रिश्वत-रोधी प्रबंधन प्रणाली प्रमाणन प्राप्त करने वाला पहला विद्युत क्षेत्र का सार्वजनिक उपक्रम बना एसजेवीएन ..

कहा कि एसजेवीएन में हम सुनिश्चित करते हैं कि सभी कर्मचारी और स्टेकहोल्डर नैतिक मानकों का पालन करें. उन्होंने कहा कि एसजेवीएन में हमारा मानना है कि सत्यनिष्ठा एक जिम्मदार नागरिकता एवं सततशील विकास की नींव है.







- एसजेवीएन के सीइओ ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर दी जानकारी
- कहा - प्रत्येक एसजेवीनाइट्स को इस उपलब्धि पर गर्व

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : एसजेवीएन ने रिश्वत-रोधी प्रबंधन प्रणाली प्रमाणन (एबीएमएस) आईएसओ 37001:2016 हासिल किया है. श्री नन्द लाल शर्मा, अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक एसजेवीएन ने अवगत करवाया कि एसजेवीएन यह प्रमाणन हासिल करने वाला पहला पावर सेक्टर पीएसयू है. उन्होंने कहा कि प्रत्येक एसजेवीनाइट्स को इस उपलब्धि पर गर्व है. उन्होंने बताया कि एबीएमएस एक प्रबंधन प्रणाली है जो रिश्वतखोरी के कृत्य को रोकने, उसका पता लगाने और उस पर रोक लगाने में सहायक होती है.

श्री शर्मा ने आगे कहा कि भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) द्वारा दिया गया एबीएमएस प्रमाणन मजबूत रिश्वत-रोधी नीतियों और प्रक्रियाओं को कार्यान्वित करने के लिए एसजेवीएन की अटूट प्रतिबद्धता का प्रमाण है. उन्होंने आगे कहा कि एसजेवीएन में हम सुनिश्चित करते हैं कि सभी कर्मचारी और स्टेकहोल्डर नैतिक मानकों का पालन करें. उन्होंने कहा कि एसजेवीएन में हमारा मानना है कि सत्यनिष्ठा एक जिम्मदार नागरिकता एवं सततशील विकास की नींव है.

श्री नन्द लाल शर्मा ने बताया कि एसजेवीएन के 14 कार्यालयों एवं परियोजनाओं पर स्थलों पर मानकों के सफल कार्यान्वयन पर आईएसओ 37001:2016 प्रमाणन प्रदान किया गया है. इन स्थलों में कारपोरेट मुख्यालय शिमला, संपर्क कार्यालय दिल्ली और हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, महाराष्ट्र एवं गुजरात राज्यों में बारह (12) अन्य परियोजनाएं शामिल हैं.

श्री नन्द लाल शर्मा ने एसजेवीएन के मुख्य सतर्कता अधिकारी श्री प्रेम प्रकाश (आईओएफएस) के प्रयासों की सराहना की, जिन्होंने अपनी टीम के साथ इस प्रमाणीकरण को प्राप्त करने की प्रक्रिया में सक्रिय भूमिका निभाई है.

रिश्वत-रोधी प्रबंधन प्रणाली (आईएसओ 37001:2016) प्रमाणन एक अंतर्राष्ट्रीय मानक है, जो रिश्वत से संबंधित घटनाओं एवं मुद्दों के उन्मूलनार्थ समाधान प्रदान करता है. इस प्रणाली में रिश्वत-रोधी नीति, रिश्वत-रोधी अनुपालन की निगरानी के लिए व्यक्तियों की नियुक्ति, प्रशिक्षण, जोखिम मूल्यांकन और संस्थागत रिपोर्टिंग तथा जांच प्रक्रियाएं शामिल हैं.








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