बताया कि मारवाड़ी समाज में इसे पिठोरी अमावस्या कहते हैं. इसमें राजस्थान के झुंझुनू में राणी सती का मेला लगता है. वह महाभारत काल मे अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा थी उस वक्त वह सती नहीं हो पाई थी लेकिन कलयुग में आने के बाद वह सती हुई थी.
- मारवाड़ी समाज के द्वारा मनाया जा रहा है स्वर्ण जयंती वर्ष
- नाचते-गाते श्रद्धालु पुरुष महिलाएं हुए शोभायात्रा में शामिल
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : राणी सती दादी का वार्षिक पूजन महोत्सव मंगलवार को भव्य शोभा यात्रा के साथ शुरू हो गया शोभायात्रा में मारवाड़ी समाज के सैकड़ों नर-नारी शामिल हुए. शोभायात्रा गोयल धर्मशाला से शुरू हुई जो कि नगर के विभिन्न इलाकों से होते हुए गोलाघाट पर स्थित रानी सती के मंदिर में जाकर संपन्न हुई. मारवाड़ी समाज की इस पूजा के अगले दिन बुधवार को मारवाड़ी समाज की महिलाओं के द्वारा डांडिया कार्यक्रम का आयोजन होगा. तत्पश्चात 14 एवं 15 सितंबर को रानी सती दादी का विशेष वार्षिक पूजन किया जाएगा. इस दौरान उन्हें 56 भोग लगाया जाएगा और दो दिनों तक लगातार भंडारा होता रहेगा. साथ ही भजन संध्या भी आयोजित होगी.
जानकारी देते हुए राणी सती मंदिर परिसर में अवस्थित मारुति नंदन हनुमान मंदिर के पुजारी अशोक शर्मा ने बताया कि मारवाड़ी समाज में इसे पिठोरी अमावस्या कहते हैं. इसमें राजस्थान के झुंझुनू में राणी सती का मेला लगता है. वह महाभारत काल मे अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा थी उस वक्त वह सती नहीं हो पाई थी लेकिन कलयुग में आने के बाद वह सती हुई थी. उधर, माता के बक्सर स्थित मंदिर का 50 वां साल पूरा होने पर इसे स्वर्ण जयंती के रूप में मनाया जाता है.
50 वर्ष पूरे होने पर अबकी बार स्वर्ण जयंती समारोह मनाया जा रहा है. जिसको लेकर न सिर्फ मारवाड़ी समाज बल्कि, समाज के हर वर्ग के लोग उत्साहित हैं और हर्षोल्लास के साथ पूजन में शामिल हो रहे हैं. आयोजन को सफल बनाने में अध्यक्ष संजय सर्राफ, कोषाध्यक्ष सुमित मानसिंहका, सचिव राजेश केजरीवाल, रोहतास गोयल, प्रमोद अग्रवाल, पंकज मानसिंहका, कल्लू मानसिंहका समेत कई लोगों का विशेष तन्मयता से कार्य कर रहे हैं. शोभायात्रा को लेकर सुरक्षा के भी व्यापक इंतजाम प्रशासन के द्वारा किए गए थे.
विडिओ :
0 Comments