अलौकिक मणि के समान है श्रीमद्भागवत महापुराण: आचार्य पौराणिक

भागवत के जन्म के संबंध में भी एक अलौकिक दृष्टि मिलती है. विस्मय तो तब हुआ जब दुर्योधन मर गया और कुरु वंश को आगे बढ़ाने वाले परम भागवत परीक्षित जी का जन्म हुआ. परीक्षित जी के माध्यम से संपूर्ण संसार को भागवत महापुराण की प्राप्ति हुई. 






- सर्व जन कल्याण सेवा समिति के द्वारा श्रीमद् भागवत कथा सप्ताह प्रारम्भ
- पहले दिन आचार्य ने बताई श्रीमद् भागवत की महत्ता


बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : सर्व जन कल्याण सेवा समिति द्वारा आयोजित 15 में श्रीमद्भागवत कथा आयोजन के प्रथम दिन रामरेखा घाट के समीप स्थित रामेश्वर नाथ मंदिर के प्रांगण में श्रीमद्भागवत कथा महात्म्य बताते हुए आचार्य कृष्णानंद शास्त्री "पौराणिक जी" ने बताया कि श्रीमद्भागवत महापुराण अलौकिक मणि के समान है जो पुरुषार्थ चतुष्टय के साथ में सब कुछ देने में समर्थ है. यह महान ग्रंथ भगवान का स्वरूप होने के कारण भगवत मूर्ति यानी भगवान की प्रतिमा है.

भागवत मर्मज्ञ पौराणिक जी ने कहा कि मानवता के निर्माण में भागवत का सर्वश्रेष्ठ योगदान है इसका मुख्य कारण है कि भागवत  संसार के समस्त ग्रंथों का सारांश है. वेद, पुराण, उपनिषद एवं आध्यात्मिक ग्रंथों का मुख्य अंश होने के कारण इसके श्रवण मात्र से सभी ग्रंथों के श्रवण करने का लाभ भी प्राप्त हो जाता है. यही मुख्य कारण है कि भागवत को एक स्वर से सभी ने सर्वोत्तम आध्यात्मिक ग्रंथ स्वीकार किया है. यद्यपि भागवत संसार के सभी पदार्थों को देने में समर्थ है और प्रमाणिक भी है किंतु इसकी सर्वाधिक सिद्धि जीवो की मुक्ति में है. यह पापी से महापापी एवं पातकी से महापातकी को भी मात्र श्रद्धा भक्ति से श्रवण करने पर मुक्ति कर देता है. महान आश्चर्य की बात है कि यह ग्रंथ 7 दिनों में ही प्रत्यक्ष मुक्ति प्रदान कर देता है. धुंधकारी, प्रेत एवं परीक्षित जी इसके प्रत्यक्ष प्रमाण हैं.

भागवत के जन्म के संबंध में भी एक अलौकिक दृष्टि मिलती है. विस्मय तो तब हुआ जब दुर्योधन मर गया और कुरु वंश को आगे बढ़ाने वाले परम भागवत परीक्षित जी का जन्म हुआ. परीक्षित जी के माध्यम से संपूर्ण संसार को भागवत महापुराण की प्राप्ति हुई. परम भागवत परीक्षित जी भागवत महापुराण के माध्यम से संसार के सभी मानव को पुरुषार्थ चतुष्टय की प्राप्ति करा कर मानवता का सर्वाधिक मार्ग प्रशस्त करके जीव मात्र पर परम कल्याण कर रहे हैं आज भी उसी तरह प्रासंगिक हैं जिस तरह भागवत महापुराण है.











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