल मृत्यु होती है. सभी प्राणी कृतार्थ हो जाते हैं और सानन्द जीवन यापन कर अंत में दिव्य साकेत धाम में पहुंचते हैं. लोक और परलोक में आनन्द की प्राप्ति कराता है रामराज. 

आचार्य ने कहा कि सकुल और सदल रावण को पृथ्वी से हटाकर रामराज की स्थापना हुई. भगवान श्रीराम ने न पार्टी बदली न जाति बल्कि उसी पार्टी और उसी परिवार के अच्छे और सच्चरित्र व्यक्ति को राजा बनाया. थोड़े दिनों तक अयोध्या का राजा भरत जी को बनाकर वनवास के बहाने भूभार हरण किया और वानरराज बालि के स्थान पर सुग्रीव को राजा तथा बालिपुत्र अंगद को युवराज बनाया. लंका में राक्षसराज रावण के स्थान पर विभीषण को राजा बनाया. तब अयोध्या में रामराज स्थापित किया. आचार्य ने कहा कि स्त्री की रक्षा और उसका आदर रामराज की आधारशिला है. वैकुंठलक्ष्मी पराचितिस्वरूपा जगदंबा सीता के ऊपर संकट उत्पन्न करने के कारण रावण का विनाश हुआ. उन्होंने कहा कि भगवान श्रीराम को श्रीहनुमानजी जैसे समर्थ सहायक मिले. साक्षात् शिवावतार श्रीहनुमानजी महाराज बुद्धि और बल दोनों में सर्वश्रेष्ठ हैं. पंपा सरोवर पर पहली ही वार्ता में श्रीराम ने लक्ष्मण जी से कहा कि ऐसे मंत्री अथवा सहायक जिस राजा को मिल जाय उसकी सफलता असंदिग्ध है. 

आचार्य ने युवाशक्ति का आह्वान किया कि वे श्रीहनुमानजी को आदर्श मानकर बल-बुद्धि और पुरुषार्थ से सम्पन्न समाज और राष्ट्र के निर्माण में सन्नद्ध हो जायं तथा सर्वहितप्रद रामराज की स्थापना में अपनी उपयोगिता सिद्ध करें. प्रतिदिन घर-घर में रामकथा का नियमपूर्वक आयोजन हो जिससे सभी को सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य की प्राप्ति हो. आचार्य ने कहा कि यह कथा भगवान शिव और पार्वती का शुभ संवाद है जो सुख-संपत्ति और सौभाग्य को बढ़ाती है तथा समस्त विषादों का शमन करती है. कथा का प्रसाद भगवान का नामामृत है जिसके सेवन से भगवद्भक्ति रूप प्रेमामृत प्राप्त होता है. उन्होंने कहा कि कथा ही जीवन का संबल और आनेवाली पीढ़ियों के लिए पूंजी है.

मुख्य यजमान कमलेश्वर तिवारी ने पं अनिल पांडेय के सहयोग से पूजन और हवन सम्पन्न किया. स्वागत रामस्वरूप अग्रवाल, संचालन ब्रजकिशोर पांडेय तथा धन्यवाद ज्ञापन उपेन्द्र दूबे ने किया.











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